भारत और पाकिस्तान ने 5 दिनों तक चली चर्चा के बाद उस न्यायिक आयोग के लिए विचारणीय मुद्दों को अंतिम रूप दे दिया, जिसके वर्ष 2008 के मुम्बई आतंकवादी हमले से संबंधित सबूत एकत्र करने के लिए भारत की यात्रा करने की संभावना है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी न्यायिक आयोग के मुम्बई की दूसरी यात्रा के बारे में एक समझौते को शाम में जटिल तकनीकी और कानूनी मुद्दों पर कई दौर की चर्चा के बाद अंतिम रूप प्रदान किया गया. बातचीत गत गुरुवार को भारत से चार सदस्यीय एक दल के इस्लामाबाद पहुंचने पर शुरू हुई, जिसमें गृह एवं विदेश मंत्रालयों के कानूनी विशेषज्ञ शामिल थे.
सूत्रों ने विस्तृत जानकारी दिये बिना बताया कि दोनों पक्ष विचारणीय मुद्दों पर लंबे विचार विमर्श के बाद एक समझौते पर पहुंचे. हालांकि भारतीय पक्ष में कुछ चिंताएं बनी हुई थीं जिसे औपचारिक रूप से पाकिस्तानी अधिकारियों को अवगत कराया गया.
सूत्रों ने बताया कि भारतीय पक्ष ने औपचारिक रूप से पाकिस्तानी अधिकारियों को अवगत कराया कि भारत और पाकिस्तान जैसे देशों के मामले में जिनके बीच आपसी कानूनी सहायता संधि नहीं है, दोनों देशों की सरकारों के बीच एक कार्यकारी समझौता स्थानीय कानूनों की अपेक्षा प्राथमिकता हासिल करेगा.
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी आयोग की यात्रा को अंतिम रूप देने में अभी थोड़ा और समय लगेगा. सबसे पहले यात्रा के लिए अनुमति बम्बई उच्च न्यायालय से लेनी होगी. इसके बाद इसके लिए पाकिस्तानी आतंकवाद निरोधक अदालत से अनुमति लेनी होगी जो मुम्बई आतंकवादी हमले में शामिल आरोपियों के खिलाफ सुनवायी कर रहा है.
भारतीय दल पाकिस्तानी दल के साथ दो दिनों की बातचीत के बाद शनिवार को ही स्वदेश लौटने वाला था. लेकिन उनके लौटने की तारीख बढ़ा दी गयी. भारतीय दल के साथ बातचीत करने वाले पाकिस्तानी दल में संघीय जांच एजेंसी के अभियोजक और पाक गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय संकट प्रबंधन इकाई के अधिकारी भी शामिल थे.
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के तीन सदस्य लौट गए लेकिन गृह मंत्रालय में एक संयुक्त सचिव आगे की चर्चा के लिए रुक गए.
सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों ने कई जटिल मुद्दों पर विचार विमर्श किया. पाकिस्तानी आयोग के मुंबई में चार भारतीय गवाहों से जिरह किये जाने की संभावना है. इन गवाहों में मुम्बई हमले की जांच का नेतृत्व करने वालो पुलिस अधिकारी, हमलावर अजमल कसाब का इकबालिया बयान दर्ज करने वाले मजिस्ट्रेट तथा हमले में मारे गए आतंकवादियों के पोस्टमार्टम करने वाले दो चिकित्सक शामिल हैं.