मुंबई में चार साल पहले हुए हमले के मामले में पाकिस्तान के सिंध प्रांत स्थित लश्कर-ए-तैयबा के शिविरों और हमलावरों की ओर से इस्तेमाल की गई मशीनी नौकाओं की तस्वीरें बतौर सबूत वहां की आतंकवाद विरोधी अदालत में प्रस्तुत की गई हैं.
संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के अधिकारियों ने शनिवार को रावलपिंडी की आदियाला जेल स्थित आतंकवाद विरोधी अदालत के न्यायाधीश चौधरी हबीबुर रहमान के समक्ष मुंबई हमले के संदर्भ में सबूत पेश किए.
एफआईए अधिकारियों ने बतौर सबूत लश्कर के शिविरों और आतंकवादियों की ओर से इस्तेमाल मशीनी नौकाओं की तस्वीरें दी हैं. मशीनी नौकाएं और कुछ दूसरे सामान एफबीआई के कब्जे में हैं. इन्हें जनवरी 2009 में बरामद किया गया था.
मुंबई में पाकिस्तान से पहुंचे 10 आतंकवादियों ने नवंबर, 2008 में कई प्रमुख स्थानों पर हमला किया था. इनमें 166 लोग मारे गए थे. एफआईए के अधिकारियों की ओर से प्रस्तुत सबूतों को न्यायिक रिकॉर्ड में शामिल किया गया है.
एफआईए अधिकारियों ने अदालत को बताया कि हमले में शामिल आतंकवादियों को अरब सागर में अल हुसैनी, अल अता और अल फौज नाम की नौकाओं पर प्रशिक्षित किया गया था. अधिकारियों के अनुसार इन आतंकवादियों को सिंध प्रांत के थाटा जिले के मीरपुर साकरो तथा कराची के यूसाफ गोथ एवं लांधी इलाके में स्थित लश्कर के शिविरों में प्रशिक्षित किया गया था.
अधिकारियों ने कहा कि ये शिविर 25 से 48 एकड़ के क्षेत्र में फैले हुए हैं. फिलहाल सात आतंकवादियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जा रहा है. इनमें से एक आतंकवादी हम्माद अमीन सादिक ने स्वीकार किया है कि मुंबई भेजे जाने से पहले सभी 10 हमलावरों को आतंकी शिविरों में रखा गया था.
इन सात आतंकवादियों में लश्कर का स्वयंभू कमांडर जकीउर रहमान लखवी भी शामिल है. विशेष अभियोजक चौधरी जुल्फिकार अली ने बताया कि एफआईए अधिकारियों ने अपने बयान दर्ज कराए और लश्कर शिविरों से बरामद 350 वस्तुओं का पूरा ब्यौरा अदालत के समक्ष पेश किया. इस मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को की जाएगी.