तालिबान से जूझ रही अफगानिस्तान सरकार को लगातार झटके लग रहे हैं. निशाना बनाए जाने और लड़ाकू विमानों की खस्ता हालत से अफगान वायुसेना के पायलट नौकरी छोड़ने को मजबूर हैं.
दरअसल, तालिबान ने एक हफ्ते से भी कम समय में छठवें शहर पर कब्जा कर लिया है. इससे अफगानिस्तान को इस्लामिक चरमपंथियों के हाथों से बाहर रखने की कोशिश कर रहे सरकारी सुरक्षा बलों को एक और झटका लगा है. डेली मेल की रिपोर्ट्स के मुताबिक, समांगन प्रांत की राजधानी ऐबक पर सोमवार सुबह जिहादी गुट ने कब्जा कर लिया. तालिबान ने ट्वीट कर बताया कि ऐबक के सभी सरकारी और पुलिस चौकियों पर कब्जा कर लिया गया है.
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डेली मेल ने समांगन प्रांत के डिप्टी गवर्नर सेफतुल्लाह सामंगानी के हवाले से भी पुष्टि की कि शहर अब तालिबान के 'पूर्ण नियंत्रण' में हैं. कुंदुज, सर-ए-पुल और तालोकान पर कब्जा करने के ठीक एक दिन बाद ऐबक पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है. तालिबान ने जरंज और शेबरघन शहर पर पिछले सप्ताह कब्जा कर लिया था. लश्कर गाह, कंधार और हेरात में भीषण लड़ाई अभी भी जारी है, जबकि तालिबान का दावा है कि अफगानिस्तान के उत्तर में सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ पर हमला किया गया.
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इस बीच, यह पता चला कि तालिबान का निशाना बन रहे पायलट अफगान सेना को छोड़ रहे हैं. इससे अफगान सैनिक हवाई समर्थन से वंचित हो रहे हैं जबकि वायु सेना को तालिबान के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.
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हाल के हफ्तों में आठ पायलटों की हत्या हुई है. इसमें ब्लैक हॉक पायलट हमीदुल्लाह अज़ीमी शामिल हैं जिन्हें शनिवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पास निशाना बनाया गया था. अज़ीमी के कार में बम लगाया गया था जिसके फटने से उनकी मौत हो गई. इसमें पांच नागरिक भी घायल हो गए थे.
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नाम न उजागर करने की शर्त पर 'द टाइम्स' से बात करते हुए एक पायलट ने बताया कि वह उन 19 सहयोगियों के बारे में जानते हैं जिन्होंने हाल के हफ्तों में वायु सेना छोड़ी है क्योंकि सरकार उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे पा रही है. अफगान वायु सेना के इस पायलट ने कहा, 'मैं दस साल से विमान उड़ा रहा हूं. जिस दिन से मैंने अपनी वर्दी पहनी थी, मैंने खून की आखिरी बूंद तक अपने देश की रक्षा करने की कसम खाई थी...'
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तालिबान के खतरे के बारे में बात करते हुए पायलट ने कहा, 'अपनी सुरक्षा के वास्ते मुझे रोज कार बदलनी पड़ती है. काम पर जाने के लिए मुझे अपने दोस्तों की कार उधार लेनी पड़ती है. मैं अपने घर के बाहर समय नहीं बिता सकता. मैं अपनी पहचान की रक्षा और जोखिम को कम करने के लिए खरीदारी करने, बाल कटवाने तक नहीं जा सकता. अब मैं अपनी नौकरी छोड़ने के बारे में सोच रहा हूं. अगर सरकार मेरे परिवार की सुरक्षा की गारंटी दे सकती है तो मैं बेस पर रहूंगा और हमेशा के लिए लड़ूंगा.'
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तालिबान मीडिया हस्तियों को भी निशाना बना रहा है. रेडियो के स्टेशन होस्ट तूफ़ान उमर की सोमवार को काबुल में गोली मारकर हत्या कर दी गई. स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इस बीच, हेलमंद प्रांत में कार्यरत पत्रकार नेमातुल्लाह हेमत का सोमवार को तालिबान ने अगवा कर लिया.
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मजार-ए-शरीफ पर हमलाः हालांकि, सरकारी अधिकारियों ने मजार-ए-शरीफ पर तालिबान के हमले को खारिज किया है और इसे झूठा प्रचार कर दिया है. इससे पहले तालिबान ने हजरत सुल्तान में एक प्रमुख अफगान सेना बेस पर कब्जा कर लिया था जो कुंदुज और मजार-ए-शरीफ के बीच स्थित है.
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सोशल मीडिया चैनलों पर पोस्ट वीडियो में देखा जा सकता है कि तालिबान के लड़ाके सैन्य बेस पर नजर आ रहे हैं. तालिबान ने हजरत सुल्तान में अफगान सेना बेस पर बिना किसी प्रतिरोध के कब्जा पाने में कामयाब रहा. बख्तरबंद ट्रकों सहित कोई 50 वाहन भी तालिबान के हाथों लग गए हैं.
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मजार के कद्दावर नेता अट्टा मोहम्मद नूर ने सोमवार को शहर के लिए लड़ने का संकल्प लेते हुए कहा, 'मेरे खून की आखिरी बूंद तक प्रतिरोध' होगा. उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं निराशा में मरने के बजाय मर्यादा के साथ मरना पसंद करता हूं.'
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असल में, अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी से अफगान वायु सेना को झटका लगा है, क्योंकि लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टर्स की देख-रेख करने वाले अमेरिकी ठेकेदारों ने भी अफगानिस्तान छोड़ दिया.
अफगान सेना के लगभग एक तिहाई विमान क्षतिग्रस्त स्थिति में पड़े हुए हैं. कई विमान स्पेयर पार्ट्स की कमी के कारण उड़ान नहीं भर सकते. इससे पायलटों का मनोबल गिरा है. इसके बाद हत्याओं के कारण मनोबल को और धक्का लगा, क्योंकि काबुल तक में भी पायलट असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
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तालिबान के खिलाफ कारगरः तालिबान से लोहा लेने में अफगान वायु सेना को सबसे कारगर माना जाता है. वायु सेना में अनुभवी और लड़ाकू पायलट हैं लेकिन क्षतिग्रस्त विमानों और निशाना बनाए जाने की वजह से उनका मनोबल टूट रहा है. अफगानिस्तान सरकार के लिए लड़ने वाले अमेरिकी बमवर्षक विमानों को भी ओमान से उड़ान भरनी पड़ रही है.
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इन सब दुश्वारियों के बीच लश्कर गाह में तालिबान को रोकने में कामयाबी मिली है. क्योंकि शहर पर कब्जा को तैयार तालिबान पर वक्त से पहले ही अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने बम बरसाने शुरू कर दिया लेकिन तालिबान के कमाडरों का कहना है कि वो लश्कर गाह पर कब्जा कर लेंगे क्योंकि उन्हें पूरा भरोसा है कि अमेरिका अंततः अपना हवाई समर्थन वापस ले लेगा.
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