रूस में समुद्री परीक्षण के दौरान इंजन में समस्या आने के कारण रूस से खरीदा गया विमान-वाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव को भारतीय नौसेना को मिलने में और देरी होगी. यह पोत अब वर्ष 2013 में मिलेगा.
रूस के यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन ने सोमवार को कहा कि विमान-वाहक पोत को सौंपने के वक्त को फिर से आगे बढ़ा दिया गया है और अब वह वर्ष 2013 में सौंपा जाएगा.
भारत में आईएनएस विक्रमादित्य के जाना जाने वाला यह पोत पहले नौसेना को चार दिसंबर 2012 को मिलने वाला था लेकिन सितंबर में उसके परीक्षण के दौरान पता चला कि उसके ब्यॉलर ठीक से काम नहीं कर रहे हैं.
पिछले सप्ताह पोत का काम कर रहे सेवमाश गोदी पर आयोजित एक सरकारी आयोग ने कहा कि पोत की प्रोपोल्शन प्रणाली को ठीक करना जरूरी है.
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ‘रिया नोवोस्ती’ से कहा कि आयोग इस नतीजे पर पहुंचा है कि पोत को सौंपने के समय को आगे बढ़ाना जरूरी है क्योंकि उसमें सामने आयी सभी समस्याओं को हल करना जरूरी है. पोत के ब्यॉलर में आयी परेशानी को ठीक करना बहुत जरूरी है.
सूत्रों ने बताया कि एडमिरल गोर्शकोव को सौंपने में हो रही देरी के बारे में भारत से बातचीत की जा चुकी है. भारत और रूस में इस पोत के लिए वर्ष 2005 में 94.7 लाख डॉलर का सौदा हुआ था. इस बीच, रूस सौंपने की तिथि को दो बार आगे बढ़ा चुका है. इससे इस सौदे की कीमत में इजाफा हुआ है और यह बढ़ कर 2.3 अरब डॉलर पहुंच गई है.
सेवमाश गोदी के निदेशक वदीमिर पास्तुखोव को इस परियोजना के खराब प्रबंधन के लिए वर्ष 2007 में नौकरी से निकाल दिया गया था.