शुक्रवार रात तुर्की की राजधानी अंकारा में सड़कों पर अचानक गोलियां बरसने लगीं. प्रधानमंत्री बिनाली यिलदीरिम ने इसे सैन्य तख्तापलट की कोशिश बताया. लेकिन तुर्की में तख्तापलट का इतिहास 1960 से ही चला आ रहा है. इससे पहले भी तुर्की तख्तापलट और सत्ता की अस्थिरता का गवाह रह चुका है. हालांकि सेना अब तक 3 बार तख्तापलट की कोशिश में सफल रही है.
1. तुर्की में पहली बार 1960 में सेना ने तख्तापलट किया. सेना ने सत्ताधारी डेमोक्रेट पार्टी के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर उनपर मुकदमा चलाया.
2. साल 1971 में सेना ने कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य और प्रधानमंत्री सुलेमान डिमाइरल को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया. देश में सैन्य शासन की घोषणा की गई.
3. सेना ने 1980 में एक बार फिर तख्तापलट किया. जब देश के लेफ्ट और राइट विंग के बीच हिंसा की वजह से गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हुई. तब तुर्की के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ केनान एवरेन के नेतृत्व में तीसरा तख्तापलट किया गया.
4. साल 1997 में सेना ने एक बार फिर नेकमेट्टिन एरबाकन को इस्तीफा देने पर मजबूर किया. उन पर देश में धार्मिक कानूनों को लागू करने का आरोप था. हालांकि उस वक्त सेना ने सत्ता नहीं संभाली. इसके बाद धर्मनिरपेक्ष माने जाने वाले राजनेताओं को सरकार बनाने का मौका दिया गया.
5. 15 जुलाई 2016 को तुर्की के प्रधानमंत्री बिनाली यिलदीरिम ने घोषणा की कि देश में सेना ने तख्तापलट की कोशिश की है. हालांकि बाद में राष्ट्रपति ने रिसेप एर्दोगन ने कहा कि देश में उन्हीं की सरकार है. सेना की कोशिश को असफल कर दिया गया है.