अफगानिस्तान के विभिन्न हिस्सों पर तालिबान तेजी से कब्जा कर रहा है. अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर दुनिया के कई देश चिंतित हैं जिनमें भारत और रूस भी शामिल हैं. रूस ने कहा है कि अफगानिस्तान में भारत के अहम हित हैं और नई दिल्ली को तय करना है कि युद्धग्रस्त देश में उसे किस सीमा तक अपनी भागीदारी बढ़ानी है.
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रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन और राजदूत निकोलाए कुदाशेव ने बुधवार को कहा कि भारत और रूस दोनों ही संबंधित पक्षों की प्रतिबद्धताओं पर आधारित अंतर-अफगान वार्ता का समर्थन करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य की अफगान सरकार समावेशी हो.
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोमन बाबुश्किन ने कहा कि अफगानिस्तान के मौजूदा हालात में तालिबान एक सच्चाई है. सभी जातीय समूहों के प्रतिनिधित्व वाली समावेशी सरकार के गठन से ही संघर्षग्रस्त देश में शांति और स्थिरता का रास्ता खुलेगा. रोमन बाबुश्किन ने कहा कि रूस और भारत दोनों अफगानिस्तान में वार्ता प्रक्रिया का समर्थन कर रहे हैं. दोनों देश सक्रिय रूप से अफगानिस्तान में उपजी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं.
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The role of India & regional players is certainly very important. Taliban is the current reality in Afghanistan, it's a part of intra-Afghan talks which we believed should be a solution for normalization: Russian Deputy Chief of Mission, Roman Babushkin pic.twitter.com/dKsLi3xazZ
— ANI (@ANI) July 14, 2021
रोमन बाबुश्किन ने कहा कि तालिबान को वैधता हासिल करने के लिए आतंकवाद और अन्य संबंधित मुद्दों से निपटना होगा. अफगानिस्तान में जो स्थिति पैदा हो रही है, उसका कोई सैन्य समाधान नहीं है. अफगानिस्तान को स्वतंत्र, संप्रभु, एकजुट और लोकतांत्रिक देश बनाने में अफगानियों का समर्थन करना बेहद महत्वपूर्ण है. पश्चिमी देशों के सैनिकों की तेजी से वापसी शुरू होने के बाद क्षेत्रीय प्रयास और भी महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं.
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Taliban is a reality in Afghanistan says Russian Deputy Envoy Roman Babushkin. Calls Doha meet "encourging" https://t.co/xoMANB8Efx pic.twitter.com/bai1pMwPWT
— Sidhant Sibal (@sidhant) July 14, 2021
बाबुश्किन ने कहा कि अफगानिस्तान एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है और इसका कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा, तालिबान अभी अफगानिस्तान में हकीकत है. यह अंतर-अफगान वार्ता में एक पार्टी है. हमें लगता है कि उसे सामान्यीकरण और एक ऐसी समावेशी सरकार की स्थापना के लिए समाधान तलाशना चाहिए जिसमें सभी प्रमुख जातीय समूह शामिल हों.
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तालिबान की आतंकवादी गतिविधियों के सवाल पर बाबुश्किन ने कहा कि इस मुद्दे पर रूस का रुख नहीं बदला है. उन्होंने संकेत दिया कि मॉस्को और नई दिल्ली दोनों इस पर स्पष्ट राय रखते हैं. रूस के राजदूत ने कहा कि हम अफगानिस्तान में आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. तालिबान और अल-कायदा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी संगठन करार दिया गया है और वे रूस में भी प्रतिबंधित हैं. जब अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की बात आती है तो रूस का रुख भी वही होता है जो बाकी दुनिया का होता है.
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भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के खिलाफ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में एक्शन प्लान तैयार किए जाने के सवाल पर बाबुश्किन ने कहा कि एससीओ आम सहमति के सिद्धांत के तहत कार्य करता है. अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने को लेकर रूस और भारत दोनों एक ही नजरिये से सोचते हैं.
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पिछले महीने एससीओ की बैठक में संबोधन के दौरान डोभाल ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी गुटों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से निपटने के लिए एससीओ द्वारा एक एक्शन प्लान तैयार करने का आह्वान किया था.
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अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा का जिक्र करते हुए बाबुश्किन ने कहा कि राजनीतिक प्रक्रिया के बिना सैन्य गतिविधियां चिंताजनक हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और रूस अफगानिस्तान में रूसी मूल के सैन्य हेलीकॉप्टरों की मरम्मत सहित अफगान सुरक्षा बलों को मजबूत करने के लिए मदद करने पर विचार करेंगे तो उन्होंने स्पष्ट जवाब तो नहीं दिया. लेकिन इस तरह के समर्थन से इनकार भी नहीं किया. रूसी राजनयिक ने कहा कि भारत अफगानिस्तान को लेकर सक्रिय क्षेत्रीय कूटनीति में शामिल रहा है और यह बहुत उत्साहजनक बात है.
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