लगभग छह करोड़ पाकिस्तानी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं. इसके बावजूद विकास कार्यों की तुलना में रक्षा क्षेत्र पर अधिक खर्च किया जा रहा है.
एक प्रमुख समाचार पत्र के संपादकीय में इस मुद्दे को उठाया गया है. समाचार पत्र 'डॉन' के सम्पादकीय में गरीबी पर कराए गए एक अध्ययन के हवाले से कहा गया, 'हर तीसरा पाकिस्तानी गरीबी में जी रहा है, यानी, कुल 18 करोड़ जनसंख्या में से लगभग 5.87 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं.'
अखबार में कहा गया कि आंकड़े भयावह हैं 'लेकिन योजना बनाने के लिए उसकी काफी जरूरत है, खासकर तब जब सरकार शर्म के मारे गरीबी के आंकड़े नहीं पेश कर पाती है.' अध्ययन कराने वाली सस्टेनेबल डेवलपमेंट पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने गरीबी से निजात के लिए नीति बनाने की जरूरत बताई है.
सम्पादकीय में कहा गया, 'रक्षा जैसे क्षेत्रों में विकास कार्यों से अधिक खर्च हो रहे हैं. धनी लोग खुद का अस्तित्व बनाए रखने के लिए कमजोर वर्ग को नकार पाने में सफल हो रहे हैं. कमजोर वर्गों के लोगों तक जो बदलाव पहुंच पा रहे हैं, वे उन्हें मुख्यधारा तक खींच कर ला पाने के लिए काफी नहीं हैं.'