साल 2013 का चिकित्सा क्षेत्र का नोबेल प्राइज तीन वैज्ञानिकों को साझा तौर पर मिला है. इनमें से दो अमेरिका के हैं और एक जर्मनी के. उन्होंने कोशिकाओं के ट्रांसपोर्ट सिस्टम की गुत्थी सुलझाई. जानें कुछ उनके बारे में. उनके काम के बारे में.
एक साइंटिस्ट हैं. सुडौफ नाम है उनका. स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं.उन्हें यह जानने में दिलचस्पी थी कि दिमाग में जो कोशिकाएं होती हैं, वे आपस में बातें कैसे करती हैं. और सब मिलकर इन बातों का एक साझा मतलब कैसे निकालते हैं.
एक और सज्जन हैं. वह भी साइंटिस्ट हैं. उनका नाम रॉथमैन है.येल यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. उन्हें यह जानना था कि शरीर की बेसिक इकाई कोशिका अपना ट्रांसपोर्ट सिस्टम कैसे चलाती हैं. और इस ट्रांसपोर्ट सिस्टम के मुख्य तत्व कौन से हैं. इनके एक मित्र साइंटिस्ट हैं. रैंडी नाम है. ये बर्कले यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं.यह जानना चाहते थे कि कोशिकाएं अपने ट्रांसपोर्ट सिस्टम को संगठित ढंग से चलाने के लिए क्या तौर तरीके अपनाती हैं.
सुडौफ, रैंडी और रॉथमैन ने मिलकर काम किया. यीस्ट के मॉडल को अपनाया.ये यीस्ट एक किस्म की फफूंद होती है, जिसका इस्तेमाल एक केमिकल प्रोसेस फरमेनटेशन में होता है. इसी प्रोसेस से शराब वगैरह बनती है.बहरहाल इन तीनों साइंटिस्टों ने खोज की और हमें बताया कि कोशिकाएं आपस में किस तरह से संवाद करती हैं. और इस शानदार काम के लिए इन तीन अमेरिकी वैज्ञानिकों को साल 2013 का नोबेल प्राइज दिया गया है मेडिसिन या प्राइज की भाषा में कहें तो फिजियोलॉजी की फील्ड में.
कल यानी 8 अक्टूबर को फिजिक्स की फील्ड में नोबेल प्राइज के विनर के नाम का ऐलान किया जाएगा.