फिलिस्तीन ने संयुक्त राष्ट्र में इजरायल पर भारत के रुख को लेकर नाराजगी जाहिर की है. फिलिस्तीन के विदेश मंत्री ने पत्र लिखकर भारत के रुख की कड़ी आलोचना की है. संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के खिलाफ जांच के प्रस्ताव पर मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया था. भारत उन 14 देशों में शामिल रहा, जो इजरायल के खिलाफ वोटिंग में गैर-हाजिर रहे. हालांकि, भारत ने वोटिंग में अपनी गैर-हाजिरी को लेकर कोई बयान नहीं दिया. लेकिन भारत के इस रुख को इजरायल के प्रति समर्थन के तौर पर देखा गया.
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असल में, संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव में 47 सदस्यों वाली कमेटी में 24 देशों ने इजरायल के खिलाफ वोट डाला था. इस प्रस्ताव में इजरायल के खिलाफ जांच करने और लड़ाई के लिए उत्तरदायी ठहराने की मांग की गई थी. नौ देशों ने इजरायल के खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव का विरोध किया था और इजरायल के समर्थन में वोट डाला था. भारत के साथ 13 देश वोटिंग के दौरान गैर-हाजिर रहे. भारत के अलावा बहामास, ब्राजील, डेनमार्क, फिजी, फ्रांस, इटली, जापान, नेपाल, नीदरलैंड, पोलैंड, साउथ कोरिया, टोगो और यूक्रेन वोटिंग में गैर हाजिर रहे.
India abstains together with 13 other members of the Human Rights Council on the resolution proposing to set up a Commission of Inquiry! With 24 members voting in favor and 9 against the resolution is adopted pic.twitter.com/lCjtwftq8c
— Indramani Pandey, IFS, PR to UN, Geneva (@IndraManiPR) May 27, 2021
फिलिस्तीन के विदेश मंत्री डॉ. रियाद अल मलिकी ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर को चिट्ठी लिखी है. भारतीय विदेश मंत्री को लिखे पत्र में फिलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल मलिकी ने कहा है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इजरायल के खिलाफ जांच के लिए लाए गए निर्णायक और महत्वपूर्ण वोटिंग प्रस्ताव के दौरान फ्लोर पर अनुपस्थित रहकर एक महत्वपूर्ण मौके को गंवा दिया है.
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रियाद अल मलिकी ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र द्वारा इजरायल को जिम्मेदार ठहराने और उसके खिलाफ न्यायपूर्ण जांच होनी थी, लेकिन भारत बैठक के दौरान अनुपस्थित रहा. हालांकि, वोटिंग में गैर-हाजिरी मानवाधिकार के खिलाफ उठती आवाज को दबाने में नाकामयाब रही है.'
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संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष संस्था मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने वोटिंग के बाद 27 मई को इजरायल के खिलाफ 'युद्ध अपराधों' की जांच के लिए प्रस्ताव को पारित कर दिया. इसके तीन दिन बाद फिलिस्तीन के विदेश मंत्री ने भारत को पत्र लिखकर अपनी चिंता जाहिर की. 30 मई को लिखे पत्र में मलिकी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में पारित हुआ प्रस्ताव एकपक्षीय नहीं था बल्कि बहुपक्षीय परामर्श के बाद पारित हुआ.
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डॉ. रियाद अल मलिकी ने कहा कि वर्षों की जांच के बाद प्रस्ताव को ठोस रूप दिया गया जबकि इजरायल के विभिन्न संस्थान अपनी जवाबदेही से बचते रहे हैं. मलिकी ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से कहा, "इसलिए, आपका अनुपस्थित रहना मानवाधिकार परिषद के महत्वपूर्ण कार्य को रोकने जैसा था. संयुक्त राष्ट्र के परिषद का काम सभी के मानवाधिकारों की रक्षा करना है जिनमें फिलिस्तीनी भी शामिल हैं."
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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र के दौरान भारत ने बयान तो जारी किया लेकिन, उसने इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए हुई वोटिंग में गैर-हाजिर रहने को लेकर कोई वजह नहीं बताई. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने जारी बयान में इजरायल-फिलिस्तीन के बीच सीजफायर का स्वागत किया था. भारत ने दोहराया कि पूर्व यरुशलम में किसी भी पक्ष को यथास्थिति बदलने का प्रयास नहीं करना चाहिए.
भारत ने अपने बयान में यरुशलम में हिंसा, शेख जर्राह से फिलिस्तीनियों को बेदख किए जाने पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की थी. भारत ने यरुशलम में ऐतिहासिक यथास्थिति बनाए रखने पर जोर दिया है. भारत शुरू से ही फिलिस्तीन के पक्ष में खड़ा रहा है और दो राष्ट्र समाधान की हिमायत करता रहा है.
It has taken a full five months for #India to enter the @UN #SecurityCouncil chambers, physically!
— PR/Amb T S Tirumurti (@ambtstirumurti) May 28, 2021
First in-person meeting experience - a feeling of anticipation and humility to finally take India’s place at the famous #UNSC's Horseshoe Table.#IndiainUNSC @MEAIndia pic.twitter.com/ReGkbyTmwp
भारत का बदला रुखः हालिया संघर्ष में भारत ने हिंसा की निंदा की, लेकिन इजरायल पर रॉकेट हमले के लिए हमास को भी आड़े हाथों लिया. फिलिस्तीन को लेकर भारत के हालिया बयानों को लेकर कहा जा रहा है कि भारत का रुख अब बदल रहा है और उसका झुकाव इजरायल की तरफ होने लगा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के पहले पीएम हैं जिन्होंने इजरायल की यात्रा की है. इस यात्रा को इजरायल के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किए जाने के लिहाज से देखा गया.
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भारत के साथ 13 और देश मतदान से बाहर रहे. 24 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया और 9 देशों ने इसराइल का साथ दिया. भारत ने 27 मई को यूएनएचआरसी में वही बात कही जो पिछले कई बयानों में कही गई है- भारत फिलिस्तीनियों के मुद्दों के साथ खड़ा है. भारत के हालिया बयानों को लेकर कहा जा रहा है कि उसका रुख इजरायल की तरफ है.
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