वीजा समझौते और सांस्कृतिक आदान-प्रदान संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर कर भारत-पाकिस्तान ने दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ाने की ओर कदम बढ़ाए, लेकिन इस वार्ता में मुंबई हमला मामले पर भारत की मांग पर कोई विशेष प्रगति नहीं हुई.
इस मामले में इस्लामाबाद ने सिर्फ आश्वासन दिया कि वह विधि सम्मत प्रक्रिया के तहत षड्यंत्रकारियों को न्याय की जद में लाएगा.
पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पाकिस्तान आने का फिर से न्योता देने के बावजूद भारत ने उनके दौरे के वक्त के बारे में कोई वादा नहीं किया. इस बारे में विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने कहा कि ‘उचित वातावरण’ और ‘उपयुक्त’ परिणाम आवश्यक है.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सभी भारतीय मछुआरों को तुरंत रिहा करने की घोषणा करते हुए इसे कृष्णा के दौरे पर सद्भावनापूर्ण व्यवहार बताया. रिहा होने वाले मछुआरों में वे भी शामिल हैं जिनकी सजा अभी तक पूरी नहीं हुई है.
कृष्णा और पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर और सियाचीन समेत द्विपक्षीय संबंधों के पिछले चरण की वार्ता की समीक्षा की और भविष्य की वार्ता के लिए कार्य योजना तैयार की . दोनों मंत्रियों ने ‘संयुक्त आयोग’ की बैठक की अध्यक्षता भी की.
बातचीत के बाद कृष्णा गृह मंत्रालय गए जहां उन्होंने पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक के साथ वीजा समझौते पर हस्ताक्षर किया.
मलिक ने इस समझौते पर हस्ताक्षर को ‘सकारात्मक प्रगति’ और पाकिस्तान की ओर से ‘दोस्ताना रवैया’ बताया.
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में पहले बोलते हुए खार ने अपनी बातचीत में पहले 15 मिनट तक आतंकवाद पर कुछ नहीं बोला लेकिन कृष्णा ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि आंतकवाद लगातार शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है. इस बारे में कृष्णा ने कहा कि पाकिस्तान ने अपने पुराने रूख को दोहराते हुए पाकिस्तान की विधि सम्मत प्रक्रिया के तहत मुंबई हमलों में शामिल लोगों को शीघ्रता से न्याय की जद में लाने की बात कही.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पाकिस्तान यात्रा के बारे में बार-बार सवाल पूछने पर कृष्णा ने कहा, ‘मैं आशावान हूं कि दौरा होगा’ लेकिन कब होगा इसका मैं वादा नहीं कर सकता.
कृष्णा ने जैसे ही कहा कि वह दिल्ली वापसी के बाद यहां के आकलन से प्रधानमंत्री को अवगत कराएंगे, खार ने तपाक से कहा कि उन्हें विश्वास है कि ‘यह साकारात्मक आकलन’ होगा.
हालांकि दोनों नेताओं ने कहा कि उनके संबंधों को बंधक नहीं बनना चाहिए, भारत ने स्पष्ट किया कि वह मुंबई हमलों की अनदेखी नहीं कर सकता जैसा कि हाल में हुआ है.
संबंधों में सकारात्मक वातावरण होने को स्वीकार करते हुए कृष्णा पाकिस्तान द्वारा भारत के आतंकवाद संबंधी चिंताओं के हल किए जाने को लेकर बिल्कुल स्पष्ट थे. बाद में उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मुंबई आतंकवादी हमलों पर बातचीत हुई और उसे पाकिस्तान के ‘फॉलो अप’ के लिए छोड़ दिया गया.
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान मुंबई हमलों को बातचीत में शामिल करने को लेकर अनिच्छुक था लेकिन भारत डटा रहा और उसे सफलता मिली.
संयुक्त बयान में कहा गया, ‘मंत्रियों ने मई 2012 में हुई गृह सचिव स्तर की वार्ता के दौरान विधि सम्मत प्रक्रिया के तहत मुंबई आतकंवादी हमलों के षड्यंत्रकारियों को शीघ्रता से न्याय की जद में लाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया.’
पाकिस्तान की ओर से जम्म-कश्मीर (मुख्य चिंता का मुद्दा), सियाचीन और सर क्रीक को उठाया गया. खार ने सियाचीन पर आगे बढ़ने की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि दोनों देशों को अतीत की तरह अवसरों को नहीं गंवाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाते हुए कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए.
मंत्रियों ने कहा कि वार्ता ‘सौहार्दपूर्ण, स्पष्ट और रचनात्मक वातावरण’ में हुई. उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और आतंकवाद निरोध (मुंबई हमले की सुनवायी पर प्रगति समेत) और मादक पदाथरें की तस्करी नियंत्रण, मानवता संबंधी मुद्दे, वाणिज्यिक और आर्थिक सहयोग, वुल्लर बांध-तुलबुल नेविगेशन परियोजना, सर क्रीक, सियाचीन, सीबीएमस समेत शांति और सुरक्षा, जम्मू-कश्मीर और दोस्ताना आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए बैठक करने पर संतोष जताया.