तालिबान ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि वे अतीत में अमेरिकी या ब्रिटिश सेना के लिए काम कर चुके किसी भी शख्स को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे और ना ही किसी भी देश या इंसान के खिलाफ बदले की भावना से काम करेंगे लेकिन पिछले कुछ दिनों में तालिबान अपने कई वादों के साथ ही इस वादे को भी तोड़ते हुए नजर आ रहा है. (फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)
तालिबान ने हाल ही में एक अफगानिस्तानी स्नाइपर नूर को मौत के घाट उतारा है. ये अफगानिस्तानी शूटर ब्रिटेन की स्पेशल फोर्स की देखरेख में काम करता था. इस शख्स को उसके परिवार के सामने ही तालिबान ने मार गिराया. ये व्यक्ति ब्रिटिश द्वारा प्रशिक्षित अफगानिस्तान यूनिट सीएफ333 का हिस्सा था. (अफगानी स्नाइपर नूर, फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान ने नूर की छाती में तीन बार गोली मारी. गौरतलब है कि नूर की यूनिट से जुड़े कई लोग 15 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पहुंचकर अपनी जान बचाकर भाग निकले थे. अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि इस अफगानी स्नाइपर ने भी बाहर जाने का कोई प्लान बनाया था या नहीं. (फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)
इस हत्या के बाद ब्रिटिश मिलिट्री के सदस्य भी शॉक और गुस्से से भर उठे हैं. एसएएस में स्पेशलिस्ट ऑपरेशन्स के कमांडर और पूर्व कर्नल एलेक्जेंडर कूपर ने ट्वीट करते हुए कहा कि 'एन' को तालिबान ने मार गिराया है. उसका जुर्म क्या था? उसने सालों तक वफादारी और प्रोफेशनल तरीके से अपने देश की सेवा की थी और उसे ब्रिटिश यूनिट्स ने मेंटॉर किया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर/AP)
For those leaders still unsure, this is not a game. ‘N’ was a executed by the Taliban in cold blood just a few hours ago. His crime? Years of loyal & professional service, mentored by British units. There is no ‘amnesty’. Abandoned by us, this murder will not be the last. 1/ pic.twitter.com/tP4uxWtY6x
— Ash Alexander-Cooper OBE (@ashalexcooper) September 13, 2021
एलेक्जेंडर ने लिखा- ये 'नए' तालिबान की सच्चाई है. समावेशी होने, विविधता होने या क्षमादान की बात करना भी यहां मजाक है और कुछ लोग तालिबान 2.0 के बहकावे में आ रहे हैं कि ये लोग बदल चुके हैं. मुझे लगता है कि ऐसे लोगों को जागने की जरूरत है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
गौरतलब है कि तालिबान के लड़ाके पिछले कुछ समय से घर-घर जाकर बदले की भावना से एक्शन ले रहे हैं और उन लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं जिन्होंने पिछले कुछ सालों में ब्रिटिश या अमेरिकी सेना के साथ काम किया है. नूर के दोस्त रफी भी ब्रिटिश और अमेरिकन्स के लिए दुभाषिए के तौर पर काम कर चुके हैं.(प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
गौरतलब है कि तालिबान के लड़ाके पिछले कुछ समय से घर-घर जाकर बदले की भावना से एक्शन ले रहे हैं और उन लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं जिन्होंने पिछले कुछ सालों में ब्रिटिश या अमेरिकी सेना के साथ काम किया है. नूर के दोस्त रफी भी ब्रिटिश और अमेरिकन्स के लिए दुभाषिए के तौर पर काम कर चुके हैं.(प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)