कश्मीर और नागरिकता कानून के विरोध के बाद मलेशिया पाम तेल को बेचने में बड़ी मुश्किलों का सामना कर रहा है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आयात पर लगे प्रतिबंध के बाद भारतीय बंदरगाहों पर हजारों टन पाम तेल फंसा हुआ है.
(तस्वीर- रॉयटर्स)
मामले से जुड़े सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया, भारत सरकार ने 8 जनवरी को मलेशिया से रिफाइंड तेल के आयात पर लगाम लगाने की घोषणा की थी ताकि घरेलू रिफाइनरियों की मदद की जा सके. भारत में साबुन बनाने से लेकर कुकीज बनाने तक खाद्य तेल इस्तेमाल किया जाता है और भारत खाद्य तेल के लिए पूरी तरह से आयात पर ही निर्भर है.
रिफिनिटिव डेटा के मुताबिक, खाद्य तेल के दूसरे सबसे बड़ा उत्पादक देश मलेशिया से मुंह मोड़ने के बाद भारत ने इंडोनेशिया से आयात करना शुरू कर दिया है. पिछले पांच सालों में मलेशिया के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार रहा है लेकिन कूटनीतिक विवाद का असर दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर भी देखने को मिल रहा है. शुक्रवार को मलेशियाई पाम फ्यूचर की कीमतों में पिछले 11 सालों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.
मुंबई के खाद्य तेल के एक बड़े डीलर ने रॉयटर्स को बताया, भारतीय बंदरगाहों पर 30,000 टन से ज्यादा पाम तेल के कंटेनर अटके हुए हैं. ये सभी जहाज सरकार के आयात पर नियंत्रण लगाने से पहले ही रवाना हुए थे. डीलर ने कहा, सामान्यत: कस्टम अधिकारी नियमों में बदलाव से पहले आए हुए जहाजों को खाली करने की इजाजत दे देते हैं लेकिन पाम तेल के मामले में थोड़ा संशय बना हुआ है. यही वजह है कि जहाजों को खाली करने में देरी हो रही है.
मामलों से सीधे जुड़े हुए कुछ भारतीय सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि सरकार के प्रतिबंधों का मतलब है कि आयातकों को अब नया लाइसेंस खरीदना होगा, इस टूल का इस्तेमाल मलेशिया से आ रहे जहाजों के सामान को लेने से मना करने या देरी करने के लिए किया जा रहा है.
एक अन्य खाद्य तेल खरीददार ने कहा कि कुछ जहाज कोलकाता बंदरगाह पर भी फंसे हुए हैं जबकि कुछ पश्चिमी समुद्री तटों पर रुके हैं. एक आयातक ने बताया, मैंगलोर में एक जहाज से कच्चा खाद्य तेल तो उतार लिया गया लेकिन रिफाइन्ड तेल को जहाज से निकालने की इजाजत नहीं दी गई.
मलेशिया के प्रधानमंत्री
महातिर मोहम्मद ने सोमवार को कहा कि वह भारत के खिलाफ किसी तरह की जवाबी
कार्रवाई नहीं करेंगे. महातिर ने कहा था कि हम भारत
के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई करने के लिए बहुत छोटे देश हैं. हमें इस
समस्या से बाहर निकलने के लिए दूसरे तरीकों और साधनों का इस्तेमाल करना
होगा.
महातिर तमाम मौकों पर कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने को लेकर भारत सरकार की तीखी आलोचना कर चुके हैं.
मलेशिया के 94 वर्षीय प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा था कि वह भारत सरकार
के आयात पर प्रतिबंध के फैसले को लेकर चिंतित हैं लेकिन वह गलत चीजों
को लेकर आवाज उठाना जारी रखेंगे भले ही इसकी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े.
बता दें कि 2019 में भारत मलेशिया के खाद्य तेल का सबसे बड़ा खरीदार था. साल 2019 में भारत
ने मलेशिया से 40 लाख टन तेल आयात किया था. भारतीय व्यापारियों का कहना है
कि अगर मलेशिया के साथ रिश्ते नहीं सुधरते हैं तो यह खरीदारी 10 लाख टन से
भी नीचे जा सकती है.