विदेशी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात से पाकिस्तान सहमा हुआ है. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में तालिबान का दबदबा बढ़ता जा रहा है. अब पाकिस्तान को डर है कि तालिबान की आक्रमकता के चलते अफगानिस्तान में गृह युद्ध का खतरा पैदा हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो उसे कई मोर्चों पर जूझना पड़ेगा. गृह युद्ध की स्थिति में अफगानिस्तान से पाकिस्तान आने वाले शरणार्थियों की संख्या बढ़ जाएगी और साथ ही आतंकवाद का खतरा भी बढ़ जाएगा. अफगानिस्तान पर पाकिस्तान ने कहा कि वो शांति प्रक्रिया में अमेरिका के साथ होगा, लेकिन वह संघर्ष में उसका साथ नहीं देगा.
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पाकिस्तान ने सोमवार को कहा कि वह अफगानिस्तान में बदलते हालात पर नजर बनाए हुए है और उसने अपने लोगों को आश्वासन दिया कि वह युद्धग्रस्त देश में बढ़ती अराजकता के चलते अपने देश में किसी भी तरह की अशांति पैदा करने की इजाजत नहीं देगा.
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अफगानिस्तान के 85 फीसदी हिस्से पर कब्जा करने के तालिबान के दावे के बीच पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने यह बात कही है. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान का अफगानिस्तान पर धीरे-धीरे कब्जा बढ़ता जा रहा है.
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तालिबान के साथ एक समझौते के तहत अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी सभी सैनिकों की वापसी पर सहमत हुए थे. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को घोषणा की थी कि अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से बाहर हो जाएंगे.
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फवाद चौधरी ने उर्दू में ट्वीट किया, "(हम) अफगानिस्तान में बदलती स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और सभी (हितधारकों) के सुझावों के आधार पर एक शांतिपूर्ण शासन के माध्यम से अफगानिस्तान में आगे बढ़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. भले ही यह (प्रयास) विफल हो हम पाकिस्तान में अशांति नहीं फैलने नहीं देंगे.”
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मंत्री ने अफगानिस्तान में लगातार हो रही लड़ाई की खबरों से चिंतित लोगों को आश्वासन दिया कि पाकिस्तान किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. फवाद चौधरी ने कहा, 'हमारी अफगान नीति पाकिस्तान के हित में होगी.'
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फवाद चौधरी ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि पाकिस्तान शांति प्रक्रिया अमेरिका के साथ भागीदार बन सकता है, लेकिन संघर्ष में उनके साथ नहीं होगा. मंत्री ने कहा, "पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अफगानिस्तान के खिलाफ नहीं हो रहा है और हमें उम्मीद है कि अफगानिस्तान की जमीन का भी पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होगा."
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फवाद चौधरी ने उसी ट्वीट में कहा कि पाकिस्तान में राजनीतिक और संसदीय नेतृत्व अफगानिस्तान में "गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांत" पर सहमत है. पाकिस्तान अफगानिस्तान में कोई हस्तक्षेप करने वाला नहीं है.
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सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान पड़ोसी अफगानिस्तान में गृहयुद्ध की स्थिति में फैलने वाली अव्यवस्था से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार है. उनका जोर देकर कहना था कि इस्लामाबाद केवल अफगान शांति प्रक्रिया का सूत्रधार है, गारंटर नहीं. उन्होंने कहा कि सीमा पर सुरक्षा कड़ी है. 2,611 किलोमीटर लंबी सीमा के 90 प्रतिशत से अधिक पर बाड़ लगा दी गई है.
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इससे पहले, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने पिछले हफ्ते एक संसदीय पैनल को ब्रीफिंग करते हुए अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में बताया था. पाकिस्तान को डर है कि गृहयुद्ध के चलते सीमा पार शरणार्थियों की भीड़ बढ़ जाएगी. दूसरा अफगानिस्तान में अस्थिरता पाकिस्तान विरोधी आतंकवाद के लिए जमीन मुहैया कराएगी.
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