अफगानिस्तान में तालिबान का दबदबा बढ़ने से न सिर्फ पड़ोसी मुल्कों बल्कि पाकिस्तान के सिर पर भी बल पड़ गए हैं. पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) मोईद युसूफ ने शुक्रवार को अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात पर चिंता जाहिर की. उन्होंने अफगानिस्तान की स्थिति को बेहद खराब और पाकिस्तान के काबू से बाहर बताया.
(फोटो-AP)
विदेश मामलों की सीनेट समिति को जानकारी देते हुए मोईद युसूफ ने तहरीक-ए-तालिबान के संभावित हमले के जोखिम की चेतावनी दी. उनका कहना था कि शरणार्थियों के रूप में तालिबान के लोग पाकिस्तान में दाखिल हो सकते हैं. उन्होंने पाकिस्तान में तालिबान की मौजूदगी से इनकार किया है और इसे लेकर दुष्प्रचार करने का भारत के माथे आरोप मढ़ दिया.
(फोटो-AP)
मोईद युसूफ ने कहा कि पाकिस्तान अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद बदलती स्थिति को लेकर बहुत चिंतित है. अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा और गृहयुद्ध का असर पाकिस्तान पर भी पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में तभी शांति हो सकती है जब अफगानिस्तान में शांति हो.
(फोटो-AP)
डॉन अखबार ने मोईद युसूफ ने हवाले से कहा कि अफगान सरकार अगर शांति चाहती है तो उसे पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने पर काम करने की जरूरत है. मोईद युसूफ ने कहा, मुझे नहीं लगता है कि अमेरिका अफगानिस्तान को वित्तीय पैकज की पेशकश कर रहा है. केवल पाकिस्तान ही है जो अफगानिस्तान को व्यापार करने का रास्ता मुहैया करा सकता है. पाकिस्तान अफगानिस्तान को ट्रेड रूट मुहैया करा सकता है. पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी को अफगान शरणार्थियों के लिए शिविर स्थापित करने की जरूरत है.
(फोटो-AP)
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी सीनेट कमेटी को ब्रीफ किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को गृह युद्ध से बचने के लिए सत्ता में साझेदारी का सुझाव दिया है. पाकिस्तान अफगान सरकार में तालिबान की साझेदारी की हिमायत करता रहा है.
(फोटो-AP)
शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान में गृहयुद्ध की स्थिति में पाकिस्तान में शरणार्थियों की संख्या बढ़ेगी और फिर उन्हें संभालना मुश्किल होगा. पाकिस्तान चाहता है कि देश में 300,000 शरणार्थी अपने देश लौट जाएं.
(फोटो-Getty Images)
शाह महमूद कुरैशी ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में उज्बेकिस्तान में भाग लेने वाले अफगानिस्तान पर एक महत्वपूर्ण सम्मेलन के दौरान वह नरम रुख नहीं अपनाएंगे. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान अकेला स्टेकहोल्डर्स नहीं है और वह सम्मेलन में अपना रुख मजबूती से रखेगा.
(फोटो-Getty Images)
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा, "अफगानिस्तान में स्थिति बिगड़ती जा रही है और बिगड़ते हालात के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है." शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि तालिबान को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के वार्ता में भाग लेने पर आपत्ति थी. समय के साथ तालिबान होशियारी दिखाने लगा है. तालिबान दोहा वार्ता के बाद बदल गया है.
(फोटो-IANS)
कुरैशी भी अफगानिस्तान के बहाने भारत पर आरोप लगाने से नहीं चूके. मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संसाधनों की कमी है और पाकिस्तान को युद्धग्रस्त देश में बदलती स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि भारत वहां शांति प्रक्रिया को तोड़ना चाहता है.
(फोटो-Getty Images)
कुरैशी ने कहा कि भारत न तो अफगानिस्तान में स्थिरता चाहता है और न ही पाकिस्तान में...और हमने अमेरिका, यूरोपीय देशों और अन्य को इस बारे में बता चुके हैं. भारत का नाम लिए बिना पाकिस्तान के विदेश मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि कुछ तत्व है जो अफगानिस्तान में शांति नहीं चाहते हैं.
(फोटो-Getty Images)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को कहा कि यह बात साफ है कि शांतिपूर्ण समझौते का समर्थन करने में उस क्षेत्र के देशों को एक आवश्यक भूमिका निभानी है. हम उनके साथ काम करेंगे. उन्हें भी अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने में मदद करनी चाहिए. अमेरिका पाकिस्तान को अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में शामिल करने की बात कहता रहा है. लेकिन पाकिस्तान अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए तालिबान की सरकार में साझेदारी की हिमायत करता रहा है. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान तालिबान के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तानी एयरबेस को देने से मना कर चुके हैं.
(फोटो-AP)