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विश्व

भारत-अमेरिका की दोस्ती पर पाकिस्तान को लगी मिर्ची, इमरान ने कही ये बात

 India America Pakistan
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि पाकिस्तान अमेरिका के साथ सभ्य और बराबरी का रिश्ता चाहता है जैसे कि उसके ब्रिटेन और भारत के साथ संबंध हैं. इमरान खान ने विदेशी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका को रेखांकित करते हुए यह बात कही.  

द न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में इमरान खान ने 'सभ्य' का मतलब बताते हुए कहा कि पाकिस्तान अमेरिका से बराबरी का रिश्ता चाहता है जैसा कि अमेरिका का भारत या ब्रिटेन के साथ है. इमरान खान ने इस इंटरव्यू में अपनी निराशा भी व्यक्त की कि भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने की उनकी कोशिश में कोई प्रगति नहीं हुई, हालांकि उन्होंने अगस्त 2018 में पद संभालने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क किया था.

(फाइल फोटो)

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इमरान खान का यह इंटरव्यू अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की शुक्रवार को व्हाइट हाउस में अपने अफगान समकक्ष अशरफ गनी के साथ हुई पहली आमने-सामने की बैठक के बीच सामने आया है. इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान का क्षेत्र के अन्य देशों की तुलना में अमेरिका के साथ घनिष्ठ संबंध रहा है. डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की तरह, और आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान अमेरिका का साझेदार रहा है. 

(फाइल फोटो)

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इमरान खान ने कहा कि अब अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद पाकिस्तान एक सभ्य संबंध चाहता है. हम व्यापारिक रिश्तों में सुधार करना चाहते हैं. 'सभ्य' का मतलब पूछे जाने पर पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि वह बराबरी का रिश्ता चाहते हैं जैसा कि अमेरिका का भारत या ब्रिटेन के साथ है.

(फोटो-रॉयटर्स)

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इमरान खान ने कहा, "दुर्भाग्य से, आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के दौरान संबंध थोड़ा एकतरफा था. यह एकतरफा रिश्ता था क्योंकि अमेरिका को लगा कि वह पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं." इमरान खान ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में अमेरिका का साथ देने की पाकिस्तान को कीमत चुकानी पड़ी. पाकिस्तान को काफी नुकसान उठाना पड़ा.

(फाइल फोटो)

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इमरान खान ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में पाकिस्तान और अमेरिका ने साथ मिलकर काम किया. इस जंग में 70 हजार पाकिस्तानियों को जान गंवानी पड़ी. बम विस्फोटों और आत्मघाती हमलों के कारण पाकिस्तान को 150 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान भी झेलना पड़ा. इसके बावजूद अमेरिका, पाकिस्तान से और अधिक की उम्मीद कर रहा है और दुर्भाग्य से पाकिस्तानी सरकारों ने उसे यह देने की कोशिश भी की. इमरान खान ने कहा कि इस एकतरफा रिश्ते के साथ मुख्य समस्या यह थी कि "पाकिस्तानी सरकारों ने वह देने की कोशिश की जो वे करने में सक्षम नहीं थे," और इससे "दोनों देशों के बीच अविश्वास" पैदा हुआ.

(फोटो-PTI)
 

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इमरान खान का कहना था, "और पाकिस्तान में लोगों को लगा कि उन्होंने इस रिश्ते (पाकिस्तान-अमेरिका) के लिए भारी, भारी कीमत चुकाई है...और अमेरिका ने सोचा कि पाकिस्तान ने पर्याप्त नहीं किया है."

(फोटो-Getty Images)

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पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार चाहती है कि अमेरिका से भविष्य के संबंध शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान सहित विश्वास और सामान्य उद्देश्यों पर आधारित हों.

(फोटो-AP)
 

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अमेरिका और तालिबान ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति लाने और अमेरिकी सैनिकों को स्वदेश लौटने के वास्ते कई दौर की बातचीत के बाद 29 फरवरी, 2020 को दोहा में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके बाद से अमेरिका ने अफगानिस्तान से 11 सितंबर  2021 तक अपने सैनिकों की स्वदेश वापसी का ऐलान किया है.

(फोटो-AP)

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यह पूछे जाने पर कि क्या अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद पाकिस्तान अमेरिका के लिए अपने रणनीतिक महत्व को बरकरार रख पाएगा तो इमरान खान ने कहा कि उन्होंने इस बारे में सोचा नहीं है. पाकिस्तान और अमेरिका के बीच सैन्य संबंधों के जवाब में पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि अमेरिका की वापसी के बाद मुझे नहीं पता कि यह किस तरह का सैन्य संबंध होगा. लेकिन अभी, संबंध इस सामान्य उद्देश्य पर आधारित होना चाहिए कि अमेरिका के जाने से पहले अफगानिस्तान में एक राजनीतिक समाधान सुनिश्चित हो.

(फोटो-Getty Images)

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भारत में गैर बीजेपी सरकार होने पर बेहतर होते रिश्ते

इंटरव्यू में इमरान खान ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान के भारत के साथ बेहतर संबंध होते यदि गैर बीजेपी सरकार होती और वे बातचीत के माध्यम से अपने सभी मतभेदों को सुलझाते. उन्होंने कहा, "जब मैंने पदभार ग्रहण किया, तो मैंने सबसे पहला काम यह किया कि मैंने सामान्य, सभ्य व्यापारिक संबंध बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से संपर्क साधा. हमने कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी."

(फोटो-AP)
 

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इमरान खान ने दावा किया, "अगर कोई और (गैर बीजेपी) भारतीय नेतृत्व होता, तो मुझे लगता है कि हमारे उनके साथ अच्छे संबंध होते. और हां, हमने बातचीत के जरिए अपने सभी मतभेदों को सुलझा लिया होता." इमरान खान ने यह भी कहा कि अमेरिका की यह धारणा गलत थी कि भारत चीन के खिलाफ सुरक्षा कवच होगा. मुझे लगता है कि यह भारत के लिए हानिकारक होगा क्योंकि चीन के साथ भारत का व्यापार दोनों के लिए फायदेमंद होने वाला है. 

(फाइल फोटो)

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