पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा है कि कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र की विफलता का प्रतीक है और इस मुद्दे का कोई समाधान केवल सहयोग के वातावरण में ही निकल सकता है.
यूएन न्यूज सेंटर ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि जरदारी ने जम्मू एवं कश्मीर के लोगों के अधिकारों का समर्थन करने के पाकिस्तान के संकल्प को दोहराया. यह मुद्दा भारत-पाकिस्तान के बीच लम्बे समय से विवाद का विषय बना हुआ है.
जरदारी के हवाले से कहा गया है, 'कश्मीर, संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था की क्षमताओं के बदले विफलता का प्रतीक बना हुआ है. हम महसूस करते हैं कि इन मुद्दों का कोई समाधान सहयोग के वातावरण में ही निकल सकता है.'
जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 67वें अधिवेशन में कहा कि उनके देश ने अभूतपूर्व सुधार किए हैं और उन्हें हासिल करने में कई कठिनाइयों का सामना भी किया है. जरदारी ने अधिनायकवाद और आतंकवाद पर कहा कि उनके देश की मौजूदा समस्याएं तानाशाहियों के उत्पाद हैं.
उन्होंने कहा, 'ये तानशाह और उनकी सरकारें पाकिस्तान, पाकिस्तानी संस्थानों, और पाकिस्तानी लोकतंत्र का गला घोटने के लिए जिम्मेदार हैं.' जरदारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति व विकास की लोगों की भावनाओं को प्रस्तुत करता है, लेकिन इसके लिए इस संस्था में सुधार की जरूरत है और इसे हर हाल में अधिक लोकतांत्रिक व अधिक जवाबदेह बनना होगा.