चीन के #MeToo अभियान का चेहरा बनी एक महिला हाई-प्रोफाइल केस हार गई हैं. उन्हें इस दौरान कोर्ट के बाहर धक्कामुक्की और विरोध का सामना भी करना पड़ा था. 28 साल की Zhou Xiaoxuan चीन के स्टेट ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी में इंटर्न रह चुकी हैं. उन्होंने सीसीटीवी के एक कद्दावर होस्ट पर साल 2018 में सेक्शुएल हैरेसमेंट के आरोप लगाए थे. (फोटो क्रेडिट: Getty images)
बीजिंग कोर्ट ने इस हाई-प्रोफाइल केस में सबूतों के अभाव में टीवी होस्ट Zhu को बरी कर दिया है. इस फैसले को लेकर Zhou काफी इमोशनल भी हो गईं. उन्होंने कहा कि मैं अब थक चुकी हूं. मेरी जिंदगी के पिछले तीन साल काफी मुश्किल रहे हैं. मैं फिर कई सालों तक संघर्ष नहीं कर सकती हूं. गौरतलब है कि उन पर Zhu ने भी उनकी इमेज को नुकसान पहुंचाने के लिए केस फाइल कर दिया है. (फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)
उन्होंने कोर्ट के बाहर रिपोर्टर्स के साथ बातचीत में अपने समर्थकों को शुक्रिया अदा भी किया. उन्होंने कहा कि मैं आप सभी का धन्यवाद करना चाहती हूं, इस कठिन परिस्थिति में मुझे पिछले तीन सालों में लोगों का जो सपोर्ट मिला है, वो मेरे लिए काफी मायने रखता है. उनका इतना बोलने के बाद कुछ अज्ञात लोग और महिलाओं ने वहां पहुंचकर उनके साथ धक्कामुक्की शुरू कर दी. (फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)
Zhou के समर्थक वहां कार्डबोर्ड के साथ मौजूद थे लेकिन उन्हें भी पुलिस ने घेर लिया और पोस्टर्स और कार्डबोर्ड को तोड़ दिया गया. साल 2014 में इस महिला ने सीसीटीवी में इंटर्न के तौर पर काम किया था. उस समय उनकी उम्र 21 साल थी. उन्होंने सीसीटीवी होस्ट Zhu Jun पर सेक्शुएल हैरेसमेंट के आरोप लगाए थे.(फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)
उन्होंने कहा था कि Zhu ने जबरदस्ती उन्हें किस करने की कोशिश की और उनके साथ बदतमीजी करने की कोशिश की थी. हालांकि Zhu ने इन आरोपों से साफ इनकार कर दिया था. इसके बाद महिला ने कहा था कि वे चाहती हैं कि ये टीवी होस्ट पब्लिकली माफी मांगे और उन्हें 50 हजार युआन डैमेज के तौर पर दिए जाएं. इस मामले में चीन के एक लॉ एक्सपर्ट का कहना था कि पुख्ता सबूत के अभाव में चीन में महिलाओं को न्याय मिलना बेहद मुश्किल काम है. (फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)
साल 2018 में Zhou ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के सहारे अपनी आपबीती साझा की थी जिसके बाद उनका पोस्ट वायरल होने लगा था और कई महिलाओं ने भी अपने साथ हुई यौन शोषण की घटनाओं को शेयर किया था और चीन में महिलाओं के अधिकारों को लेकर भी जागरूकता देखने को मिली थी. (फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स)