अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान में अलकायदा की ताकत बहुत कमजोर हो गयी है लेकिन अन्य सक्रिय आतंकवादी संगठन लगातार वाशिंगटन और उसके सहयोगियों के हितों के लिए सीधा खतरा बने हुए हैं.
राष्ट्रीय प्रतिआतंकवाद केंद्र (नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर) के निदेशक मैथ्यू जी ओल्सन ने कहा, ‘पाकिस्तान और अफगान उग्रवादी समूह तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), हक्कानी नेटवर्क और लश्कर ए तैयबा क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगियों के हितों के लिए लगातार सीधा खतरा बने हुए है.’
कांग्रेस की बहस में लिखित ब्यौरे में ओल्सन ने कहा कि पिछले कई वषरें के दौरान आतंकवाद निरोधक सतत कार्रवाई के कारण दबाव बढ़ा जिससे पाकिस्तान में अलकायदा के नेतृत्व के मनोबल और उसकी क्षमता में कमी आई है.
उन्होंने कहा, ‘इन प्रयासों से अलकायदा पिछले दस साल में सर्वाधिक कमजोर हुआ है. हालांकि अलकायदा अपने लक्ष्यों को लेकर प्रतिबद्ध है लेकिन वह पतन की राह पर है.’
ओल्सेन ने कहा कि वर्ष 2005 में लंदन में बम विस्फोटों की घटना के बाद अलकायदा ने पश्चिम में कोई सफल अभियान नहीं चलाया है. लेकिन वह अमेरिका सहित पश्चिमी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
ओल्सन ने कहा कि अलकायदा की क्षमता में कमी के कारण अब उसके योजनाकार ऐसी छोटी, सरल साजिश रचने पर बाध्य हो गए जिसे आसान निशानों पर बिना किसी बाधा के अंजाम दिया जा सके. उन्होंने कहा कि लश्कर ए तैयबा सहित अन्य दक्षिण एशियाई आतंकवादी संगठन क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए लगातार खतरा पेश कर रहे हैं.
ओल्सन ने कहा कि लश्कर ए तैयबा के नेता क्षेत्र पर ध्यान दे रहे हैं, बड़ी संख्या में पाकिस्तानी और पश्चिमी उग्रवादियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और उनमें से कुछ तो लश्कर ए तैयबा के नेताओं से दिशानिर्देश लिए बिना ही पश्चिम में आतंकवादी हमलों की साजिश रच सकते हैं.
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया आदि पर ध्यान केंद्रित करने की वजह से लश्कर ए तैयबा के सदस्य हताश हैं और उससे किनारा कर अलकायदा जैसे उन समूहों में शामिल हो सकते हैं जो पूरे विश्व पर ध्यान केंद्रित कर रहा हो.
उन्होंने कहा कि लश्कर ए तैयबा के नेता मानते हैं कि अमेरिका पर हमले से पाकिस्तान को लेकर तीव्र अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया होगी और वहां समूह के लिए सुरक्षित पनाह मिलना मुश्किल हो जाएगा.
ओल्सन ने कहा कि लश्कर ए तैयबा अपने क्षेत्रीय उद्देश्यों के सिलसिले में दक्षिण एशिया में पश्चिमी हितों पर हमला करने का अपना इरादा करता रहा है. इसके तहत उसने वर्ष 2008 में मुंबई हमलों के दौरान उन बड़े होटलों को निशाना बनाया जहां अकसर पश्चिमी देशों के नागरिक आते जाते रहते हैं.
उन्होंने कहा कि हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में बड़ी हस्तियों को निशाना बना रहा है. वहां उसने नाटो और अफगान सरकार के ठिकानों पर कई हमले किए हैं. अप्रैल में काबुल में सरकारी और सैन्य प्रतिष्ठानों तथा तीन अन्य शहरों में 18 घंटे के अंदर कई बार हमले किए गए.
इस माह के शुरू में विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने अमेरिकी कांग्रेस को हक्कानी नेटवर्क को विदेशी आतंकवादी संगठन की सूची में डालने के इरादे से अवगत कराया था.
ओल्सन ने कहा, ‘अलकायदा जैसे वैश्विक समूह और अन्य स्थानीय समूहों को सुरक्षित पनाह देने तथा अन्य सुविधाएं देने की हक्कानी नेटवर्क की क्षमता से हम लगातार चिंता में हैं.’ उन्होंने कहा कि तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने 16 अगस्त को पाकिस्तान के कामरा एयरबेस पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी. उसने गठबंधन बलों के लिए पाकिस्तान से हो कर जाने वाली आपूर्ति लाइनों को निशाना बनाने की धमकी भी दी जिससे पता चलता है कि क्षेत्र में उसकी वजह से कैसा खतरा है.