लुइसियाना प्रांत के भारतीय-अमेरिकी गवर्नर बॉबी जिंदल ने अपने रिपब्लिकन सहयोगियों से पार्टी के लिए बढ़-चढ़कर काम करने की अपील करते हुए कहा है कि पार्टी को नासमझ बनने से बाज आना होगा.
उन्होंने बराक ओबामा से शिकस्त खाने वाले रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी के दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि ओबामा की जीत अल्पसंख्यकों एवं युवा मतदाताओं ने पक्की की.
रिपब्लिकन गवनर्स एसोसिएशन के नवनिर्वाचित चेयरमैन जिंदल ने आक्रामक लहजे में कहा कि इस दावे को मैं पूरी तरह से खारिज करता हूं कि ओबामा की जीत उनके पक्ष में अल्पसंख्यकों एवं युवा मतदाताओं के ध्रुवीकरण का नतीजा है.
एसोसिएशन के चुनाव के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि मैं इस हार के संदर्भ में दो बिंदुओं की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगा. पहला यह कि हम मतविभाजन की रणनीति के बूते चुनाव जीतने की आदत से बाज आएं. हमारे लिए अमेरिका का एक-एक वोट कीमती है.
राजनीतिक रिपोर्टिग को समर्पित एक प्रभावशाली वेबसाइट पॉलिटको ने जिंदल को यह कहते हुए उद्धृत किया कि हमें सभी 100 फीसदी वोट को आकर्षित करने का प्रयास करना चाहिए, न कि सिर्फ 53 फीसदी वोट के लिए. दूसरी बात यह कि हमें अमेरिकी सपने को हासिल करने के अपने विजन से हर अमेरिकी को प्रभावित करने की जरूरत है. उनके मन में यह भरोसा पैदा करना होगा कि रिपब्लिकन पार्टी उनके बच्चों की बेहतर शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सभी जरूरतों के प्रति सौ फीसदी गंभीर है.
वर्ष 2016 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के प्रबल रिपब्लिकन दावेदार माने जाने वाले जिंदल ने कहा कि पिछले सप्ताह रोमनी की चुनावी हार पर गहन मंथन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि रोमनी देश को शायद यह नहीं समझा पाये कि वे उसे उत्थान के किस पड़ाव पर ले जाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि हमें नासमझ पार्टी बनने से बाज आना पड़ेगा. हमें अपने विजन और नजरिए को व्यापक बनाने की जरूरत है. उन्होंने पार्टी की हार के कई कारणों में पार्टी नेताओं की आक्रामक, विवादास्पद और अनावश्यक टिप्पणियों को भी जिम्मेवार ठहराया.