रूस के विदेश मंत्री सेर्गई लावरोव ने मंगलवार को कहा है कि पश्चिमी ताकतें चीन के खिलाफ अपने खेल में भारत को शामिल करने के लिए आक्रामक और छल-कपटपूर्ण नीति का इस्तेमाल कर रही हैं. लावरोव ने पश्चिमी देशों पर ये भी आरोप लगाया कि वे रूस के करीबी साझेदार भारत के साथ उसके रिश्तों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.
रूस के विदेश मंत्री ने ये बयान रूस के सरकारी थिंक टैंक रशियन अफेयर्स काउंसिल काउंसिल की सभा के दौरान दिया. रूस ने चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने वाली अमेरिका की हिंद-प्रशांत की रणनीति को भी निशाने पर लिया. अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति में जापान, ऑस्ट्रेलिया के अलावा भारत की भी अहम भूमिका है. ट्रंप प्रशासन ने लद्दाख में हुए सैन्य संघर्ष के बाद कई बार चीन के 'विस्तारवादी रुख' की आलोचना की और भारत के साथ मजबूत साझेदारी को रेखांकित किया है.
रूस और भारत में ऐतिहासिक रूप से अच्छे संबंध रहे हैं. दोनों देशों के बीच इतने गहरे संबंध रहे हैं कि अमेरिका तक को आपत्ति रही है. नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक ने रूस को अपनी विदेश नीति में अहम जगह दी. जब तक सोवियत संघ रहा तब तक भारत वहां की व्यवस्था से प्रेरणा लेता रहा और उसके पतन के बाद भी रिश्तों में कड़वाहट नहीं आई. हालांकि, दूसरी तरफ, रूस और चीन के संबंध भी अच्छे रहे हैं. ऐसे में, भारत के लिए अमेरिका और रूस की प्रतिस्पर्धा एक बड़ी चुनौती बन जाती है.
रूस के विदेश मंत्री ने पश्चिमी ताकतों की आलोचना करते हुए कहा, पश्चिमी देशों को लगता है कि सिर्फ उनकी स्थिति और उनकी कोशिशें ही सही हो सकती हैं. रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि रूस तमाम मतभेदों के बावजूद वैश्विक संगठनों के दायरे में रहकर काम करना चाहता है. उन्होंने कहा, पश्चिमी देश एकध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था कायम करना चाहते हैं लेकिन रूस और चीन कभी भी उसके पिछलग्गू नहीं बनेंगे.
लावरोव ने कहा, भारत इस वक्त पश्चिमी देशों की आक्रामक, नियमित और छलपूर्ण नीति का टारगेट बन गया है क्योंकि वे इंडो-पैसेफिक या कथित क्वैड को बढ़ावा देकर चीन के खिलाफ अपने खेल में उसे शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी तरफ, पश्चिमी देश भारत के साथ हमारे खास और करीबी रिश्तों को भी कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.
रूस के विदेश मंत्री ने कहा, मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल को लेकर भी भारत पर अमेरिका के दबाव का यही मकसद है. लावरोव संभवत: एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर रूस के साथ हुई भारत की 5.4 अरब डॉलर की डील का जिक्र कर रहे थे. अमेरिका इस डील का विरोध करता रहा है और प्रतिबंध लगाने की बात करता है.
रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने बहुध्रुवीय दुनिया की व्यवस्था को खारिज कर दिया है. पश्चिम, रूस और चीन को दरकिनार करते हुए अपनी एकध्रुवीय दुनिया में बाकियों को भी हर तरीके से घसीटने की कोशिश कर रहा है.
हालांकि, लावरोव के बयान को लेकर अभी तक भारत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. इससे पहले भारत ने कहा था कि रूस के साथ भारत के संबंध वक्त की कसौटी पर खरे उतर चुके हैं और अमेरिका के साथ उसकी बढ़ती साझेदारी का इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
रूस ने पिछले कुछ महीनों में कई बार भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को शांत कराने की कोशिश की है. सितंबर महीने में रूस ने शंघाई सहयोग संगठन के विदेश और रक्षा मंत्रियों की बैठक कराई थी जिसमें भारतीय और चीनी मंत्री भी शामिल हुए थे. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके समकक्ष वांग यी ने बैठक में तनाव घटाने पर सहमति जताई थी लेकिन तमाम दौर की वार्ता के बावजूद एलएसी पर कोई खास प्रगति नहीं हो पाई.