नेपाल के विध्वंसकारी भूकंप ने 500 साल पुराने काष्ठ मंडप मंदिर को जमींदोज कर दिया और उसके मलबे में कई लोग मारे गए. राजधानी काठमांडू का नाम इसी मंदिर के नाम पर पड़ा था.
उस दिन एक निजी कंपनी ने वहां रक्तदान शिविर लगाया था और उसके ढहने से नर्स समेत ज्यादातर रक्तदाताओं की मौत हो गई.
स्वयंसेवक एवं मंदिर के समीप ही रहने वाले अजय शाक्य (21) ने कहा, 'जिस दिन भूकंप आया, कई लोग रक्तदान करने मंदिर में पहुंचे थे. यह सब बस एक सेंकेंड में हुआ है और सबकुछ मलबे में तब्दील हो गया.'
उन्होंने कहा, 'उन्हें कुछ भी करने के लिए समय नहीं मिला. रक्तदान करने वालों में कुछ ने बस अपनी सूई निकाली और बाहर दौड़े. लेकिन कई नहीं बच पाए. '
अजय ने कहा, 'मुश्किल तब और बढ़ी, जब लोगों ने सोचा कि चूंकि यह मंदिर पहले भी भूकंप में बच गया, इसलिये इस बार भी वह बच सकता है. इसलिये कुछ लोग बाहर से अंदर दौड़े.'
उसने कहा, 'जब भूकंप आया तब सौभाग्य से शिविर खत्म होने वाला था, अतएव कम लोग हताहत हुए. जब नर्सों के शव बरामद किए गए तो स्थिति ऐसी थी कि उन्होंने अपने हाथों से सिर ढके हुए थे.'