तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने विवादित नहर 'कनाल इंस्ताबुल परियोजना' को हरी झंडी दी है. एर्दोगन ने शनिवार को इसके निर्माण कार्य का उद्घाटन किया. उनका दावा है कि इस नहर के निर्माण से बोस्पोरुस जल मार्ग में लगने वाले जाम से मुक्ति मिलेगी, लेकिन विश्लेषकों और आलोचकों का कहना है कि इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा.
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प्रस्तावित नहर परियोजना के लिए एक पुल का उद्घाटन करते हुए एर्दोगन ने कहा कि आज तुर्की के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है. यह नहर परियोजना इस्तांबुल के भविष्य की सुरक्षा के लिए अहम है. तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि उनका मानना है कि यह नहर इस्तांबुल के लोगों के जीवन की रक्षा करने के लिए जरूरी है.
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कनाल इस्तांबुल एक बड़ा जलमार्ग है जो बोस्फोरुस जलडमरूमध्य के समानांतर चल रहा है. यह काला सागर को मरमरा सागर और भूमध्य सागर से जोड़ता है. 45 किलोमीटर लंबा यह जलमार्ग काला सागर को वैश्विक समुद्री नेटवर्क से जोड़ेगा.
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एर्दोगन के विरोधियों ने उन पर एक ऐसी परियोजना को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया, जो तुर्की को पारिस्थितिक आपदा और भारी कर्ज की ओर ले जाएगी. आलोचकों का मानना है कि यह एक अनावश्यक काम है. वहीं एर्दोगन शनिवार को अपने भाषण के दौरान परियोजना के बचाव में बोलते रहे.
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बोस्फोरुस से गुजरने वाले जहाजों की बढ़ती संख्या से खड़ी हुई समस्या का हवाला देते हुए एर्दोगन ने कहा कि इस परियोजना का मुख्य मकसद "इस्तांबुल में (तुर्की के) नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना" और देश को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में महत्वपूर्ण स्थान दिलाना है.
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Bugün Türkiye’nin kalkınma tarihinde yeni bir sayfa açtık, Kanal İstanbul Projesi Sazlıdere Köprüsü’nün temelini attık. #KanalİstanbulKazananTürkiye
— Recep Tayyip Erdoğan (@RTErdogan) June 26, 2021
Ülkemize ve milletimize eser kazandırma mücadelemizi sürdüreceğiz. pic.twitter.com/vZtYIOe2Er
आलोचकों को खारिज करते हुए एर्दोगन ने कहा कि परियोजना के हर चरण का डिजाइन विज्ञान के अनुसार तैयार किया गया है. लेकिन इस प्रोजेक्ट को लेकर विदेशों में भी आलोचना हो रही है. खासकर रूस इसे लेकर अधिक मुखर है. रूस का मानना है कि तुर्की की इस परियोजना से नाटो बलों की काला सागर तक पहुंच आसान हो जाएगी.
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मॉन्ट्रो कन्वेंशन के तहत जिन देशों के पास समुद्र तट नहीं है, उन्हें अपने जहाजों के इस क्षेत्र से गुजरने की योजनाओं की पूर्व सूचना देनी होती है. इन जहाजों को सीमित समय के लिए इस रास्ते से गुजरने की अनुमति दी जाती है. काला सागर से जोड़ने के लिए यही एक मात्र जलमार्ग है. तुर्की के पूर्व पीएम बिनाली यिल्डिरिम ने भी एर्दोगन की परियोजना से सहमति जताई है और कहा है कि यह परियोजना किसी भी तरह से मॉन्ट्रो कन्वेंशन का उल्लंघन नहीं करती है.
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