बांग्लादेश के बाद अब पाकिस्तान मालदीव को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह से फोन पर बातचीत की और दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों पर जोर दिया.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यालय की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है, "प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग और द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने को लेकर मालदीव के साथ काम करने की इच्छा जताई है."
मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह ने भी इस बातचीत की पुष्टि की है.
मालदीव राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, "पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के
साथ फोन पर बेहद सकारात्मक बातचीत हुई जिसमें कोरोना वायरस महामारी को
लेकर भी चर्चा शामिल है. पाकिस्तान और मालदीव के पहले से भाईचारापूर्ण और
मधुर संबंधों को और मजबूत करने को लेकर भी चर्चा हुई."
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को पाकिस्तान आने का न्योता देने के बाद इमरान खान ने मालदीव के राष्ट्रपति को भी आमंत्रित किया है. हालांकि, इमरान खान की इस कॉल के पीछे उनकी एक मंशा छिपी हुई है. वह इसके जरिए भारत को घेरने की अपनी मुहिम तेज करना चाहते हैं.
कुछ महीने पहले ही मालदीव ने पाकिस्तान की इस्लामिक सहयोग संगठन में इस्लामोफोबिया के मुद्दे पर एक अनौपचारिक समूह बनाने की कोशिश को नाकाम कर दिया था. मालदीव ने कहा था कि भारत को इस्लामोफोबिया को लेकर अलग से निशाना बनाना सही नहीं है और ये दक्षिण एशिया में धार्मिक सौहार्दता के लिए खतरनाक हो सकता है. पाकिस्तान के लिए ये किसी झटके से कम नहीं था.
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम
ने इस्लामिक सहयोग संगठन की वर्चुअल बैठक में
इस्लामोफोबिया का मुद्दा उठाते हुए एक समूह बनाने की मांग की थी. लेकिन यूएई और
मालदीव ने पाकिस्तान के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. पाकिस्तानी
प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा था, भारत में कोरोना वायरस की महामारी के
दौरान इस्लामोफोबिया और ज्यादा खुलकर सामने आया है. पाकिस्तानी दूत ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार कश्मीर की जनसांख्यिकी बदलने की कोशिश कर रही है. अपनी इस कोशिश में नाकाम होने के बाद पाकिस्तान मालदीव के साथ करीबी बढ़ाने में जुटा हुआ है.
पिछले कुछ हफ्तों में पाकिस्तानी पीएम इमरान खान की ये दूसरी ऐसी कॉल है जिसके जरिए उन्होंने दक्षिण एशियाई देशों से अपने रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश की है. 22 जुलाई को इमरान खान ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से भी फोन पर बातचीत की थी और दोनों देशों के मजबूत संबंधों की वकालत की थी. बांग्लादेश की स्थापना के बाद से ही पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते तल्ख रहे हैं.
इमरान खान ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से बातचीत में भी कश्मीर का मुद्दा उठाने की कोशिश की थी हालांकि, शेख हसीना अपने पुराने रुख पर कायम रहीं. इसके बाद, भारत ने बांग्लादेश की पीएम को कश्मीर को भारत का आंतरिक मसला बताने के लिए शुक्रिया भी अदा किया था.
पाकिस्तान इस वक्त कर्ज संकट से भी जूझ रहा है. सऊदी अरब से पाकिस्तान
ने 3 अरब डॉलर का कर्ज ले रखा है जिसकी अवधि इसी साल पूरी होने वाली है. इमरान खान
ने मालदीव के राष्ट्रपति से विकासशील देशों के लिए अपनी 'कर्ज राहत' की
वैश्विक मुहिम के बारे में भी चर्चा की. इमरान खान ने कहा कि विकासशील
देशों के पास सीमित वित्तीय विकल्प हैं और स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी
ढांचा भी कमजोर है इसलिए उनके लिए विशेष कदम उठाए जाने चाहिए.