संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की हाल ही में न्यूयॉर्क में वर्चुअल बैठक हुई. इस मीटिंग का मुद्दा कोरोना वायरस जैसी अत्याशित महामारी की चुनौतियों से निपटना भी था. इस बैठक में शामिल देशों ने कोरोना संकट की घड़ी में साथ चलने की अपील की. हालांकि, भारत ने इस अहम बैठक से चीन की वजह से दूरी बना ली.
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इस महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पहली बार उच्च स्तरीय बैठक हुई. इसमें अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीन के वांग यी ने हिस्सा लिया. यह बैठक वर्चुअल हुई. बताया गया कि चीन ने इस बैठक की अध्यक्षता की, लिहाजा, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसका बहिष्कार किया.
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असल में, कोरोना वायरस से पैदा हुईं दुश्वारियों से पूरी दुनिया हिल गई है. अमेरिका, चीन और रूस के शीर्ष राजनयिकों ने हाल ही में हुई बैठक में वैश्विक सहयोग को मजबूत करने, कोरोना की बढ़ती वैश्विक चुनौती और अभूतपूर्व महामारी से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया. लेकिन बहुपक्षवाद को लेकर उनके बीच मतभेद भी देखने को मिले.
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एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, मानवाधिकार और लोकतंत्र के मुद्दे पर बड़ा मतभेद होने के बावजूद तीनों देशों अमेरिका, रूस और चीन ने एक सुर में कहा कि वे सभी देशों के साथ कोरोना महामारी की अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तैयार हैं ताकि संघर्षों को खत्म किया जा सके और जरूरतमंदों की मदद की जा सके.
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अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि संघर्ष को रोकने, लोगों की दुख-तकलीफ दूर करने, मानवाधिकारों की रक्षा की दूसरे विश्वयुद्ध के बाद तमाम राष्ट्रों की प्रतिबद्धता पर काम करने की जरूरत है. अमेरिका के विदेश मंत्री ने दुनियाभर में सिर उठा रहे राष्ट्रवाद, दमन और बढ़ती प्रतिद्वंद्विता की ओर इशारा करते हुए यह बात कही. एक तरह से उनका निशाना चीन और रूस पर था.
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से एंटनी ब्लिंकेन ने कहा, 'लेकिन सवाल है कि क्या बहुपक्षीय सहयोग अब भी मुमकिन है. संयुक्त राज्य अमेरिका का मानना है कि यह न केवल संभव है, बल्कि यह आवश्यक है.'
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अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, 'कोई इकलौता देश क्या अकेले चुनौतियों का समाधान कर सकता है? यह मैटर नहीं करता है कि वो देश कितना शक्तिशाली है. यही वजह है कि अमेरिका कोविड-19 को रोकने, जलवायु संकट से निपटने, परमाणु हथियारों के प्रसार और उनके इस्तेमाल को रोकने, जीवन रक्षक मानवीय सहायता मुहैया कराने और संघर्षों को सुलझाने को लेकर बहुपक्षीय संस्थानों के माध्यम से काम करेगा.'
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एंटनी ब्लिंकेन ने कहा, 'हम इन मुद्दों पर उन देशों के साथ भी काम करेंगे जिनके साथ गंभीर मतभेद हैं. हम उन देशों को बलपूर्वक पीछे धकेलना जारी रखेंगे जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करते हुए नजर आएंगे.' अमेरिकी विदेश मंत्री ने सभी देशों से यूएन चार्टर, संधियों, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, विश्व व्यापार संगठन और अन्य वैश्विक संगठनों के नियम कायदों को पालन करने का आह्वान किया.
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चीन और रूस का नाम लिए बिना ब्लिंकेन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को तैयार करने और उसे बनाए रखने में अमेरिका ने मदद की है, लेकिन कुछ हमारे कट्टर प्रतियोगी हैं जो इसे तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. ब्लिंकेन ने जोर देकर कहा कि "मानव अधिकारों और मानवीय गरिमा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के मूल में रहना चाहिए."
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एंटनी ब्लिंकेन ने चीन में उइगर और म्यांमार में रोहिग्या मुसलामानों के उत्पीड़न की तरफ भी इशारा किया और चीन पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि सरकारें अपनी सीमाओं के भीतर क्या करती हैं, यह उनका अपना काम हो सकता है. वो अपने लोगों को गुलाम बनाती हैं, उन्हें यातना देती हैं, गायब करती हैं, जातीय शुद्धता पर जोर देती हैं या किसी अन्य तरीके से उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन करती हैं.
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अमेरिका ने रूस को भी आड़े हाथों लिया. रूस के विपक्षी नेता अलेक्सी नवलनी औऱ यूक्रेन के खिलाफ पुतिन सरकार के रवैये पर सवाल खड़ा किया. एंटनी ब्लिंकेन ने अमेरिका को फिलहाल पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नहीं बल्कि बाइडन प्रशासन के कामों से आंकने की अपील की.
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इस पर चीन ने प्रतिक्रिया दी. चीन के विदेश मंत्री वांग ने पिछले साल सितंबर में 75वीं वर्षगांठ पर संयुक्त राष्ट्र संघ के उस संकल्प को याद दिलाया जिसमें कहा गया है कि "बहुपक्षवाद एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है." यही बात रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी दोहराई.
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चीन के विदेश मंत्री वांग ने कहा कि, 'वास्तव में, बहुपक्षवाद शांति और निरंतर विकास प्राप्त करने के लिए सभी देशों के लिए एक निश्चित मार्ग है और इसके लिए सभी देशों को विशेष रूप से प्रमुख देशों में काम करने की आवश्यकता है.' चीन के विदेश मंत्री ने कहा, "मुझे यकीन है कि सभी देश अमेरिका को बदलते हुए देखना चाहते हैं और बहुपक्षवाद के लिए वास्तविक योगदान करेंगे.
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वांग और रूस के लावरोव दोनों ने संयुक्त राष्ट्र को बहुपक्षवाद के केंद्र के रूप में बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया, जो कि अमेरिका के एंटनी ब्लिंकन ने नहीं किया. वांग ने संयुक्त राष्ट्र को "बहुपक्षवाद का बैनर" करार दिया और कहा, "हम बहुपक्षवाद और UN को आगे लाने के लिए सभी पक्षों के साथ काम करने के लिए तैयार हैं. जटिल मुद्दों को मिलकर सुलझाने की जरूरत है.
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वास्तव में 2007-08 की आर्थिक मंदी के बाद वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के बीच संरक्षणवाद की विचारधारा में बढ़ोतरी देखने को मिली, जो इस मंदी के बाद भी किसी न किसी रूप में जारी रही. कोरोना महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय पटल पर यह संरक्षणवाद फिर प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है.
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