फ्रांस के पेरिस में बुधवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने व्यंग्य-पत्रिका 'चार्ली एब्दो' के दफ्तर पर हमला बोल दिया. हमले में कम से कम 12 लोगों के मरने की खबर है, वहीं 6 गंभीर रूप से घायल हैं.
पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि मरने वालों में 9 पत्रकार और 2 पुलिसकर्मी शामिल हैं. पत्रिका के संपादक स्टीफन चारबोनियर की भी हमले में मौत हो गई है.
पुलिस ने मुठभेड़ में दो हमलावरों को मार गिराया, वहीं दो और हमलावरों के एक कार में बैठकर भाग निकलने की खबर है.
हमले में घायल एक पत्रकार को अस्पताल ले जाते पुलिसकर्मी.
हमले के बाद फरार हुए आतंकियों की तलाश में पुलिस जुटी है और फ्रांस में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है.
बताया जा रहा है कि हमलावर मैगजीन में छपे पैगंबर मुहम्मद के कार्टून से नाराज थे. पत्रिका काफी समय अपने कथित 'इस्लाम विरोधी' कंटेंट की वजह से कट्टरपंथियों के निशाने पर थी.
हादसे के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद मौका-ए-वारदात पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया.
फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने इसे 'आतंकी हमला' बताया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि कोई भी बर्बर हमला प्रेस की आजादी को खत्म नहीं कर सकता. हम हमले के खिलाफ एकजुट हैं.'
हमले के बाद पेरिस सहित विश्व भर के कई बड़े शहरों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
हादसे के बाद पेरिस सहित पूरा विश्व सदमे में है.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हमले की निंदा की और कहा कि भारत फ्रांस के लोगों के साथ है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी हमले की कड़ी निंदा की.
कार्टूनिस्ट कोरीन रे उर्फ 'कोको' उन लोगों में से हैं जिन्होंने बिल्डिंग के भीतर छिपकर अपनी जान बचाई. उन्होंने दावा किया कि हमलावर सधी हुई फ्रेंच भाषा बोल रहे थे और खुद को अलकायदा का बता रहे थे.
कोरीन रे ने बताया, 'हमला पांच मिनट तक चला. उन्होंने वोलिंस्की और काबू को गोली मार दी. मैं एक डेस्क के नीचे छिप गया. वे परफेक्ट फ्रेंच बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि वे अलकायदा से हैं.'
ये पूरा हमला कैमरे में कैद किया गया है. फुटेज में दो आतंकी फायरिंग करते हुए देखे जा सकते हैं.
कैमरे में कैद आतंकियों को एक शख्स को गोली मारते साफ देखा जा सकता है.
पत्रिका फरवरी 2006 में पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छापने को लेकर चर्चा में आई थी, जिसे इस्लाम में ईशनिंदा माना जाता है. हालांकि, यह कार्टून मूल रूप से डैनिश अखबार 'जेलैंड्स पोस्टन' में छपा था जिसे पत्रिका ने दोबारा प्रकाशित किया.
पूरे विश्व ने पेरिस हमले की पूरजोर भर्त्सना की है और आतंक के खिलाफ मुहिम को और तेज किए जाने की वकालत की है.