आज 16 दिसंबर है, वह दिन जब 1971 में हमारे देश के जांबाज सैनिकों को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारी जीत मिली थी. इस विजय के बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे और विश्व पटल पर बांग्लादेश नामक नए राष्ट्र का उदय हुआ था. इसी दिन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में 92,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था. आइए जानते हैं कि कैसे हुआ पूरा घटनाक्रम और कैसे बने युद्ध के हालात.
इस तरह से आई युद्ध की नौबत
1. युद्ध की पृष्ठभूमि तब बननी शुरू हुई थी, जब पूर्वी पाकिस्तान में सत्ता वहां के लोकप्रिय नेता शेख मुजीबुर रहमान को सौंपने की जनता की भारी मांग को पाकिस्तान के सैन्य शासकों ने मानने से इंकार कर दिया था.
2. बंग बंधु के नाम से लोकप्रिय शेख मुजीबुर रहमान को पूर्वी पाकिस्तान स्टेट इलेक्शन में 169 में से 167 सीटें हासिल हुई थीं और उन्हें पाकिस्तान संसद के निचले सदन में भी बहुमत मिल गया था. इस बहुमत का मतलब था कि उन्हें पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया जाए.
3. लेकिन पाकिस्तान के सैनिक शासक जनरल याहिया खान ने सेना को ढाका में आवामी लीग के खिलाफ हमला बोलने का आदेश दे दिया और मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर मार्च महीने में पश्चिमी पाकिस्तान ले जाया गया.
4. जनरल याहिया खान ने पूर्वी पाकिस्तान में अशांति को दूर करने के लिए जनरल टिक्का खान को भेजा. इस बर्बर जनरल के नेतृत्व में जनता पर जो भीषण जुल्म किए गए उससे पूरी मानवता कांप उठी. लाखों निर्दोष लोगों को मौत के घाट पहुंचा दिया गया और एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए भारत में आकर शरण ली. पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने खुद को इस दमनकारी शासन से मुक्ति दिलाने के लिए 'मुक्ति वाहिनी' जनसेना का निर्माण किया.
5. भारत ने बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी जनसंख्या की आक्रामकता की जानकारी दुनिया को दी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शेख मुजीबुर को उनके स्वतंत्रता संग्राम में खुलकर समर्थन देने का निर्णय लिया.
हमने दुश्मन को कुचल दिया
1.भारत-पाक युद्ध की शुरुआत तब हुई, जब 3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तानी वायु सेना ने भारत पर हमले शुरू कर दिए.
2. कुल 13 दिन तक चले युद्ध के बाद आखिरकार भारत के जांबाज सैनिकों के आगे पाकिस्तानियों को धूल चाटनी पड़ी और उन्होंने बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण का प्रस्ताव रखा. भारत ने अश्वासन दिया कि उन्हें सुरक्षित पूर्वी पाकिस्तान से उनके देश पाकिस्तान भेजा जाएगा.
3. आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर 16 दिसंबर को ढाका में पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी और भारतीय सेना के पूर्वी आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जे अरोड़ा ने दस्तखत किए. मुक्ति वाहिनी ने ढाका पर नियंत्रण हासिल किया.बांग्लादेश का निर्माण हुआ.
4. उस समय भारत के रक्षा मंत्री जगजीवन राम थे.