सोने की लंका में अनाज के लिए मारा-मारी मची है...दूध-दवा की किल्लत चरम पर है...16-16 घंटे की बिजली कटौती है...ATM खाली हैं...घरेलू सिलेंडर के लिए लंबी लाइनें लगी हैं...ऑट्रो ड्राइवर ईंधन के इंतजार में हैं...बच्चे-महिलाएं बेबस हैं..
इस मुल्क में गूंज है बस 'गो गोटाबाया गो' की... कुल मिलाकर कहें तो श्रीलंका में स्थिति पूरी तरह आउट ऑफ कंट्रोल है. इन हालातों के बीच श्रीलंका में आम लोगों की जिंदगी कैसे गुजर रही है, इन तस्वीरों से समझ सकते हैं...
सिलेंडर के लिए किलोमीटर में लाइन
आजाद होने के बाद श्रीलंका में इस तरह का संकट पहली बार सामने आया है. मार्च के आखिर से ही राजधानी कोलंबो में प्रदर्शन जारी है. परेशान लोग सड़कों पर उतर चुके हैं. इस बीच बुनियादी जरूरतों के लिए भी लोगों को जंग लड़नी पड़ रही है. इस तस्वीर में घरेलू सिलेंडर के लिए लगी लाइन आप देख रहे हैं. ये लाइन किलोमीटर तक पहुंच जा रही है. इस लाइन में बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग सब खड़े हो रहे हैं...
ईंधन के इंतजार में ऑटो ड्राइवर
पेट्रोल डीजल की किल्लत ने सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था को रोक दिया है. बताया जा रहा है कि यहां अधिकांश पेट्रोल पंपों में पेट्रोल-डीजल नहीं है, जहां उपलब्ध है वहां का मंजर कुछ ऐसा है. जानकारी के मुताबिक, श्रीलंका के बाजार में लंका आईओसी की हिस्सेदारी एक तिहाई है, बाकी दो-तिहाई मार्केट पर सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन का कब्जा है. इस साल श्रीलंका में पेट्रोल की कीमत में 90 फीसदी और डीजल की कीमत 138 फीसदी बढ़ चुकी है. हालांकि इस तेजी के बावजूद श्रीलंका में पेट्रोल और डीजल की कीमत भारत के मुकाबले कम है.
महंगाई की दर 17 फीसदी के पार
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अभी श्रीलंका में महंगाई की दर 17 फीसदी को भी पार कर चुकी है. ये पूरे दक्षिण एशिया के किसी भी देश में महंगाई का सबसे भयानक स्तर है. श्रीलंकाई रुपये की वैल्यू पिछले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले 80 फीसदी से ज्यादा कम हो चुकी है. मार्च में श्रीलंका में 1 डॉलर की कीमत 201 श्रीलंकाई रुपये थी जो अब 360 श्रीलंकाई रुपये पर आ चुकी है. इसकी सीधी मार आम लोगों पर पड़ी है.
ऑटा-चावल-अड्डा-तेल की किल्लत
देश के सामने सबसे बड़ा मुद्दा आर्थिक संकट का है. लोगों को तेल, गैस, दवाइयां, अंडे, चावल, आटा नहीं मिल रहे हैं. उसके लिए श्रीलंका अभी दूसरे देशों पर निर्भर है. इस आर्थिक संकट को डील करना सबसे बड़ी चुनौती है. लोगों में जो निराशा है वो अपनी लीडरशिप को लेकर है.
अपील-आश्वासन ही मात्र विकल्प
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने ट्विटर पर प्रदर्शनकारियों से अपील की थी कि वे चाहे जिस भी पार्टी के हों लेकिन शांत रहें और हिंसा रोक दें. नागरिकों के खिलाफ बदले की कार्रवाई न करें. उन्होंने कहा कि संवैधानिक जनादेश और आम सहमति के जरिए राजनीतिक स्थिरता बहाल करने और आर्थिक संकट को दूर करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे.
श्रीलंका में कर्फ्यू लागू होने के बाद भी हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. भीड़ ने मंगलवार को कोलंबो में प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास के पास एक शीर्ष श्रीलंकाई पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट की और उनके वाहन में आग लगा दी थी. वरिष्ठ उप महानिरीक्षक देशबंधु तेनाकून कोलंबो में सर्वोच्च पद के अधिकारी हैं, उन्हें तुरंत इलाज की जरूरत है, उन्हें घर भेज दिया गया है. उन्होंने बताया कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए अधिकारी ने हवाई फायरिंग की थी.
प्रदर्शनकारियों को गोली मारने का आदेश
श्रीलंका में सोमवार को प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद भी विरोध प्रदर्शन जारी है. वहीं सड़कों पर जारी हिंसक प्रदर्शन को दबाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को शूट ऑन साइट (देखते ही गोली मार देना) का आदेश जारी कर दिया है. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री कहां हैं, ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है.
पूर्व पीएम का घर फूंक दिया
मंगलवार को महिंदा राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद भी प्रदर्शनकारियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ और उन्होंने राजपक्षे के पैतृक घर में आग लगा दी. यही नहीं, भारी हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई है, जिसमें एक राजपक्षे की पार्टी के सांसद भी शामिल थे. श्रीलंका के बेहद खराब हालात को देखते हुए अब गृहयुद्ध की आशंका बढ़ती जा रही है.
12 मंत्रियों के घर जलाए गए
इस हिंसा में 8 लोगों की मौत हुई है, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हैं, अब तक 12 से ज्यादा मंत्रियों के घर जलाए जा चुके हैं. विपक्षी नेताओं ने महिंदा को गिरफ्तार करने की मांग की मांग कर रहे हैं.
भारत में नहीं हैं महेंद्रा राजपक्षे
राजपक्षे परिवार को लेकर सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही इस जानकारी के बाद श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग (Indian High Commission) ने बयान जारी किया है. उच्चायोग ने कहा है कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही जानकारी पूरी तरह फर्जी है. यह सिर्फ एक अफवाह है. बता दें कि भारत ने श्रीलंका की स्थिति पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का समर्थन करता है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के जरिए श्रीलंका के लोगों के हित में काम करता रहेगा.
ईस्टर पर ब्लास्ट से शुरू हुआ पतन
21 अप्रैल 2019 को ईस्टर के मौके पर श्रीलंका सीरियल ब्लास्ट से थरथरा उठा था. इस हमले का सीधा असर श्रीलंका के टूरिज्म पर पड़ा था. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में टूरिज्म का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. इसे भी श्रीलंका के कंगाली का अहम कड़ी माना जाता है.
विदेशी कर्ज लौटा पाने में असमर्थ
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था दो साल पहले तक दक्षिण एशिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक मानी जाती थी. कोरोना महामारी की दस्तक से पहले 2019 में विश्व बैंक ने श्रीलंका को दुनिया के हाई मिडिल इनकम वाले देशों की कैटेगरी में अपग्रेड किया था, लेकिन दो साल में श्रीलंका की इकोनॉमी अर्श से फर्श पर आ गई. श्रीलंका अब अपना विदेशी कर्ज लौटा पाने में असमर्थ हो चुका है.