अफगानिस्तान में तालिबान का राज आने के बाद से जहां वहां के लोगों में खौफ माहौल देखा गया है वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान के लोग इस बदलाव से काफी खुश नजर आ रहे हैं. हाल ही में एक सर्वे में सामने आया है कि पाकिस्तान की 55 प्रतिशत आवाम इस बात से खुश है कि अफगानिस्तान में तालिबान का राज है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, ये सर्वे 2400 लोगों पर किया गया था. इन लोगों से पूछा गया था कि क्या वे अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने से खुश हैं? 55 प्रतिशत पाकिस्तानियों ने कहा था कि वे इस बात से खुश हैं. वहीं 25 प्रतिशत ने इस सरकार के बनने पर नाखुशी जताई. 20 प्रतिशत ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
पाकिस्तान में ये सर्वे गैलअप पाकिस्तान नाम की संस्था ने कराया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा ने तालिबान को सबसे ज्यादा सपोर्ट दिया. यहां रहने वाले 65 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वे इस सरकार से खुश हैं. इसके अलावा 55 प्रतिशत बलोचिस्तानियों और 54 प्रतिशत पंजाब और सिंध क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने तालिबानी सरकार पर खुशी जताई. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
पाकिस्तान में ये सर्वे 13 अगस्त से 5 सितंबर के बीच किया गया है. इस सर्वे में ये भी सामने आया कि तालिबान को समर्थन देने वालों में 68 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो 50 साल से इससे अधिक उम्र के हैं. सभी एज-ग्रुप की बात की जाए तो तालिबान के समर्थन में 58 प्रतिशत पुरुष और 36 प्रतिशत महिलाएं हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
गौरतलब है कि पाकिस्तान कई मौकों पर तालिबान को सपोर्ट करता रहा है. 15 अगस्त को तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद पाक पीएम इमरान खान ने अफगानिस्तान को बधाई दी थी. इसके अलावा क्रिकेटर शाहिद अफरीदी भी तालिबान को सपोर्ट करने वाला बयान दे चुके हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
पाकिस्तान के एक मंत्री तो यहां तक कह चुके हैं कि तालिबान के बच्चों और रिश्तेदारों को कई सालों तक पाकिस्तान में पनाह दी गई और उनकी देखभाल की गई. साल 1996-2001 के बीच तालिबान के पहले शासनकाल के दौरान भी पाकिस्तान उन गिने-चुने देशों में से था जिसने तालिबान की सरकार को मान्यता दी थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
पाकिस्तान और तालिबान की नजदीकियों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब मुल्ला बरादर और हक्कानी नेटवर्क की सरकार बनाने को लेकर तनातनी चल रही थी तब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ ने काबुल जाकर सुलह कराई और अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार का ऐलान हो पाया. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
बता दें कि 15 अगस्त को अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे और तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण कर लिया था. तालिबान इसके बाद से इस देश में सरकार बना चुका है और मंत्रिमंडल की घोषणा कर चुका है. हालांकि तमाम मुद्दों पर तालिबान का पाखंड भी दुनिया के सामने देखने को मिला है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/AP)