नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली पांच दशकों से स्वघोषित नास्तिक और कम्युनिस्ट रहे हैं लेकिन चुनाव से पहले वह मंदिरों के चक्कर काटते नजर आ रहे हैं. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कुछ महीने पहले संसद भंग करते हुए चुनाव कराने की घोषणा की थी. दरअसल, सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के दो फाड़ हो चुके हैं. नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड के नेतृत्व वाला धड़ा ओली के खिलाफ है. विश्लेषकों का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए ओली ने राष्ट्रपति बिद्या भंडारी से सिफारिश करके संसद भंग करा दी.
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली मंदिर जाने और हिंदू धर्म के तमाम रीति-रिवाजों के पूरी तरह से खिलाफ रहे हैं. यहां तक कि ओली ने सार्वजनिक रूप से कई बार कहा है कि ईश्वर का अस्तित्व नहीं है और अगर कभी कोई ईश्वर रहा है तो वो सिर्फ कार्ल मार्क्स थे. हालांकि, पिछले हफ्ते अचानक सब कुछ बदला नजर आया.
25 जनवरी को ओली अपनी पत्नी राधिका शाक्य समेत पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचे और करीब एक घंटे तक पूजा-पाठ किया. ओली की पूजा के दौरान करीब 1,25000 घी के दीये जलाए गए.
ओली ने मंदिर में दर्शन करने के बाद ऐलान किया कि उनकी सरकार भगवान को दूध-जल चढ़ाने के लिए बनी चांदी की जलारी की जगह 108 किलो सोने की जलारी लगवाएगी. सरकार इसके लिए 30 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
ओली ने सांस्कृतिक मंत्री भानु भक्त आचार्य को भी सोना खरीदने के लिए अतिरिक्त 50 करोड़ रुपये का प्रबंध करने के निर्देश दिए हैं. आचार्य पशुपतिनाथ एरिया डिवलपमेंट ट्रस्ट (पीएडीटी) के अध्यक्ष भी हैं. ओली के मंदिर जाने के तीन दिन बाद ही ट्रस्ट ने एक बैठक बुलाई जिसमें तय किया गया कि नेपाल राष्ट्र बैंक से एक हफ्ते के भीतर सोना लाया जाएगा. ट्रस्ट ने कहा कि सोने की जलारी बनाने के लिए कारीगरों को सीधे भुगतान किया जाएगा.
ओली ऐसे वक्त में हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों को अपनाते नजर आ रहे हैं जब देश में उनके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन बढ़ गए हैं. कई समूह साल 2008 से पहले नेपाल के हिंदू राष्ट्र के दर्जे को वापस लाने की भी मांग कर रहे हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओली चाहते हैं कि 11 मार्च से पहले ही सोने की जलारी का निर्माण हो जाए क्योंकि 11 मार्च को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी. हालांकि, ट्रस्ट से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस डेडलाइन में काम पूरा होना असंभव है लेकिन अक्षय तृतीया यानी 14 मई से पहले मंदिर में जलारी का निर्माण हो सकता है. नेपाल में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है और अगर इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है तो 10 मई तक चुनाव संपन्न हो चुके होंगे.
ओली अब अपने विरोधियों के खिलाफ हिंदुत्व को हथियार बनाना चाह रहे हैं. इससे पहले, ओली ने दावा किया था कि राम नेपाल से ही थे और भारत ने अयोध्या को लेकर गलत प्रचार किया है. साल 2015 में जब भारत-नेपाल सीमा पर अघोषित आर्थिक नाकेबंदी हुई तो ओली भारत विरोधी उग्र राष्ट्रवाद के सहारे सत्ता में आए. इस बार पार्टी के भीतर मौजूद विरोधियों से लड़ने के लिए ओली राष्ट्रवाद के साथ-साथ हिंदुत्व का भी सहारा ले रहे हैं.
नेपाल में हिंदुओं की आबादी सबसे ज्यादा है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, नेपाल की 81 फीसदी आबादी हिंदू है, 9 फीसदी बौद्ध और 4.4 फीसदी मुसलमान है. इसके अलावा, 3 फीसदी किरातिस्त (स्थानीय धर्म) और 1.4 फीसदी ईसाई और 0.2 फीसदी सिख हैं. नास्तिकों की संख्या महज 0.6 फीसदी है.