चीन के कुछ वैज्ञानिकों ने कहा है कि बादलों पर अगर लो-फ्रीक्वेंसी साउंड वेव (ध्वनि तरंग) की बौछार की जाए तो बारिश अधिक हो सकती है और सूखे की समस्या का समाधान निकल सकता है. बीजिंग की सिंघुआ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने प्रयोग के दौरान बादलों पर 50 हर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी के साउंड वेव को 160 डेसीबल के स्तर पर इस्तेमाल किया.
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टडी के लेखक प्रोफेसर वांग गुआंगकिआन ने कहा कि ध्वनि तरंगों से बादल 'उत्साहित' हो जाते हैं और उनमें वाइब्रेशन होता है. इसकी वजह से बारिश की संभावना बढ़ जाती है.
स्टडी के दौरान देखा गया कि एक खास डिवाइस से ध्वनि तरंगों की बौछार किए जाने के बाद बादल में वाटर ड्रॉपलेट बढ़ गए. प्रोफेसर वांग गुआंगकिआन का कहना है कि सूखा प्रभावित इलाकों में इस तकनीक के इस्तेमाल से फायदा हो सकता है.
वहीं, तिब्बत के पठार पर जब साउंड वेव टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया तो 17 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई. चीन के वायुमंडल में वाटर वेपर पर्याप्त मात्रा में मौजूद है, लेकिन इसका सिर्फ 20 फीसदी ही जमीन तक पहुंच पाता है.