पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके को लेकर भारत-पाकिस्तान में गतिरोध बढ़ गया है. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को केंद्र सरकार को चुनाव कराने की अनुमति दी है. भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान इसकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं कर सकता है. अब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत के विरोध को आधारहीन और गलत करार दिया है.
गिलगित-बाल्टिस्तान की सरकार का कार्यकाल जून महीने में पूरा होने जा रहा है और विधानसभा भंग होने के 60 दिन के भीतर आम चुनाव होंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पाकिस्तान की सरकार का गिलगित-बाल्टिस्तान के स्वतंत्र तौर पर होने वाले चुनाव पर भी सीधा नियंत्रण हो जाएगा.
भारत ने कहा था कि पाकिस्तान की किसी भी संस्था को अवैध रूप से कब्जा किए गए इलाके पर फैसला करने का कोई अधिकार नहीं है. भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा था कि कश्मीर और लद्दाख समेत गिलगित-बाल्टिस्तान भी कानूनी रूप से भारत का अभिन्न हिस्सा है. भारत ने पाकिस्तान को कब्जे वाले क्षेत्रों के दर्जे में बदलाव के बदले अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने की मांग की थी. विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी उप-उच्चायुक्त को समन कर कहा कि इस तरह के किसी भी कार्य से पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से पर अवैध कब्जे तथा गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण को छिपाया नहीं जा सकता है.
भारत की आपत्ति के जवाब में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता आयशा फारूकी ने भी बयान जारी किया है. बयान में कहा गया, गिलगित-बाल्टिस्तान के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भारत के आधारहीन विरोध को पाकिस्तान खारिज करता है. अपने पक्ष से अवगत कराने के लिए हमने भारत के एक राजदूत को भी समन किया. हमने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर पर अभिन्न हिस्सा बताने वाले भारत के दावे का कोई भी कानूनी अधिकार नहीं है.
फारूकी ने कहा, "पूरा जम्मू-कश्मीर का पूरा राज्य ही विवादित क्षेत्र है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस बात को मानता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में यह विवाद लंबे समय से शामिल है. 1947 में अंतरराष्ट्रीय कानून और स्थानीय लोगों की इच्छा के विरुद्ध भारत ने इलाके पर जबरन और अवैध कब्जे किया था जिसके बाद मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पहुंचा था."
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि कश्मीर विवाद का केवल एक ही समाधान तय हुआ था- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करते हुए कश्मीरियों को आत्म-संकल्प का अधिकार दिया जाए. विवाद के समाधान के लंबित होने की वजह से कश्मीर में भारत की एकतरफा कार्रवाई भी अवैध थी."
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, 5 अगस्त 2019 को भारत ने कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया और उसके बाद क्षेत्र की जनसांख्यिकी बदलने की भी कोशिश की जो साफ तौर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन था. इसके अलावा, गिलगित-बाल्टिस्तान में उत्पीड़न पर पर्दा डालने का भारत का आरोप बेबुनियाद है और इस आरोप से कश्मीर के मासूमों और निहत्थे लोगों पर इंडियन आर्मी के अत्याचार नहीं छिपाए जा सकते हैं. इससे भारत कश्मीर में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन से दुनिया का ध्यान भटकाने में भी कामयाब नहीं हो पाएगा.
पाकिस्तान ने अपनी गलती मानने के बजाय भारत सरकार से कश्मीर में कथित अवैध कार्रवाई को तुरंत वापस लेने की मांग कर डाली. पाकिस्तान ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत कश्मीरियों को आत्म-संकल्प का अधिकार दे.
पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की स्वायत्तता छीनकर वहां अपना सीधा नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. इलाके पर प्रशासनिक कब्जा मजबूत करने के लिए पाकिस्तान की सरकार आए दिन पीओके के स्वायत्त प्रशासन के अधिकार कम करती रहती है. पीओके में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले भी सामने आते रहते हैं.