मोदी सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्ज खत्म किया और दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा तो कई हलकों में साहसिक कदम के तौर पर देखा गया. हालांकि, पाकिस्तान की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई और उसे उम्मीद थी कि अमेरिका भी आपत्ति जताएगा. लेकिन तत्कालीन ट्रंप प्रशासन ने इस मामले कुछ भी नहीं कहा. पाकिस्तान उम्मीद कर रहा था कि बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद उसे कश्मीर मामले में समर्थन मिलेगा लेकिन यहां भी ऐसा होता नहीं दिख रहा है.
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जम्मू-कश्मीर को भारत का केंद्रशासित प्रदेश कहा. कहा जा रहा है कि अमेरिका की ओर से जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश कहना मोदी सरकार के उस फैसले का समर्थन है जिसके तहत लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेश में बांटा गया है. पाकिस्तानी मीडिया में भी इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है. पाकिस्तानी अखबार डॉन ने लिखा कि अमेरिका ने आश्वस्त किया कि कश्मीर पर उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है लेकिन अपने बयान में कश्मीर के लिए केंद्रशासित प्रदेश टर्म का इस्तेमाल किया.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कश्मीर को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, "भारतीय लोकतंत्र के अनुरूप केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक और आर्थिक हालात सामान्य करने की दिशा में उठाए गए कदमों का हम स्वागत करते हैं."
पिछले महीने कश्मीर में हाई स्पीड इंटरनेट बहाल होने के कदम का स्वागत करते हुए भी अमेरिका ने जो बयान जारी किया था, उससे पाकिस्तान को मिर्ची लगी थी. अमेरिका के विदेश मंत्रालय की तरफ से किए गए ट्वीट में जम्मू-कश्मीर का जिक्र विवादित क्षेत्र के तौर पर नहीं बल्कि 'भारत के जम्मू-कश्मीर' से किया गया था. पाकिस्तान की तरफ से इस ट्वीट को लेकर कड़ा ऐतराज जताया गया था लेकिन इसके बावजूद ट्वीट में कोई बदलाव में नहीं किया गया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद चौधरी ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बहाली के संबंध में अमेरिका के बयान में जिस तरह से कश्मीर का जिक्र हुआ, वो निराशाजनक है.
We welcome the resumption of 4G mobile internet in India's Jammu & Kashmir. This marks an important step for local residents and we look forward to continued political & economic progress to restore normalcy in J&K.
— State_SCA (@State_SCA) February 10, 2021
अमेरिका के कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश कहने पर पाकिस्तान में तीखी प्रतिक्रिया दी जा रही है. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के कथित राष्ट्रपति मसूद खान ने भी इसे लेकर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, नेड प्राइस को पता होना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर का कोई भी हिस्सा भारत का जम्मू-कश्मीर नहीं है और भारत के कब्जे वाला जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश नहीं है.
Ted Price should know that no part of Jammu and Kashmir is “India’s Jammu and Kashmir” and that the Indian Occupied Jammu and Kashmir is not a “Union Territory”. It is an occupied territory and its people are under colonial rule and foreign occupation. https://t.co/nnfTwoM63B
— Masood Khan (@Masood__Khan) March 4, 2021
ट्विटर पर आदिल नाम के एक यूजर ने लिखा, पहले इंटरनेट बहाली को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के ट्वीट में भारत का जम्मू-कश्मीर कहना और अब यूनियन टेरिटरी टर्म का इस्तेमाल किया जाना. ये भारत की बैकडोर डिप्लोमेसी का नतीजा है या फिर अमेरिकी सलाहकारों की विदेश नीति को लेकर कम समझ का? वहीं, फैसल कमल नाम के एक यूजर ने ट्वीट किया, एक कदम आगे बढ़ते हुए बाइडेन सरकार ने कश्मीर को भारत का केंद्रशासित प्रदेश कह दिया. कुछ दिनों पहले उन्होंने अपने बयान में ट्वीट में 'भारत के जम्मू-कश्मीर' लिखा था. हम कहां पर खड़े हैं और हमारे अधिकारी क्या कर रहे हैं?
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बुधवार को कहा, हम जम्मू-कश्मीर के हालात पर करीब से नजर बनाए रखेंगे. कश्मीर को लेकर हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. हम भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आर्थिक और राजनीतिक स्थिति बहाल करने के लिए उठाए गए कदमों का स्वागत करते हैं. प्राइस से सवाल किया गया कि क्या अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के सामने कश्मीर का मुद्दा उठाया था तो उन्होंने इसे टाल दिया. प्राइस ने कहा कि दोनों के बीच हुई बातचीत को लेकर जारी किए गए बयान को पढ़ना चाहिए. अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि विदेश मंत्रालय के बयान के दायरे से बाहर जाकर वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकेन और एस. जयशंकर ने 29 जनवरी को बातचीत की थी. दोनों की बातचीत को लेकर जारी किए गए बयान में कश्मीर का कोई जिक्र नहीं किया गया था. भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर बनी सहमति को लेकर प्रवक्ता ने कहा, हम कश्मीर और अन्य मुद्दों पर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत का समर्थन करना जारी रखेंगे. साल 2003 में युद्धविराम को लेकर जो समझौता हुआ था, हम चाहते हैं कि उस पर अमल करते हुए एलएसी पर तनाव कम किया जाए.
नेड प्राइस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये भी कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ ही रिश्ते अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है और किसी एक की कीमत पर संबंध कायम नहीं किए जाएंगे. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहता है लेकिन पाकिस्तान के साथ रिश्ते भी अहमियत रखते हैं. नेड प्राइस ने कहा कि बाइडेन प्रशासन के लिए भारत से अच्छे रिश्ते होने का मतलब ये नहीं है कि पाकिस्तान के साथ संबंध खराब होंगे.
अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा, हमारे नजरिए में इन रिश्तों की अपनी अलग-अलग जगह है. जब अमेरिका की विदेश नीति की बात आती है तो ये किसी एक के फायदे और दूसरे के नुकसान पर आधारित नहीं है. हमारे इन देशों के साथ सकारात्मक और रचनात्मक रिश्ते हैं. हमारे आपसी रिश्ते किसी तीसरे के साथ रिश्ते पर आधारित नहीं हैं. जब भारत की बात आती है तो हमारी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है और हमने इसके बारे में बात की है. वहीं, पाकिस्तान की बात करें तो इसके बारे में भी मैंने कुछ दिन पहले बयान दिया था. क्षेत्र में हमारे साझा हित हैं और हम उन साझा हित के मुद्दों पर पाकिस्तानी प्रशासन के साथ काम करना जारी रखेंगे. प्राइस ने कहा कि भारत को 20 अरब डॉलर के आधुनिक हथियार बेचने का प्रस्ताव देना भारत के साथ साझेदारी को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता को साबित करता है.