पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने शिया हजारा समुदाय के प्रदर्शनकारियों की मांग को ब्लैकमेलिंग करार दिया है जिसे लेकर उनकी तीखी आलोचना हो रही है. दरअसल, पिछले सप्ताह पाकिस्तान में हजारा शिया समुदाय के 10 मजदूरों की बड़ी निर्ममता से हत्या कर दी गई थी. दोषियों की गिरफ्तारी को लेकर हजारा शिया समुदाय के लोग पिछले कई दिनों से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने ये भी कहा है कि जब तक इमरान खान उनसे मिलने नहीं आएंगे, तब तक हमले में मारे गए लोगों को दफनाया नहीं जाएगा.
इमरान खान ने शुक्रवार को इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में प्रदर्शनकारियों की मांग को ब्लैकमेलिंग कहकर खारिज कर दिया. इमरान खान ने कहा, "मैंने प्रदर्शनकारियों को संदेश पहुंचा दिया है कि जब आपकी सारी मांगें मानी जा रही हैं तो फिर मेरे आने तक मृतकों को ना दफनाने की जिद क्यों की जा रही है. किसी भी मुल्क के प्रधानमंत्री को इस तरह से ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता है. इस तरह से तो हर कोई देश के प्रधानमंत्री को ब्लैकमेल करना शुरू कर देगा."
इमरान खान ने कहा, मैं इस मंच के जरिए कहना चाहता हूं कि आप उन्हें आज (मृतकों) दफना दीजिए, मैं आपको क्वेटा आने की गारंटी देता हूं. इमरान खान ने कहा कि वह पिछले ढाई साल से इस तरह की ब्लैकमेलिंग झेल रहे हैं. उनका इशारा 'पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट' की तरफ था जो लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है.
इमरान खान के इस बयान की तीखी आलोचना हो रही है. पाकिस्तान के तमाम लोग इसे लेकर ट्वीट कर रहे हैं. हुसैन नवाज शरीफ नाम के एक शख्स ने ट्विटर पर लिखा, "ऐसे शब्द केवल वो ही बोल सकते हैं जो अपनों के दर्द को महसूस नहीं कर सकते हैं. क्या ये उम्मीद करना कि प्रधानमंत्री जनता का दर्द साझा करेंगे, ब्लैकमेलिंग है? उनके घाव पहले ही गहरे हैं, आप उनके जख्मों पर नमक क्यों छिड़क रहे हैं? ये बेहद शर्मनाक है." पाकिस्तान की टीवी होस्ट राबिया अनूम उबैद ने रोती हुई महिला प्रदर्शनकारियों की तस्वीर ट्वीट करते हुए इमरान खान से सवाल किया कि क्या ये ब्लैकमेलर लगते हैं? पाकिस्तान की पत्रकार नायला इनायत ने ट्वीट किया, इमरान खान शोक में डूबे हुए हजारा प्रदर्शनकारियों को संदेश दे रहे हैं कि वो प्रधानमंत्री को ब्लैकमेल ना करें. ये कैसी निर्ममता है!
"Don't blackmail the prime minister" is Imran Khan message to protesting Hazara mourners. What a heartless thing to say. pic.twitter.com/JrU0JK3i1r
— Naila Inayat (@nailainayat) January 8, 2021
पाकिस्तान में कई सालों से हजारा शिया समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जाता रहा है. हाल ही में हुई 10 मजदूरों की हत्या के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में एक हाईवे को जाम कर रखा है. सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि हजारा समुदाय से आने वाले मजदूरों की पहचान करने के बाद उन्हें गोली मारी गई. आईएसआईएस ने इस हमले की जिम्मेदारी लेने का दावा किया था. परिजनों ने कहा है कि वे तब तक मृतकों का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे जब तक दोषियों को गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता और इमरान खान उनसे मिलने नहीं आ जाते.
प्रदर्शनकारी पिछले छह दिनों से सर्दी की परवाह किए बिना हाईवे पर बैठे हुए हैं. इमरान खान के कैबिनेट के कई मंत्री प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने जा चुके हैं लेकिन अभी तक हर कोशिश नाकाम रही है. इमरान सरकार में गृह मंत्री शेख रशीद भी कुछ दिन पहले प्रदर्शनकारियों से मुलाकात करने के लिए पहुंचे थे.
इमरान खान ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि हजारा समुदाय के लोगों से सहानुभूति जताई और कहा कि हजारा सबसे ज्यादा क्रूरता का शिकार हुए हैं. इमरान खान ने इसके बाद 11 मजदूरों की हत्या को भी 'भारत की साजिश' बता दिया. इमरान खान ने कहा, मैंने अपनी कैबिनेट को सूचित किया था और इसे लेकर सार्वजनिक बयान भी जारी किए थे: भारत पाकिस्तान में अशांति फैलाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है.
इमरान खान ने कहा कि ये पाकिस्तान में सांप्रदायिकता की आग फैलाने की कोशिश है. इमरान खान ने खुफिया एजेंसियों की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी वजह से कई बड़ी आतंकी घटनाओं को रोक दिया गया. उन्होंने कहा कि कराची में एक हाई-प्रोफाइल सुन्नी आलिम की हत्या के बाद बड़ी मुश्किल से सांप्रदायिकता की आग बुझाई गई.
इमरान खान सरकार में गृह मंत्री शेख रशीद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमले में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के बाद इमरान खान हजारा समुदाय के लोगों से मिलने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, इमरान खान खुद वहां जाना चाहते हैं ताकि हजारा समुदाय के लोगों के साथ विस्तार से चर्चा हो सके और सभी समस्याओं का शांतिपूर्ण निपटारा हो. अगर प्रधानमंत्री वहां जाते हैं और सुरक्षा बल वहां से भीड़ हटाने की कोशिश करते हैं तो उस दौरान संघर्ष की स्थिति हो सकती है और ऐसे में मारे गए लोगों के शवों का अपमान हो सकता है. पाकिस्तान के गृह मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जाना अफसोसजनक है. उन्होंने कहा कि राजनीति करने के लिए बहुत सी चीजें हैं लेकिन मृतकों के दफनाने को लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिए.