टर्की ने सोमवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने शुक्रवार को दिए एक बयान में कहा था कि पूरी दुनिया में इस्लाम में एक तरह का संकट दिखाई दे रहा है.
टर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दवान के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने ट्विटर पर लिखा, राष्ट्रपति मैक्रों का ये कहना कि इस्लाम में समस्या है, खतरनाक और उकसाने वाला बयान है. इससे इस्लामोफोबिया और मुस्लिम विरोधी भावनाओं को बढ़ावा मिलेगा.
टर्की राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने कहा कि अपने देश की असफलता को छिपाने के लिए इस्लाम और मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाना तार्किक सोच से बहुत दूर की बात है. पिछले शुक्रवार को मैक्रों ने "इस्लामिक अलगाववाद" की रोकथाम के लिए एक योजना पेश की थी जिसके बाद से वो दुनिया भर के तमाम मुस्लिम स्कॉलर्स के निशाने पर आ गए हैं. अपने भाषण में मैक्रों ने कहा था कि इस्लाम पूरी दुनिया में एक संकट का सामना कर रहा है.
इंटरनेशनल यूनियन फॉर मुस्लिम स्कॉलर्स के सेक्रटरी जनरल अली अल कारादगी ने फेसबुक पर एक पोस्ट में मैक्रों की कड़ी आलोचना की. उन्होंने लिखा, आप हमारे धर्म की चिंता छोड़िए क्योंकि ये कभी भी सरकारों की मदद पर आश्रित नहीं रहा है और ना ही इसने कभी अपने विरोधियों के खिलाफ तलवार उठाई. अल कारादगी ने कहा, भविष्य इस्लाम धर्म का ही है और हमें डर उन समाज के भविष्य को लेकर हैं जहां दूसरे लोगों के धर्म और पवित्र स्थलों को कानूनी रूप से निशाना बनाया जा रहा है. हमें उन सरकारों और समाज को लेकर डर है जो खुद ही अपने लिए दुश्मन तैयार करने में लगे हुए हैं.
उन्होंने आगे कहा, हमें उन शासकों से सहानुभूति है जो खुद संकट में जी रहे हैं और मध्ययुगीन धार्मिक युद्ध की मानसिकता में उलझे हैं. अगर कोई असली समस्या है तो वो पश्चिमी देशों के नेताओं के डबल स्टैंडर्ड को लेकर है. मुस्लिम स्कॉलर ने कहा, इस्लाम कुछ फर्जी कार्टून बनाने वाले लोगों का बोझ बर्दाश्त नहीं कर सकता है जिन्होंने आपके नेतृत्व में ऐसा संकट पैदा किया है. फ्रांस की व्यंगात्यक पत्रिका शार्ली हेब्डो ने पैगंबर मोहम्मद को लेकर कुछ विवादित कार्टून छापे थे जिसके बाद फ्रांस में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने कई हमलों को अंजाम दिया था.
मैक्रों ने ऐलान किया है कि सरकार दिसंबर महीने में एक बिल पेश करेगी जो 1905 में बनाए गए कानून को और मजबूत करेगा. इसमें सरकार और चर्च को आधिकारिक तौर पर अलग किया गया था. मैक्रों ने कहा कि ये कदम फ्रांस में कट्टरपंथी इस्लाम के उभार को रोकने और आपसी सामंजस्य मजबूत करने के लिए उठाया जा रहा है. फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा, फ्रांस में इस्लाम को विदेशी प्रभावों से मुक्त कराया जाएगा और मस्जिदों की फंडिंग पर निगरानी की जाएगी.
मैक्रों ने ये भी कहा कि देश में किसी भी धर्म का पालन करने की पूरी आजादी है लेकिन सार्वजनिक स्थानों और स्कूलों में अपनी धार्मिक भावनाओं का प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
मैक्रों के भाषण से एक हफ्ते पहले शार्ली हेब्डो मैगजीन के दफ्तर के बाहर एक शख्स ने दो लोगों पर चाकू से हमला किया था. सरकार ने इसे 'इस्लामिक आतंकवाद' कहकर कड़ी आलोचना की थी. शार्ली हेब्डो मैगजीन मोहम्मद पैगंबर के एक कार्टून को छापने के बाद विवादों में आ गई थी. साल 2015 में कुछ मुस्लिम बंदूकधारियों ने शार्ली हेब्डो के दफ्तर पर हमला कर दिया था.
फ्रांस में जनवरी महीने में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहस एक बार तब फिर से तेज हो गई जब एक युवक ने इंस्टाग्राम पर इस्लाम पर हमला करते हुए एक पोस्ट डाली और उसे धमकियां मिलने लगीं. इसी महीने फ्रांस की संसद में एक छात्र के हिजाब पहनकर आने पर कई सांसद वॉक आउट कर गए थे.