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विश्व

सऊदी अरब से दान में चावल की बोरियां लेकर लौटे इमरान खान, विपक्ष ने घेरा

Saudi rice charity for Pakistan
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प्रधानमंत्री इमरान खान की यात्रा के बाद सऊदी अरब से जकात के तौर पर मिले चावल को लेकर पाकिस्तान में अब नया विवाद छिड़ गया है. सऊदी अरब की मदद मुहैया कराने वाली एजेंसी 'किंग सलमान ह्यूमैनिटेरीअन एड एंड रिलीफ सेंटर' ने हाल ही में जकात अल फितर प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान को 19,032 बोरी यानी 440 टन चावल मुहैया कराने का ऐलान किया था. यह चावल पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में वितरित किया जा रहा है.  

(फोटो-Getty Images)

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सऊदी अरब से मिले चावल को प्रांतीय सरकार के जरिये नौ जिलों के 114,192 लाभार्थियों में बांटा जा रहा है. पंजाब प्रांत के लाहौर, फैसलाबाद, साहिवाल और खानेवाल और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के लक्की मरवत, टैंक, बाजौर, लोअर डर तथा डेरा इस्माइल खान जिले में चावल वितरित किया जा रहा है.

(फोटो-Getty Images)

Saudi rice charity for Pakistan
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पीएम इमरान खान की यात्रा के तुरंत बाद चावल के जरिए मदद का ऐलान किया गया. इसलिए इस चैरिटी को पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की सऊदी यात्रा से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, इसे लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश के भीतर ही बुरी तरह घिर गए हैं.

(फोटो-Getty Images)

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सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के जाने-माने लोगों के सवाल उठाए जाने के बाद सऊदी से जकात (दान) में मिले चावल को लेकर विपक्ष ने भी इमरान खान की सरकार को घेरा है.  

(फोटो-Getty Images)

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पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने इमरान खान की सऊदी यात्रा को नाकाम करार दिया है. बिलावल भुट्टो ने जारी बयान में कहा कि पीएम इमरान खान ने फितरा और जकात के रूप में सऊदी अरब से दान में चावल की 19,000 बोरियों के अलावा कुछ भी हासिल नहीं किया है.

(फोटो-Getty Images) 

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बिलावल भुट्टो-जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान को जितना चावल मिला है उससे कहीं ज्यादा इमरान खान की सऊदी की यात्रा पर खर्च हो गया. उन्होंने कहा, 'दान में मिली चावल की बोरियों की कीमत इमरान खान द्वारा दो दर्जन दोस्तों और मंत्रियों के साथ सऊदी के दौरे पर किए गए खर्च से तुलनात्मक रूप से कम है.' 


(फोटो-AP)

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पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष ने कटाक्ष करते हुए पूछा, 'क्या 22 सालों के संघर्ष के बाद इमरान खान इसीलिए प्रधानमंत्री बने हैं कि परमाणु शक्ति वाले देश के लिए चावल की बोरियां ला सकें?' 

(फोटो-AP) 

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इससे पहले सोशल मीडिया पर लोगों ने दान में मिले चावल को लेकर इमरान खान की सरकार पर सवाल खड़े किए थे. अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी ने इस मसले पर बिना नाम लिए इमरान खान की सरकार पर निशाना साधा था. हुसैन हक्कानी ने कहा, 'हाल के दिनों तक चावल के बड़े निर्यातक रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब से मदद के तौर पर 19,032 बोरी चावल की जरूरत क्यों पड़ी? सऊदी अरब की उदारता के लिए उसका आभार जताने के साथ-साथ अपने देश की विफलता के लिए आत्ममंथन की भी जरूरत है. 

(फोटो-Getty Images)

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पाकिस्तान के मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. कैसर बंगाली का कहना था कि गरीबी घटाने और विकास के नाम पर पिछले चार सालों से अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई और चीन के सामने भीख मांगने के बाद अब पंजाब और खैबर पख्तूनख्वां के जरूरतमंद परिवारों के लिए सऊदी अरब से चावल लेने की नौबत आ गई है. उन्होंने सरकार और सेना से सवाल करते हुए लिखा था, क्या रावलपिंडी-इस्लामाबाद में थोड़ी भी शर्म बची है? 

(फोटो-Getty Images) 

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बहरहाल, इमरान खान की सरकार ने जकात के तौर पर मिले चावल को लेकर अपना बचाव किया है. डॉन से बातचीत में प्रधानमंत्री के विशेष सहयोगी ताहिर अशरफी ने कहा कि पाकिस्तान को दान मिलना कोई नई बात नहीं है. अतीत में भी पाकिस्तान के गरीबों को दान मिलता रहा है.

(फोटो-Getty Images) 

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ताहिर अशरफी ने कहा कि इस बार दान सऊदी अरब से मिला है. उन्होंने कहा कि इस बार अंतर सिर्फ इतना है कि सउदी अरब लोगों और किसी समूह को देने के बजाय, इसे सरकार के सहयोग से वितरित किया जा रहा है. 

(फोटो-AP) 

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ताहिर अशरफी ने बताया कि इस वर्ष चावल बांटने का फैसला कम से कम एक महीना पहले लिया गया था. मदद मुहैया कराने वाली सऊदी की उसी एजेंसी ने कुछ सप्ताह पहले कोविड-19 से निपटने के लिए मदद भेजी थी, लेकिन तब किसी ने इसकी आलोचना नहीं की. उन्होंने कहा कि वह इस मसले पर सरकार की आलोचना से बहुत निराश हैं.

(फोटो-Getty Images) 

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