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विश्व

बासमती पर भिड़े भारत और पाकिस्तान, कहा- ये हम पर परमाणु बम गिराने जैसा

Basmati rice
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भारत-पाकिस्तान में बासमती चावल के बिना पुलाव अथवा बिरयानी की कल्पना भी मुश्किल है. लेकिन अब तक अपनी सरहदों पर लड़ने वाले दो देशों के बीच बासमती पर खींचतान शुरू हो गई है. भारत ने बासमती के विशेष ट्रेडमार्क के लिए यूरोपीय यूनियन में अप्लाई किया है. इससे भारत को बासमती के टाइटल का मालिकाना हक मिल जाएगा. लेकिन पाकिस्तान ने भारत के इस कदम पर विरोध जताया है.  

(फोटो-Getty Images)

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पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर लाहौर के दक्षिण में अल-बरकत राइस मिल्स के सह-मालिक गुलाम मुर्तजा ने कहा, "यह हम पर परमाणु बम गिराने जैसा है." पाकिस्तान ने यूरोपीय कमीशन में भारत के प्रोटेक्टेड ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (पीजीआई) हासिल करने के भारत के कदम का विरोध किया. मुर्तजा ने कहा, "(भारत) ने वहां यह सब उपद्रव किया है ताकि वो किसी तरह हमारे बाजारों में से एक को हड़प सके." मुर्तजा के खेत भारतीय सीमा से मुश्किल से पांच किलोमीटर दूर हैं. उन्होंने कहा कि इससे हमारा पूरा चावल उद्योग प्रभावित हुआ है. 

(फोटो-Getty Images)

 

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संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, जिससे सालाना आय 6.8 अरब डॉलर है. इसमें पाकिस्तान 2.2 अरब डॉलर के साथ चौथे स्थान पर है. दोनों देश बासमती के एकमात्र वैश्विक निर्यातक हैं. कोलकाता से कराची तक बासमती दक्षिणी एशिया में रोजमर्रा के खानपान में शामिल है. शादी से लेकर अन्य समारोह में बासमती भोजन का अहम हिस्सा होती है. 1947 में बंटवारे के बाद से दोनों मुल्कों में तीन युद्ध हो चुके हैं. 2019 में भारत ने पाकिस्तान की सरहद में घुसकर एयर स्ट्राइक भी की. दशकों से राजनयिक संबंध तनावपूर्ण रहे हैं और दोनों देश नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक-दूसरे की खिंचाई करने का प्रयास करते रहते हैं.

(फोटो-Getty Images)

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पाकिस्तान ने पिछले तीन वर्षों में यूरोपीय संघ को बासमती निर्यात का विस्तार किया है. पाकिस्तान ने भारत की कठिनाइयों का फायदा उठाते हुए कड़े यूरोपीय कीटनाशक मानकों को पूरा किया है. यूरोपीयन कमीशन के अनुसार, अब पाकिस्तान, क्षेत्र की लगभग 300,000 टन वार्षिक मांग के दो-तिहाई हिस्से की आपूर्ति करता है. 


(फोटो-Getty Images)

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न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, पाकिस्तान राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मलिक फैसल जहांगीर कहते हैं, ''हमारे लिए, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बाजार है. उनका दावा है कि पाकिस्तानी बासमती अधिक जैविक और "गुणवत्ता में बेहतर" है.

(फोटो-Getty Images)

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पीजीआई का दर्जा ऐसे भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े उत्पादों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार मुहैया कराता है जहां उत्पादन, प्रसंस्करण या तैयारी का कम से कम एक चरण संपन्न होता है. भारत को दार्जिलिंग चाय, कोलंबिया की कॉफी और कई फ्रेंच उत्पादों को लेकर पीजीआई टैग मिला हुआ है. ऐसे उत्पादों के नकल को लेकर कानूनी सुरक्षा मिली होती है और बाजार में इनकी कीमत भी अधिक होती है. 
 
(फोटो-Getty Images)

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भारत का कहना है कि उसने अपने आवेदन में हिमालय की तलहटी में उगाए जाने वाले विशिष्ट चावल के एकमात्र उत्पादक होने का दावा नहीं किया था. लेकिन फिर भी पीजीआई का टैग मिलने से उसे यह मान्यता मिल जाएगी. इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने एएफपी को बताया, "भारत और पाकिस्तान लगभग 40 वर्षों से अलग-अलग बाजारों में बिना विवाद निर्यात कर रहे हैं. दोनों स्वस्थ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि पीजीआई कुछ बदलेगा."

(फोटो-Getty Images)

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यूरोपीयन कमीशन के एक प्रवक्ता ने एएफपी को बताया कि यूरोपीय संघ के नियमों के अनुसार दोनों देशों को सितंबर तक एक सौहार्दपूर्ण प्रस्ताव पर बातचीत करने का प्रयास करना चाहिए. कानूनी शोधकर्ता डेल्फ़िन मैरी-विवियन कहते हैं,"ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो बासमती को लेकर दोनों भारत और पाकिस्तान समान हैं. यूरोप में ज्योग्राफिकल इंडिकेशन को लेकर कई मामले सामने आए हैं लेकिन हर बार सुलझा लिए गए हैं." 

(फोटो-Getty Images)

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जनवरी में पाकिस्तानी सरकार ने देश में बासमती की बुआई की जा सकने वाली जगहों का सीमांकन किया. पाकिस्तान ने सेंधा नमक के लिए पीजीआई टैग हासिल करने के वास्ते आवेदन करने का ऐलान किया है. पाकिस्तान राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मलिक फैसल जहांगीर का कहना है कि पाकिस्तान को उम्मीद है कि भारत संयुक्त रूप से आवेदन करने पर सहमत हो जाएगा. बासमती दोनों देशों की साझी विरासत है. उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि हम बहुत जल्द (सकारात्मक) निष्कर्ष पर पहुंचेंगे...दुनिया जानती है कि बासमती दोनों देशों से आती है."
 
(फोटो-Getty Images)

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