कारोबार के लिए दी गई वरीयता पर समीक्षा करने के यूरोपीय यूनियन (संसद) की तरफ से प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद पाकिस्तान ने सफाई दी है. पाकिस्तान में बढ़ते धार्मिक कट्टरपंथ और ईंशनिंदा कानूनों के खिलाफ यूरोपीय यूनियन ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया था. प्रस्ताव में यूरोपीय देशों में पाकिस्तान को कारोबार करने की मिलने वाली रियायत को खत्म करने की सिफारिश की गई है. लेकिन इस प्रस्ताव से बैकफुट पर आया पाकिस्तान अब सफाई दे रहा है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बुधवार को यूरोपीय संघ के सांसदों से कहा कि किसी भी सशस्त्र या दबाव समूह को सरकार की नीति को चुनौती देने और निर्देशित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उनकी सरकार ने कट्टरपंथी गुटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है.
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यूरोपीय संसद की विदेश मामलों की समिति को वर्चुअली संबोधित करते हुए विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा. "हम हाल के विरोध-प्रदर्शनों के बाद कट्टरपंथी समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि किसी भी सशस्त्र या दबाव समूह को सरकार को चुनौती देने और सरकार की नीति को निर्देशित करने की अनुमति नहीं दी जा रही है."
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कुरैशी ने कहा कि दुनिया देख रही है कि कैसे इस्लामोफोबिया बढ़ रहा है. इसलिए धर्म या धार्मिक विश्वास के आधार पर असहिष्णुता और हिंसा के लिए उकसावे से लड़ने को लेकर "सामान्य संकल्प" दिखाने की जरूरत है. उन्होंने पाकिस्तान में ईशनिंदा कानूनों पर यूरोपीय संसद द्वारा प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने पर निराशा जाहिर की. कुरैशी ने कहा, इस विषय पर बहस बताती है कि पाकिस्तान और व्यापक मुस्लिम दुनिया में ईशनिंदा कानूनों और संबंधित धार्मिक संवेदनशीलता की समझ की कितनी कमी है.
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डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक कुरैशी ने मोहम्मद पैगंबर और धार्मिक प्रतीकों से संबंधित धार्मिक भावनाओं की सराहना करने की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही कहा कि पाकिस्तान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को महत्व देता है, लेकिन इसका इस्तेमाल धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा, 'जानबूझकर नफरत और हिंसा के लिए उकसाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और इसे सार्वभौमिक रूप से गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए.'
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पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा, 'हमारी सरकार ने यूरोप में आहत करने वाले स्केच के प्रकाशन और पवित्र कुरान की बेअदबी से उत्पन्न स्थिति को कम करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं.'
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दरअसल, यूरोपीय संसद ने एक प्रस्ताव स्वीकार किया था जिसमें पाकिस्तान के साथ व्यापारिक रिश्तों की समीक्षा करने और पाकिस्तान का सामान्य वरीयता वाला दर्जा (GSP) खत्म करने की मांग की गई थी. ईशनिंदा कानून के इस्तेमाल में बढ़ोतरी, पत्रकारों और सामाजिक संगठनों पर ऑनलाइन और ऑफलाइन बढ़ते हमलों के मद्देनजर यूरोपीय संसद ने पाकिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था.
इस प्रस्ताव में शफ़क़त इमैनुएल और शगुफ्ता कौसर के मामले का जिक्र किया गया है. पाकिस्तान के इस क्रिश्चियन दंपति को 2014 में पाकिस्तान की एक अदालत ने ईशनिंदा का दोषी ठहराया था और फांसी की सजा सुनाई थी. इस दंपति को जुलाई 2013 में गिरफ्तार किया था. प्रस्ताव में पाकिस्तान सरकार से देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को रोकने का आह्वान किया गया था.
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यह प्रस्ताव मई के शुरू में उस समय लाया गया जब फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से निष्कान की मांग को लेकर इस्लामाबाद और कई अन्य शहरों में तहरीक-ए-लब्बैक के समर्थकों ने कई दिनों तक हिंसक प्रदर्शन किया. इस्लामिक प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प में 150 से अधिक लोग घायल हो गए थे.
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बहरहाल, कुरैशी ने कहा, "मौजूदा संघर्ष जटिल होते जा रहे हैं, नए विवाद सामने आ रहे हैं, आतंकवाद से खतरे लगातार बढ़ रहे हैं और हाइब्रिड और साइबर खतरों से उत्पन्न चुनौतियां दुनिया भर में सुरक्षा प्रतिमान को बदल रही हैं. गलत सूचना और कई देश फेक न्यूज को औजार के तौर पर काम कर रहे हैं." कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान "संयम और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व" की नीति में विश्वास करता है, इसलिए इसका क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य कायद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना के सिद्धांतों पर तैयार किया गया है. पाकिस्तान की विदेश नीति दुनिया के सभी देशों के प्रति मित्रता और सद्भावना पर आधारित है.
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कुरैशी ने यूरोपीय यूनियन के साथ पाकिस्तान के रिश्तों को मजबूत बनाए जाने पर जोर दिया. अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "पाकिस्तान और यूरोपीय संघ का अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने में एक समान हित है. एक साझा जिम्मेदारी के रूप में, पाकिस्तान अफगान शांति प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में भूमिका निभाता रहेगा."
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