scorecardresearch
 
Advertisement
विश्व

तालिबान की जीत पर पाकिस्तान क्या बेवजह खुश हो रहा है?

तालिबान
  • 1/12

तालिबान ने जिस तेजी के साथ अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, उस पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और अन्य शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने रविवार को हैरानी जताई. अफगानिस्तान में तालिबान ने देश में शांति का नया युग लाने का वादा किया है, मगर अफगान इससे आश्वस्त नहीं हैं और उनके दिलों में तालिबान का पुराना बर्बर शासन लौटने का भय है.

(फोटो-AP)

Taliban
  • 2/12

अफगानिस्तान और आस-पड़ोस के मुल्क भले ही तालिबान के उभार से चिंतित हैं लेकिन पाकिस्तान में खुशी मनाई जा रही है. 13 अगस्त को पाकिस्तान के क्वेटा शहर से एक तस्वीर सामने आई जिसमें तालिबान की जीत पर लोग लोग मिठाइयां बांटते नजर आए. तालिबान को लेकर पाकिस्तान में खुशी की झलक दिखी. बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के नेताओं ने शुक्रवार को मिठाई बांटी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को कहा कि अफगानों ने गुलामी की बेड़ियां तोड़ दी है. 

(फोटो-AP)

अब्दुल
  • 3/12

भारत में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित भी तालिबान की जीत पर खुश नजर आए. उन्होंने ट्वीट किया, 'भारत, पाकिस्तान को अस्थिर करने के लिए अफगानिस्तान में जगह खो रहा है, संभवतः जम्मू-कश्मीर में अधिक उत्पीड़न का सहारा लेगा. कश्मीर विवाद को सुलझाने की दिशा में भारत पर कूटनीतिक दबाव कैसे बनाया जाए, इसके लिए पाकिस्तान के पास एक ठोस रणनीति होनी चाहिए.'

 

Advertisement
तालिबान
  • 4/12

हालांकि बासित के इस ट्वीट पर सवाल भी किया गया. यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में रिसर्च एसोसिएट आएशा सिद्दिकी ने बासित से पूछा, 'तो क्या इस बात की गारंटी है कि टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) अपनी मुहिम शुरू नहीं करेगा?'

 

 

तालिबान
  • 5/12

इस पर बासित ने जवाब दिया, 'पता नहीं. मुझे यकीन है कि हमने टीटीपी को खत्म करने के लिए अपना होमवर्क कर लिया है. हम यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि भारत उनकी पाकिस्तान विरोधी गतिविधियों के लिए फंडिंग जारी रखेगा. तालिबान पाकिस्तान पर पाकिस्तान में सरकारी बलों को निशाना बनाने के आरोप लगते रहे हैं.

(फोटो-AP)
 

पाकिस्तान
  • 6/12

पाकिस्तान की मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन माजरी ने भी अफगानिस्तान में तालिबान की जीत और अमेरिकी सैनिकों के आनन-फानन में निकलने पर निशाना साधा. उन्होंने अफगानिस्तान के हालात की तुलना वियतनाम से अमेरिकी सैनिकों के निकलने से की. वियतनाम में भी अमेरिकी सेना को नाकामी हाथ लगी थी.

 

हक्कानी
  • 7/12

पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक ने लिखा, पाकिस्तानी तालिबान की जीत का जश्न मना रहे हैं. हालांकि, अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पाकिस्तान में अतिवाद को और बढ़ावा देगी और पाकिस्तान दुनिया में पहले से ज्यादा अलग-थलग पड़ जाएगा. हुसैन हक्कानी ने लिखा, अफगानिस्तान में अमेरिका के 20 साल लंबे युद्ध के अंत के बाद पाकिस्तान के साथ उसके रिश्तों में भी ऐतिहासिक बदलाव आने वाला है. अफगानिस्तान की वजह से अमेरिका की नजर में जो पाकिस्तान की उपयोगिता थी, अब वो खत्म हो जाएगी. दूसरी तरफ, पाकिस्तान के लिए जीत के जश्न में डूबे तालिबान को नियंत्रित करना और अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना भी मुश्किल होगा.

 

हक्कानी
  • 8/12

हुसैन हक्कानी ने आगे लिखा कि तालिबान की वापसी का असर पाकिस्तान की आंतरिक शांति और सुरक्षा पर भी होगा. इस्लामिक अतिवाद गहराएगा. अगर तालिबान और उसके विरोधी खेमे के बीच संघर्ष बढ़ता है तो पाकिस्तान को शरणार्थियों की समस्या से भी जूझना होगा. पाकिस्तान के मुहाने पर किसी भी तरह का गृह युद्ध उसकी कमजोर अर्थव्यवस्था को गर्त में धकेल सकता है.

Taliban
  • 9/12

हालांकि, ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान में सभी लोग तालिबान का समर्थन कर रहे हैं. कई नेताओं ने तालिबान के काबुल में काबिज होने पर निराशा जाहिर की. उत्तरी वजीरिस्तान से सांसद और वकील मोहसीन दावर ने तालिबान के काबुल कब्जा करने पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने ट्वीट किया, 'जिन लोगों ने तालिबान का समर्थन किया और उन्हें अफगानिस्तान पर हमला करने में मदद की, उन्हें अफगानों के दुश्मनों के रूप में याद किया जाएगा. उन्होंने एक ऐसे लोकतंत्र को ध्वस्त करने की कोशिश की है जो अफगानिस्तान के लोगों की इच्छा का प्रतिनिधि था और जिसने उनके जीने के तरीके पर हमला किया था. हम अफगानिस्तान के साथ खड़े हैं.'


 

 

Advertisement
तालिबान
  • 10/12

पाकिस्तान के पूर्व सांसद अफरासियाब खट्टकी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर एक अलग ही राय रखी. उन्होंने लिखा, 'अफगानिस्तान में नवीनतम घटनाओं ने दोहा सौदे की हकीकत को उजागर कर दिया है; वह (दोहा वार्ता) तालिबान को थाली में अफगानिस्तान देने की योजना थी. अमेरिका ने "आतंक के खिलाफ युद्ध" में पुराने सहयोगियों को छोड़ दिया है और नए शीत युद्ध के लिए तालिबान को अपनाया है. पाकिस्तानी जनरलों के लिए यह एक सपने के सच होने जैसा है.'

(फोटो-Getty Images)

तालिबान
  • 11/12

अफरासियाब खट्टकी ने कहा, 'अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी पर कोई दो राय नहीं थी. लेकिन विदेशी समर्थित अटैक ने राज व्यवस्था के पतन ने 21वीं सदी में 35 लाख अफगानों को राज्य संरक्षण से वंचित कर दिया है और अफगानिस्तान को विदेशी आतंकवादियों के लिए एक चुंबक में बदल दिया है.'

 

तालिबान
  • 12/12

पाकिस्तानी सांसद ने कहा कि अफगानिस्तान का तालिबानीकरण चीनी बेल्ड एंड रोड इनिशियटिव (बीआरआई) को बाधित करने की योजना है. चीन और रूस बहुत सतर्क हैं और टकराव से बचना चाहते हैं. लेकिन उन्हें खतरा होगा तो वे अपना रुख बदल देंगे. लेकिन इसके अनपेक्षित परिणाम भी हो सकते हैं.

(फोटो-AP)
 

Advertisement
Advertisement