चीन की हरकतों से परेशान अमेरिका अब एक बड़ा कदम उठाने की सोच रहा है. वह चाहता है कि भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी उसके इस प्रोजेक्ट में शामिल हों. अमेरिका चाहता है कि चीन को रोकने के लिए वह नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) की तरह एक गठबंधन बनाए. इसमें यही चारों देश शामिल हों. हो सकता है कि चारों देशों के आला अधिकारियों की बैठक दिल्ली में की जाए, ताकि ऐसे गठबंधन की रूपरेखा तैयार की जा सके.
अमेरिका के उप-विदेश मंत्री स्टीफेन बिगन ने कहा कि चारों देशों की बैठक दिल्ली में होने की उम्मीद है. अमेरिका चाहता है कि ये चारों देश एकसाथ मिलकर चीन की चुनौती का सामना करें. बिगन ने यह बात US-इंडिया स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप फोरम में कही. वह भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रहे रिचर्ड वर्मा के साथ ऑनलाइन चर्चा में भाग ले रहे थे.
अमेरिकी मंत्री बिगन ने कहा कि भारतीय-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत ढांचे की कमी है. उनके पास नाटो या यूरोपीय यूनियन (ईयू) जैसा कोई मजबूत संगठन नहीं है. जब NATO की शुरुआत हुई थी तो बहुत मामूली उपेक्षाएं थीं. शुरू में कई देशों ने नाटो की सदस्यता लेने के बजाय तटस्थ रहना चुना था. लेकिन आज इसकी जरूरत है कि अगर कोई देश मनमानी कर रहा है तो उसे रोकने के लिए एक गठबंधन किया जाए और संतुलन बनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए.
स्टीफन बिगन ने कहा जब भी ऐसा गठबंधन होगा बाकी देश अमेरिका की तरह ही प्रतिबद्ध होंगे. ये हो सकता है कि मालाबार नेवल एक्सरसाइज में ऑस्ट्रेलिया का भाग लेना डिफेंस ब्लॉक बनाने की इस दिशा में एक कदम है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट वेबसाइट के मुताबिक भारत स्पष्ट रूप से मालाबार नेवल एक्सरसाइज में ऑस्ट्रेलिया के शामिल होने का संकेत दे रहा है.
आपको बता दें कि मालाबार नौसैनिक एक्सरसाइज साल 1992 से अमेरिका और भारत के बीच हो रही है. यह अधिकतर बंगाल की खाड़ी में होती है. साल 2015 से इसमें जापान भी शामिल है. 2007 में एक बार ऑस्ट्रेलिया ने इसमें हिस्सा लिया था. लेकिन, चीन की व्यापार कम करने की धमकी पर अगले साल से हट गया था. साल 2007 में सिंगापुर ने भी इसमें हिस्सा लिया था. ऑस्ट्रेलिया ने इस साल इस एक्सरसाइज में शामिल होने की फिर से इच्छा जताई है.
अमेरिकी मंत्री बिगन ने कहा कि क्वॉड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग देशों में वियतनाम, साउथ कोरिया और न्यूजीलैंड को भी शामिल किया जाना चाहिए. अभी इसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल हैं. इसका मकसद इंडो-पैसिफिक रीजन में शांति बनाए रखना है. ताकि इस इलाके में शक्ति का संतुलन बना रहे.
गौरतलब है कि नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) कई देशों का रक्षा सहयोग संगठन है. 4 अप्रैल 1949 को इसे बनाया गया था. बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में इसका हेडक्वार्टर है. पहले इसके मेंबरों की संख्या 12 थी जो अब 29 हो गई है. लेकिन कई बार कई ताकतवर देश NATO की बातें नहीं सुनते, जैसे हाल ही में रूस ने अमेरिकी बमवर्षक को घेरा था.