अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान से संबंधों को लेकर एक अहम बयान दिया है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका भारत के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहता है लेकिन पाकिस्तान के साथ रिश्ते भी उसके लिए अहमियत रखते हैं. नेड प्राइस ने कहा कि बाइडेन प्रशासन के लिए भारत से अच्छे रिश्ते होने का मतलब ये नहीं है कि पाकिस्तान के साथ संबंध खराब होंगे.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस से नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान को लेकर अमेरिका की विदेश नीति के बारे में सवाल पूछा गया था. उनसे पूछा गया था कि पाकिस्तान की सीमा भारत और अफगानिस्तान दोनों से ही लगती है, ऐसे में अमेरिका की उसे लेकर क्या नीति रहेगी.
प्राइस ने कहा, मुझे लगता है कि भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते अहम हैं लेकिन पाकिस्तान पर भी यही बात लागू होती है. हमारे नजरिए में इन रिश्तों की अपनी अलग-अलग जगह है. जब अमेरिका की विदेश नीति की बात आती है तो ये किसी एक के फायदे और दूसरे के नुकसान पर आधारित नहीं है.
प्राइस ने कहा, हमारे इन देशों के साथ सकारात्मक और रचनात्मक रिश्ते हैं. हमारे आपसी रिश्ते किसी तीसरे के साथ रिश्ते पर आधारित नहीं हैं. किसी एक रिश्ते की कीमत पर दूसरा रिश्ता नहीं बना है.
अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा, जब भारत की बात आती है तो हमारी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है और हमने इसके बारे में बात की है. वहीं, पाकिस्तान की बात करें तो इसके बारे में भी मैंने कुछ दिन पहले बयान दिया था. क्षेत्र में हमारे साझा हित हैं और हम उन साझा हित के मुद्दों पर पाकिस्तानी प्रशासन के साथ काम करना जारी रखेंगे.
प्राइस ने कहा कि भारत को 20 अरब डॉलर के आधुनिक हथियार बेचने का प्रस्ताव देना भारत के साथ साझेदारी को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता को साबित करता है.
(फोटो- अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन)
कश्मीर के मुद्दे को लेकर भी अमेरिका ने बुधवार को एक बयान जारी किया. अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर में आर्थिक और राजनीतिक हालात सामान्य करने की दिशा में उठाए गए कदमों का स्वागत किया. प्राइस ने कहा, मुझे लगता है कि हम पहले भी कह चुके हैं कि हम जम्मू-कश्मीर के हालात पर करीब से नजर बनाए रखेंगे. कश्मीर को लेकर हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप जम्मू-कश्मीर में आर्थिक और राजनीतिक स्थिति बहाल करने के लिए उठाए गए कदमों का स्वागत करते हैं. फरवरी महीने में मोदी सरकार ने कश्मीर में 4G मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल कर दी थी.
प्राइस से सवाल किया गया कि क्या अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के सामने कश्मीर का मुद्दा उठाया था तो उन्होंने इसे टाल दिया. प्राइस ने कहा कि दोनों के बीच हुई बातचीत को लेकर जारी किए गए बयान को पढ़ना चाहिए. अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि विदेश मंत्रालय के बयान के दायरे से बाहर जाकर वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकेन और एस. जयशंकर ने 29 जनवरी को बातचीत की थी. दोनों की बातचीत को लेकर जारी किए गए बयान में कश्मीर का कोई जिक्र नहीं किया गया था. भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर बनी सहमति को लेकर प्रवक्ता ने कहा, हम कश्मीर और अन्य मुद्दों पर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत का समर्थन करना जारी रखेंगे. साल 2003 में युद्धविराम को लेकर जो समझौता हुआ था, हम चाहते हैं कि उस पर अमल करते हुए एलएसी पर तनाव कम किया जाए.