हैरत की बात ये हुई कि कई बच्चों के रिश्तेदार, अपने बच्चे को साथ ले जाने को राज़ी नहीं थे.
पुलिस को शक है कि ये उन मदरसों में शामिल है जहां मज़हबी तालीम और जिहाद के नाम पर बच्चों के दिमाग़ में ज़हर भरा जाता है. बेड़ियों से आज़ाद कराने के बाद पुलिस इन सभी को थाने ले आई. पुलिस की मानें तो इनमें से कुछ नशेड़ी भी हैं जिन्हें सुधारने के लिए
मदरसे में भर्ती कराया गया था.
पाकिस्तान पुलिस ने जब यहां छापा मारा तो लड़कों ने अपना दर्द बयां किया. बच्चों को मदरसे के बेसमेंट में जानवरों की तरह रखा गया था. ना पेट भर खाना ना आज़ादी की सांस, ऊपर से बेरहम पिटाई. मदरसे में आख़िर ये सलूक क्यों? बच्चों के पांव में बेड़ियां क्यों? क्या इन्हें आतंकवादी बनाने के मकसद से क़ैद किया गया था?
जहां तालीम के दम पर इंसान को सच्चा इंसान बनाए जाने के दावे किए जाते हैं, वहां की असलियत कुछ और ही है.
अंदेशा इस बात का है कि उन्हें आत्मघाती हमलावर बनाने के लिए आतंकवाद की ट्रेनिंग देने के लिए रखा गया था.
पाकिस्तान में मज़हबी तालीम के नाम पर किस तरह आतंकवाद के कारख़ाने चलाए जा रहे हैं.
ये शक एक बार फिर मज़बूत हुआ है. कराची के एक मदरसे पर छापा मारकर पुलिस ने 54 छात्रों को आज़ाद कराया.
कराची के ज़कारिया मदरसे के बेसमेंट में ज़ंज़ीरों से बांध कर रखे गए थे 54 लोग. इनमें बच्चे भी थे और नौजवान भी. कुछ तो बेहद छोटे बच्चे- 5-6 साल के.
उन्होंने जो वजह बताई वो भी चौंकाने वाली थी. एक मदरसे की ये कड़वी सच्चाई ज़ाहिर होने से पाकिस्तान सरकार की फ़िक्र भी दिखाई दे रही है.
पाकिस्तान पुलिस के भी कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है ज़करिया नाम के मदरसे में बच्चों को अवैध गतिविधियों के लिए तैयार किया जाना था.
यहां मदरसे के नाम पर चलाए जा रहे दहशत के कारखाने से जिन बच्चों को रिहा करवाया गया है. उनमें से ज़्यादातर का ताल्लुक खैबर पखतूनख्वाह प्रांत से है.
पाकिस्तान के कराची में जिन 60 बच्चों और युवाओं को छुड़ाया गया है उसके तार भी तालिबान से जुड़े होने का शक है.
तालिबान का नाम आते ही आतंक की बू आने लगती है, तालिबान ना तो मासूमो को बख्शता है और ना ही नौजवानों को. तालिबान ने अबतक ना जाने कितने मानव बम तैयार किये हैं.
पाकिस्तान सरकार भी आतंक की इस फैक्ट्री से हक्का बक्का रह गई. तालिबान कितना घिनौना खेल खेल सकता है, इसका ये जीता जागता सबूत है.
क्या इन्हे मानव बम बनाया जा रहा था, क्या इन्हें कोई नई तबाही फैलाने के लिए मजबूर किया जा रहा था. जी हां कराची के तहखाने से जो कुछ सामने आया है.
ज़करिया नाम के इस मदरसे से जो सच्चाई निकल आ रही है वो ये है कि जिन लड़कों ने तालिबान का विरोध किया था उन्हें उल्टा लटका कर बेरहमी से पीटा जाता था.
कहा जाता है कि इन बच्चों से तालिबान के कुछ सदस्य मिलने आते थे और उन्हें आतंकवादी बनाने को कह रहे थे.लेकिन वो अपने मंसूबों में कामयाब होते उससे पहले ही पुलिस ने इन्हे छुड़ा लिया.
पाकिस्तान की पुलिस ने इस काले तहखाने की सारी पोल खोलकर रख दी और बच्चों से बातचीत में जो सच्चाई सामने आयी वो बेहद ख़ौफनाक और दिल दहलाने वाली थी.
कहा जाता है कि एक मदरसे में तालीम और इलाज के नाम पर इन बच्चों को ज़जीरों से बांधकर रखा गया था.
एक कोठरी में 60 बच्चों को कैद किया गया है. यहां इन्हें जबरन जंजीरों में जकड़कर आंतकी ट्रेनिंग लेने के लिए मजबूर किया जा रहा था. ऐसे में इसे आतंक की फैक्ट्री कहा जाए तो शायद ग़लत ना होगा.
कराची की ज़मीन के भीतर से एक ख़ौफनाक तस्वीर बाहर आयी है. वो तस्वीर है आतंक की फैक्ट्री की. जहां मासूम बच्चों से लेकर नौजवानों के साथ जानवरों जैसा सलूक किय़ा जा रहा था.
कराची की काली कहानी. वही कराची जिसे आत्मघाती हमलावर बार बार लहू लुहान करते हैं.