इस्लामिक देश इराक में 300 साल पुरानी अल-सिराजी मस्जिद की मीनार गिराए जाने से देश भर के पुरातत्व प्रेमियों के बीच गुस्सा भरा है. मस्जिद की मीनार इसलिए खास थी क्योंकि यह मिट्टी के ईंटों से बनी थी और सदियों बाद भी ज्यों की त्यों सुरक्षित अवस्था में थी. लेकिन स्थानीय सरकार ने सड़क चौड़ा करने के लिए इसे तोड़ दिया जिसके बाद से लोग भड़के हुए हैं.
लोगों का कहना है कि अगर किसी देश में सड़क का चौड़ीकरण किया जाता है तो उसके रास्ते में आने वाले एक पेड़ तक का ख्याल रखा जाता है लेकिन इस्लामिक देश इराक में ऐतिहासिक मस्जिद की मीनार को बिना सोचे समझे गिरा दिया गया. ईंटों से बनी अल-सिराजी मस्जिद की मीनार का शिखर नीली सिरेमिक टाइलों से जड़ा था और यह शहर का प्रमुख आकर्षण था.
बसरा शहर की एक महत्वपूर्ण सड़क अबू-अल खासीब को चौड़ा करने के लिए बीते शुक्रवार की शाम को मस्जिद की मीनार ढहा दी गई थी. स्थानीय सरकार का कहना था कि शहर में ट्रैफिक की समस्या को दूर करने के लिए मीनार को हटाना जरूरी था.
मीनार 11 मीटर ऊंची थी जिसे मिनटों में जमींदोज कर दिया गया. इस दौरान बसरा के गवर्नर भी मौजूद थे. इराक के संस्कृति मंत्रालय ने मीनार को गिराए जाने की कड़ी निंदा की और कहा है कि वो इस मामले को कोर्ट में ले जाएंगे.
'पहले जो आतंकी करते थे, वह अधिकारी कर रहे'
इराक में सालों चली अशांति ने उसके लगभग सभी पुरातात्विक स्थलों को या तो बर्बाद कर दिया है या नुकसान पहुंचाया है. आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के हमलों में देश की बहुत सी सांस्कृतिक विरासत मिट्टी में मिल गई है. साल 2017 में भी इस्लामिक स्टेट में मोसुल शहर पर हमला कर अल-हदबा मीनार को बम से उड़ा दिया था. उसके बाद से इराक की सांस्कृतिक विरासत को यह सबसे बड़ा नुकसान है.
इराक में अल-कादिसिया विश्वविद्यालय में भू-पुरातत्व के सहायक प्रोफेसर जाफर जोथेरी ने कहा, 'पहले ये आतंकी करते थे हालांकि, इस बार यह आधिकारिक तौर पर अधिकारियों ने किया है जिसने हमारी विरासत को खत्म कर दिया है.'
इराक में ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए काम करने वाले एक इराकी फोटोग्राफर अली हिलाल ने कहा, 'दूसरे देशों में, सड़क के चौड़ीकरण के दौरान एक पेड़ की भी रक्षा की जाती है. हमने सड़क को चौड़ा करने के लिए 3 सदी पुरानी मीनार को क्यों नष्ट कर दिया?'
1727 में बनी मस्जिद को मीनार को तो गिरा दिया गया हालांकि, इसकी मीनार अभी तक सुरक्षित है.
बसरा के गवर्नर, असद अल-ईदानी ने अपने बयानों में कहा है कि मीनार को गिराने से पहले स्थानीय सरकार ने मस्जिद और मीनार की संरक्षक इराक के सुन्नी बंदोबस्ती से अनुमति ली थी. उन्होंने कहा कि पुरानी मस्जिद को आधुनिक डिजाइन वाली मस्जिद में बदल दिया जाएगा.
गवर्नर ने बसरा गवर्नरेट मीडिया ऑफिस के आधिकारिक फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा, 'कुछ लोग ऐसा कह सकते हैं कि यह ऐतिहासिक मीनार थी लेकिन यह सड़क के बीच में आ रही थी. हमने लोगों की भलाई की खातिर सड़क विस्तार के लिए इसे हटा दिया.'
'मीनार सड़क पर अतिक्रमण नहीं था, सड़क का विस्तार मीनार का अतिक्रमण है'
प्रो. जोथेरी ने कहा, 'मीनार सड़क से पहले की है और यह बसरा के सबसे पुराने स्थलों में से एक है. यह सड़क पर अतिक्रमण नहीं था बल्कि, उन्होंने इस पर अतिक्रमण कर लिया.'
बसरा के एक तेल इंजीनियर आदिल सादिक ने कहा, 'मीनार का धार्मिक महत्व था, लेकिन उसका ऐतिहासिक महत्व भी काफी अधिक था. यह मीनार किसी व्यक्ति या विशेष धर्म से संबंधित नहीं था बल्कि, शहर की सामूहिक संपत्ति था जिसकी लोगों के बीच कई यादें थीं.'
संस्कृति मंत्रालय के प्रवक्ता अहमद अल-ओलायावी ने मीनार को तोड़ने की आलोचना की और कहा कि मंत्रालय ने बसरा की सरकार को प्रस्ताव दिया था कि वो मीनार को तोड़ने के बजाए उसे किसी और जगह स्थानांतरित कर दे. मंत्रालय ने कहा कि इसकी कानूनी जांच होनी चाहिए.
'मलबे से बनाएंगे नई मीनार'
सुन्नी बंदोबस्ती कार्यालय ने एक आधिकारिक बयान में इस बात से इनकार किया कि उसने मीनार को गिराने की अनुमति दी थी. सुन्नी बंदोबस्ती के प्रमुख मिशान अल-खजराजी ने एक टेलीविजन भाषण में कहा, 'हमने बसरा की स्थानीय सरकार से मीनार को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया, न कि इसे नष्ट करने का.'
वहीं, बसरा के निवासी अली नाजिम ने कहा कि वो चाहते हैं कि सड़क चौड़ी हो जिससे शहर में ट्रैफिक की समस्या खत्म हो लेकिन इस काम को जिस तरीके से अंजाम दिया गया, उससे लोगों में गुस्सा पैदा हुआ है. मीनार गिराए जाने के बाद मचे हंगामे को देखते हुए बसरा के गवर्नर ने कहा कि मीनार के मलबे से एक ऐसी ही मीनार का पुर्ननिर्माण किया जाएगा.
हालांकि, भू-पुरातत्व के सहायक प्रोफेसर जाफर जोथेरी का कहना है कि ऐसा करना असंभव जैसा लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि मीनार तोड़ते वक्त उसकी ईंटों को काफी नुकसान पहुंचाया गया और बुलडोजर से ईंटों की अनूठी विशेषताओं को नष्ट कर दिया गया.
उन्होंने भरे मन से कहा, 'पिछले 300 वर्षों में बसरा आने वाले हर व्यक्ति ने मीनार को देखा था और उसके साथ उनकी यादें जुड़ी हैं. लेकिन अब आनेवाली पीढ़ी इसे देख नहीं पाएगी. अब, न तो मेरे बेटे और न ही आपके बेटे को इसे देखने का मौका मिलेगा.'