अफगानिस्तान (Afghanistan) के लोग हर हाल में तालिबान (Taliban) से मुक्ति पाना चाहते हैं. ऐसे में अफगानिस्तान की पंजशीर (Panjshir) घाटी में तालिबान से लोहा लेने के लिए उसके विरोधी इकट्ठा होने लगे हैं. ब्रिटेन में पढ़ाई कर चुका एक अफगानी अपने देश में लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है, जहां अब तक 60 से 100 तालिबान मारे जा चुके हैं.
(सभी फोटो- गेटी)
पूर्व मुजाहिदीन कमांडर का बेटा अहमद मसूद (Ahmad Massoud) घातक हथियारों से लैस होकर विद्रोह का नेतृत्व कर रहा है. वह तालिबान की सत्ता को उखाड़ फेंकना चाहता है. मसूद ने कसम खाई है कि विद्रोहियों की उनकी सेना तलिबान लड़ाकों से "आखिरी सांस तक लड़ेगी". सैंडहर्स्ट में एक साल का सैन्य कोर्स करने वाले मसूद के पास किंग्स कॉलेज लंदन की डिग्री है.
करीब 40 साल पहले सोवियत विरोधी प्रतिरोध के मुख्य नेताओं में से एक अहमद शाह मसूद के बेटे ने पंजशीर घाटी में अपना गढ़ बनाया है, जहां से वह तालिबान के खिलाफ पकड़ बनाने की कोशिश में है. पंजशीर में तालिबान को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में खबर है कि नार्दन एलाएंस तालिबान के खिलाफ लड़ाई शुरू कर सकता है.
द मिरर के मुताबिक, 32 वर्षीय मसूद का समर्थन अफगानिस्तान के शीर्ष जासूस और अपदस्थ उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह भी कर रहे हैं. सालेह का काबुल के अंदर जासूसों का तगड़ा नेटवर्क है.
मसूद के विद्रोह ने अफगानिस्तान में एक चौतरफा गृहयुद्ध की आशंका पैदा कर दी है क्योंकि ब्रिटेन और अमेरिकी सैनिक काबुल से हजारों लोगों को निकालने की सख्त कोशिश कर रहे हैं. द मिरर ने सूत्र के हवाले से बताया कि "पिछले तीन दिनों में, अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बल के लोग पंजशीर गए. वे मसूद के गठबंधन को मजबूत कर रहे हैं, शामिल हो रहे हैं और समर्थन कर रहे हैं. तालिबान पर कई मोर्चों पर हमला किया जा रहा है."
आपको बता दें कि मसूद के पिता, जिन्हें "पंजशीर का शेर" कहा जाता है की 9/11 से कुछ दिन पहले अल-कायदा ने हत्या कर दी थी. उन्होंने सीआईए समर्थित उत्तरी गठबंधन का नेतृत्व किया, जिसने 2002 में तालिबान को बाहर कर दिया और देश को स्थिर किया. ऐसे में मसूद को डर है कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन एक बार फिर अल-कायदा को 9/11 शैली के अत्याचार की साजिश रचने की आजादी देगा.
मसूद ने कहा, "तालिबान अकेले अफगान लोगों के लिए समस्या नहीं है. तालिबान के नियंत्रण में अफगानिस्तान कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद का ग्राउंड जीरो बन जाएगा. यहां एक बार फिर लोकतंत्र के खिलाफ साजिश रची जाएगी."
वाशिंगटन पोस्ट को लिखे एक पत्र में उन्होंने हथियार और सहायता की मांग करते हुए कहा, "मैं अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने के लिए तैयार हूं, मुजाहिदीन लड़ाकों के साथ जो एक बार फिर तालिबान से मुकाबला करने के लिए तैयार हैं."
मालूम हो कि काबुल के उत्तर में पंजशीर घाटी को अभी भी तालिबान नहीं जीत सका है. यहीं से अहमद मसूद (Ahmad Massoud) घातक हथियारों से लैस होकर विद्रोह का नेतृत्व कर रहा है.