संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के लिए तैयार एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि प्रतिबंधित आतंकवादी गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के पास अब भी अफगान सीमा पर लगभग 6,000 प्रशिक्षित लड़ाके हैं. यूएन एनालिटिकल सपोर्ट एंड सैंक्शन मॉनिटरिंग टीम की 28वीं रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि अफगानिस्तान-चीन सीमा पर करीब सैकड़ों बीजिंग विरोधी चरमपंथियों की मौजूदगी बनी हुई है. पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान टीटीपी का इस्तेमाल उसके खिलाफ हमले में करता है.
(टीटीपी प्रमुख नूर वाली महसूद, फोटो-CNN वीडियो ग्रैब)
पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र की एक टीम ने इस सप्ताह UNSC में रिपोर्ट पेश की थी. इस टीम पर दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियों पर रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी होती है.
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रिपोर्ट के एक चैप्टर में तालिबान के विदेशी आतंकियों से संबंध के बारे में लिखा गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान का आईएस और टीटीपी जैसे आतंकी गुटों की तरफ झुकाव देखा गया है.
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संयुक्त राष्ट्र ने चीन के साथ अफगान सीमा के करीब सैकड़ों बीजिंग विरोधी उग्रवादियों की मौजूदगी की पुष्टि की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान और पाकिस्तान तालिबान के बीच संघर्ष के मामले भी सामने आए हैं. तालिबान ने दूसरे चरमपंथी गुटों को दबाने की कोशिश की है. अफगान तालिबान की पाकिस्तान तालिबान के साथ झड़प भी हुई हैं. लेकिन यूएन ने पाया कि अविश्वास के बावजूद दोनों संगठनों में अब भी रिश्ता बना हुआ है.
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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, टीटीपी पारंपरिक रूप से नंगरहार प्रांत के पूर्वी जिलों में पाकिस्तान के साथ सीमा के पास स्थित है. संयुक्त राष्ट्र की टीम ने बताया दिसंबर 2019 से अगस्त 2020 के दौरान टीटीपी और कुछ अन्य गुटों के अफगानिस्तान में साथ आने की रिपोर्ट है. इसमें शहरयार महसूद समूह, जमात-उल-अहरार (जेयूए), हिज्ब-उल-अहरार, अमजद फारूकी धड़ा और उस्मान सैफुल्ला समूह (जिसे पहले लश्कर-ए-झांगवी के नाम से जाना जाता था) शामिल थे. अल कायदा ने इन गुटों को मिलाने का काम किया.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि अलग-अलग धड़ों की वापसी ने टीटीपी की ताकत बढ़ा दी है. टीटीपी से मिलने वाले दो गुटों में अनुमानित 2,500 और 6,000 सशस्त्र लड़ाके हैं. गुट की कमान जून 2018 से नूर वली महसूद के हाथों में है. महसूद के बाद कारी अमजद का नंबर आता है.
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यूएन मॉनिटर्स का कहना है कि टीटीपी पाकिस्तान विरोधी जरूर है लेकिन वह अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों के खिलाफ अफगान तालिबान का समर्थन भी करता है.
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इस बीच तहरीक-ए-पाकिस्तान तालिबान ने मुखिया नूर वाली महसूद ने सीएनएन के साथ अपने पहले इंटरव्यू में अलकायदा से संबंधों का खारिज कर दिया. मुफ्ती नूर वाली महसूद ने कहा "हम केवल पाकिस्तान में लड़ रहे हैं. हम कबायली क्षेत्र को 'स्वतंत्र' क्षेत्र बनाना चाहते हैं. हम दृढ़ता से पाकिस्तानी कबायली सीमा क्षेत्र पर नियंत्रण करने और उन्हें स्वतंत्र बनाने की उम्मीद कर रहे हैं.
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The Pakistani Taliban leader, Noor Wali Mehsud, has given his first TV interview exclusively to CNN.
— Connect the World (@CNNConnect) July 26, 2021
He reacted to all the recent gains made by the Afghan Taliban, as the US withdraws from #Afghanistan.@NicRobertsonCNN gave @BeckyCNN this report. pic.twitter.com/wUVorL9l5k
अफगानिस्तान तालिबान के साथ संबंध के सवाल पर महसूद ने कहा, “अफगान तालिबान की जीत सभी मुस्लिम लोगों की जीत है. हमारे संबंध भाईचारे, सहानुभूति और इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित हैं."
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