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पश्चिम एशिया की तेल कंपनियों के खिलाफ साइबर युद्ध

साइबर दुनिया में पश्चिम एशिया की तेल कंपनियों के खिलाफ साइबर हमलों की बाढ़ सी आ गई है. उनके कंप्यूटर नेटवर्क पर लगातार साइबर हमले हो रहे हैं. पिछले सप्ताह यहीं पर एक नया वायरस भी पहचाना गया है.

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साइबर दुनिया में पश्चिम एशिया की तेल कंपनियों के खिलाफ साइबर हमलों की बाढ़ सी आ गई है. उनके कंप्यूटर नेटवर्क पर लगातार साइबर हमले हो रहे हैं. पिछले सप्ताह यहीं पर एक नया वायरस भी पहचाना गया है.

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समझा जाता है कि इस तरह के पहले साइबर अभियान के पीछे अमेरिका और इजरायल का हाथ था, जो उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लक्ष्य कर छेड़ा था. अब ये देश खुद साइबर हमलों को लेकर चिंतित हैं.

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने इसी महीने कहा था कि उनके देश के कंप्यूटर नेटवर्क पर लगातार साइबर हमले का प्रयास किया जा रहा है. हालांकि उन्होंने इसका अधिक ब्यौरा नहीं दिया था. इससे कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने ईरान को इस तरह के डिजिटल हमलों के प्रति चेताया था.

अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने सार्वजनिक तौर पर पहली बार यह स्वीकार किया था कि ‘शामून’ वायरस ने सउदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको पर अगस्त में हमला किया, जिससे तीन लाख से ज्यादा कंप्यूटर प्रभावित हुए.

इस वायरस का हमला अमेरिकी पेट्रोलियम कंपनी एक्सॉन मोबिल तथा सरकारी नियंत्रण वाली कतर पेट्रोलियम के संयुक्त उद्यम रासगैस पर भी हुआ.

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इस साइबर हमले के बाद दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको को अपने आंतरिक नेटवर्क को ठीक करने में 15 दिन लगे. माना जा रहा है कि इस तरह की घटनाओं से सउदी अरब का तेल निर्यात प्रभावित हो सकता है जिससे तेल कीमतों में उछाल आ सकता है.

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