रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव के पाकिस्तान के दौरे के बाद से भारत-रूस के रिश्तों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, रूस ने पाकिस्तान से मजबूत होते द्विपक्षीय रिश्ते को लेकर अहम बयान दिया है. रूस का कहना है कि पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते महज सैन्य सहयोग तक सीमित है. नई दिल्ली में रूस के राजनयिकों ने बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग में यह बात कही. रूस का ये बयान तब सामने आया है जब मॉस्को की तरफ से पाकिस्तान को सैन्य उपकरण मुहैया कराने की बात कही गई है. रूस और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग को लेकर भी भारत में चिंता जाहिर की जा रही है. (फाइल फोटो-Getty Images)
नई दिल्ली स्थित दूतावास में रूसी राजदूत निकोले कुदाशेव और मिशन के डिप्टी चीफ रोमन बाबूशकिन ने कहा कि रूस के भारत और पाकिस्तान के साथ स्वतंत्र संबंध हैं, और इस्लामाबाद के साथ मास्को का सैन्य सहयोग आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए उपकरणों की आपूर्ति तक सीमित है.(फाइल फोटो-Getty Images)
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के इन शीर्ष राजनयिकों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अवधारणा और क्वाडिलेट्रल सिक्योरिटी डायलॉग यानी Quad देशों के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता जाहिर की है. निकोले कुदाशेव ने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि इसके जरिये पश्चिमी देशों की रणनीति का मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शीत युद्ध को फिर से बढ़ावा देने की है. (फोटो-ANI)
राजनयिकों ने इस साल होने वाले वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारी को लेकर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की हालिया नई दिल्ली यात्रा के संबंध में मीडिया को जानकारी दी. हालांकि, शीर्ष रूसी नेताओं की अधिकांश यात्राओं के उलट लावरोव भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं मिले और उन्होंने भारत के बाद पाकिस्तान की यात्रा की. (फोटो-PTI)
नई दिल्ली में रूसी मिशन के डिप्टी चीफ रोमन बाबूशकिन ने कहा, 'जहां तक पाकिस्तान का संबंध है, रूस और भारत के बीच मतभेद या गलतफहमी का कोई कारण नहीं है.' उन्होंने कहा, 'भारत और पाकिस्तान और अन्य देशों के साथ हमारे स्वतंत्र संबंध हैं, जबकि दोनों के संबंध उनकी अपनी-अपनी अहमियत के आधार पर तय होते हैं.' (फाइल फोटो-Getty Images)
रोमन बाबूशकिन ने कहा, 'रूस अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन कर रहा है और भारत के मुकाबले पाकिस्तान के साथ उसका सहयोग सीमित है. हालांकि, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई हमारा साझा एजेंडा है. इसलिए हम पाकिस्तान को आतंकवाद से निपटने के लिए सैन्य उपकरण मुहैया कराने और समर्पित युद्धाभ्यास करने में भी मदद कर रहे हैं.' (फाइल फोटो-Getty Images)
रूसी राजनयिक ने कहा कि रूस 1972 के शिमला समझौते और 1999 की लाहौर घोषणा का भी सम्मान करता है जिसमें कहा गया है कि भारत-पाकिस्तान मामले में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है और रूस का "हस्तक्षेप या पक्ष लेने का कोई इरादा नहीं है." उन्होंने भारत और पाकिस्तान की तरफ से नियंत्रण रेखा (LoC) पर 2003 के संघर्षविराम का पालन करने के निर्णय को "क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के मामले में एक बहुत महत्वपूर्ण कदम" बताया. (फाइल फोटो-Getty Images)
अमेरिका को भी सुनाई खरी-खोटी!
निकोले कुदाशेव ने सैन्य सहयोग को भारत-रूस संबंधों के सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक बताया और कहा कि काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरिज थ्रू संक्शंन्स एक्ट (CAATSA) के जरिये पाबंदी के खतरे के बावजूद रूस और भारत के बीच सैन्य समझौतों को अंजाम दिया गया. (रूसी राजनयिक निकोले कुदाशेव, फोटो-ANI)
असल में, शीर्ष रिपब्लिकन सीनेटर टॉड यंग ने भी रूसी-400 (मिसाइल) सिस्टम खरीदने के लिए अमेरिका की भारत पर कार्रवाई करने की कवायद का विरोध किया है. सीनेटर टॉड यंग ने CAATSA के तहत कदम न उठाने की बाइडेन प्रशासन से अपील की है. उन्होंने बाइडेन प्रशासन से आग्रह किया है कि CAATSA से भारत को छूट दी जाए. (फोटो-AP)
With regard to S-400 & the agreements, both sides are committed to the agreed timelines & that the obligations in this contract be successfully fulfilled, as to my knowledge: Nikolay Kudashev, Russian Envoy to India on visit of Russian Foreign Minister to India earlier this month pic.twitter.com/LZK1hrTp8b
— ANI (@ANI) April 14, 2021
निकोले कुदाशेव ने कहा, 'भारत के साथ हम द्विपक्षीय प्रतिबंधों को नहीं मानते हैं क्योंकि वे गैरकानूनी और अनुचित प्रतिस्पर्धा, दबाव और यहां तक कि ब्लैकमेल के गैर कानूनी औजार हैं. रूस और भारत के बीच सैन्य सौदा दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मौजूदगी में किया गया था.' (फाइल फोटो-Getty Images)
रूसी राजनयिक ने कहा, 'एस-400 एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम और अन्य समझौतों के संबंध में दोनों पक्ष समयसीमा को लेकर सहमत हैं और अन्य दायित्वों के लिए प्रतिबद्ध हैं.' इस दौरान निकोले कुदाशेव ने 5.4 बिलियन डॉलर के पांच एस-400 एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेकर किए गए करार का भी जिक्र किया. (फोटो-Getty Images)
निकोले कुदाशेव ने कहा कि भारत, रूस का करीबी दोस्त और भरोसेमंद साझेदार है, और दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान सहित वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर चर्चाएं की हैं. हालांकि मॉस्को में हिंद-प्रशांत रणनीति को लेकर चिंताएं जाहिर की जा रही हैं. (फाइल फोटो-Getty Images)
कुदाशेव और बाबुशकिन दोनों ने अफगानिस्तान में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयासों में भारत को एक महत्वपूर्ण भागीदार बताया और कहा कि नई दिल्ली मॉस्को फॉरमेट और अंततः "विस्तारित ट्रोइका" के तहत चर्चा का हिस्सा होगा. उन्होंने कहा कि भारत युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में समाधान खोजने के प्रयासों में क्षेत्रीय सहमति बनाने में मदद कर सकता है. (फाइल फोटो-Getty Images)
पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत-चीन के बीच गतिरोध के सवाल पर बाबुशकिन ने कहा, हम एलएसी पर होने वाली गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं, और हम लगातार यह प्रयास कर रहे हैं कि भारत और चीन आपस में मामले को सुलझा लें. हम दोनों देशों के बीच सकारात्मक और रचनात्मक बातचीत को बढ़ावा दे रहे हैं.(फाइल फोटो-Getty Images)