रूस ने तालिबान के संभावित खतरों को रोकने के लिए ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य उपकरण भेजे हैं, जबकि ताजिकिस्तान ने अफगानिस्तान सीमा पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अब तक का अपना सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास किया है. उत्तरी अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद ताजिकिस्तान पहले ही अपनी सीमा पर 20 हजार सैनिकों की तैनाती बढ़ा चुका है. ताजिकिस्तान अफगान सीमा को लेकर काफी सतर्क है.
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उज्बेकिस्तान और रूस अगले कुछ दिनों में ताजिकिस्तान के साथ मिलकर अफगानिस्तान से लगी सीमा पर संयुक्त सैन्य अभ्यास करने वाले हैं. लेकिन इससे पहले ही ताजिकिस्तान ने सैन्य अभ्यास किया है. रॉयटर्स के मुताबिक अफगानिस्तान के उत्तरी पड़ोसी ताजिकिस्तान ने गुरुवार को मध्य एशियाई देश की पूरी सेना को शामिल करते हुए अपना अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास किया. और राष्ट्रपति ने अपनी सेना को सतर्कता बरतने का आदेश दिया है.
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ताजिकिस्तान ने गुरुवार को तीन घंटे के अभ्यास में सैन्य रिजर्व से 130,000 सक्रिय सैनिक शामिल हुए जबकि 100,000 सैनिक पहले से ही अभ्यास में शामिल होने के लिए तैयार थे. अफगानिस्तान के साथ ताजिकिस्तान की सीमा को सुरक्षित बनाने के लिए पहले ही 20,000 जवानों को तैनात किया जा चुका है.
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ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन ने कहा है कि अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति नाजुक बनी हुई है. उनका देश अफगानिस्तान से संभावित खतरों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति ने सैन्य अभ्यास में शामिल जवानों को संबोधित करते हुए यह बात कही.
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टोलो न्यूज के मुताबिक रहमोन ने कहा, "मौजूदा संवेदनशील स्थिति को देखते हुए हमारे लोगों और ताजिकिस्तान सरकार की सुरक्षा, अपने लोगों और सरकार के लिए शांतिपूर्ण राजनीतिक वातावरण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है."
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ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति ने अफगान सरकार, राजनीतिक दलों और राजनीतिक नेताओं से एकजुट होने और अपने व्यक्तिगत हितों को छोड़कर राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में चल रहे संघर्षों का कोई सैन्य समाधान नहीं है. उन्हें (अफगान नेता) अपने देश को मौजूदा हालात से सुरक्षित बाहर निकालना चाहिए और देश को असुरक्षा से बचाना चाहिए. विघटन, स्वार्थ और संघर्ष और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के लिए लोगों की बलि देना अज्ञानता का काम है.
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This morning, #Tajikistan's armed forces conducted sudden combat preparedness tests - amid growing security risks on its southern border to #Afghanistan, with some 10,000 servicemen attending a military parade:https://t.co/jC5DhRvMdd pic.twitter.com/xvs5Pva4Ta
— Alex Kokcharov (@AlexKokcharov) July 22, 2021
पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने अफगानिस्तान पर ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति की टिप्पणी की सराहना की और कहा कि अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, उन्होंने ताजिकिस्तान से अच्छे संबंध बनाए रखे.
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इस बीच, अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी के पूर्व प्रमुख रहमतुल्ला नबील ने कहा है कि देश में कई आतंकवादी समूह हैं जो मध्य एशियाई देशों के लिए खतरा हैं.
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नबील ने कहा, "अफगानिस्तान जैसे हालात पूरे मध्य एशियाई देशों में बन सकते हैं क्योंकि बड़ी संख्या में आतंकवादी गुट जो अल कायदा की शक्तिशाली शाखा के रूप में काम करते हैं, अफगानिस्तान के उत्तरी हिस्सों में सक्रिया हैं."
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तालिबान के दबदबा के बीच रूस अफगानिस्तान की सीमा के पास युद्धाभ्यास करेगा. रूस ने सोमवार को ऐलान किया था कि वह अगस्त में अफगानिस्तान की सीमा के पास ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास करेगा.रूसी रक्षा मंत्रालय ने जारी बयान में कहा कि संयुक्त युद्धाभ्यास 5-10 अगस्त को अफगान सीमा के पास ताजिकिस्तान में खारबमैदोन ट्रेनिंग ग्राउंड में होगा. रूस के सेंट्रल मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर अलेक्जेंडर लापिन ने कहा कि सेना एक सहयोगी देश के क्षेत्र पर अटैक करने वाले सशस्त्र तत्वों को हराने के लिए युद्धाभ्यास करेगी.
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रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ताजिकिस्तान में रूसी सैन्य अड्डे और सेंट्रल मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के सैनिक युद्धाभ्यास में हिस्सा लेंगे. अफगानिस्तान की सीमा पर रूस का युद्धाभ्यास का ऐलान अहम है. रूस तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच शांति प्रयासों में भी लगा हुआ है. हाल ही में तालिबान के प्रतिनिधियों ने मॉस्को का भी दौरा किया था.
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असल में, रूस के साथ ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबान के उभार से चिंतित हैं. उनका मानना है कि तालिबान की आक्रमकता के चलते शरणार्थियों की समस्या बढ़ेगी और चरमपंथ फिर से उभरेगा. रूस को लगता है कि अफगानिस्तान में अस्थिरता से चरमपंथी पूर्व सोवियत देश होते हुए काकेश और चेचन्या पहुंच सकते हैं.
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