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चीन के लिये व्यापार घाटे पर ध्यान देना जरूरी: भारत

भारत ने कहा कि व्यापक द्विपक्षीय संबंधों को ध्यान में रखते हुये चीन के लिये बढ़ते व्यापार घाटे पर ध्यान देना काफी महत्वपूर्ण होगा.

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भारत ने कहा कि व्यापक द्विपक्षीय संबंधों को ध्यान में रखते हुये चीन के लिये बढ़ते व्यापार घाटे पर ध्यान देना काफी महत्वपूर्ण होगा. चीन में भारत के राजदूत एस जयशंकर ने चीनी मीडिया द्वारा पूछे सवालों के जवाब में कहा व्यापार संतुलन की समस्या का समाधान ढूंढा जाना चाहिये. द्विपक्षीय व्यापार का झुकाव चीन के पक्ष में है.

उन्होंने कहा ‘भारत सरकार के दृष्टिकोण के लिहाज से व्यापार घाटा चिंता का विषय है. यह बहुत अधिक है.’ वह छठे चीनी अंतरराष्ट्रीय आटो कल-पुर्जा प्रदर्शनी के मौके पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे जिसमें भारत को भागीदार देश नामित किया गया था.

भारतीय राजदूत ने कहा ‘यदि बाजारों में बराबर पहुंच नहीं मिलने की धारणा से व्यापार घाटा होता है तो स्पष्ट रूप से यह रिश्तों के लिए ठीक नहीं है क्योंकि इससे संबंधों में समानता का संकेत नहीं मिलता.’ उन्होंने कहा ‘इसलिए मुझे लगता है कि व्यापार घाटे की समस्या से निपटने के लिए तरीका ढूंढना जरूरी है ताकि यह द्विपक्षीय संबंधों के लिए अच्छा रहे.’ उन्होंने स्वीकार किया कि द्विपक्षीय पहल से कुछ भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियांे को अनुबंध मिल रहा है.

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जयशंकर ने यह भी कहा कि चीन की सरकार भारत के बढ़ते घाटे से जुड़ी चिंता को समझ रही है और समाधान पर गौर कर रही है यह मौजूदा आर्थिक नरमी के दौरान दोनों देशों के आपसी हितों के लिए अच्छा है कि वे और कारोबार करें.

उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को अनुबंध मिल रहे हैं लेकिन दवा उद्योग को अब तक कोई सफलता नहीं मिली है.

भारत और चीन द्विपक्षीय व्यापार में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत के पक्ष में 13.6 अरब डालर का व्यापार घाटा रहा है जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 13.4 अरब डालर रहा था.

दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रियों की हाल में नयी दिल्ली में हुई बैठक में चीन ने इस समस्या का हल ढूंढने पर सहमति जताई थी.

जयशंकर ने इससे पहले शुक्रवार को समारोह के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुये कहा कि पिछले वर्ष द्विपक्षीय व्यापार जहां 74 अरब डालर तक पहुंच गया, वहीं इससे व्यापार घाटे के रुप में एक चुनौती भी खड़ी हो गई जो कि 27 अरब डालर तक पहुंच गया. ‘इस स्तर पर इसे बरकरार रखना अथवा वहन करना काफी मुश्किल होगा.’ उन्होंने कहा ‘भारतीय कंपनियों के लिये चीन के बाजारों तक पहुंचना सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है और यही वजह है कि उनमें से कई कंपनियां यहां इस प्रदर्शनी में पहुंची हैं.’ आटो कलपुजरें के क्षेत्र से भारत की करीब 80 शीर्ष कंपनियां ‘इंडिया शो’ में भाग ले रही हैं.

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जयशंकर ने कहा कि भारत..चीन के आर्थिक रिश्ते अब परिपक्व हो रहे हैं और व्यापार से निवेश की तरफ बढ़ रहे हैं. आधिकारिक अनुमान के मुताबिक भारत में चीन का निवेश 55 अरब डालर को पार कर चुका है.

कृष गोपालकृष्णन जो कि यहां एक्सपो में भारतीय कंपनियों के सीईओ के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं ने कहा भारत और चीन के लिये यह महत्वपूर्ण है कि द्विपक्षीय व्यापार पर ध्यान दें क्योंकि दोनों ही देश विकसित देशों से उंची वृद्धि हासिल कर रहे हैं.

वाणिज्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव असित त्रिपाठी ने व्यापार में होने वाले विवाद पर पूछे सवालों के जवाब में कहा भारत की विवाद निवारण प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और इसमें विश्व व्यापार संगठन के नियमों का पालन किया जाता है.

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