कड़े संघर्ष के बाद आखिरकार बराक ओबामा ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी को शिकस्त दे दी है.
बराक ओबामा को 303 इलेक्ट्रोरल वोट मिले, जबकि मिट रोमनी को 203 इलेक्ट्रोरल वोट मिले. इस तरह ओबामा के दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ हो गया है.
निर्णायक साबित हुई कैलीफोर्निया की जीत
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस की दौड़ में अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी को पराजित करके अपना दूसरा कार्यकाल पक्का कर लिया. कैलीफोर्निया में भारी जीत हासिल करके ओबामा दोबारा निर्वाचित हुए. 51 साल के अफ्रीकी-अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने निर्वाचक मंडल के 303 मत हासिल किए, जबकि राष्ट्रपति बनने के लिए 270 मतों की दरकरार होती है. कैलीफोर्निया में निर्वाचक मंडल के सबसे अधिक 55 मत हैं और यहीं पर भारी जीत से ओबामा का दोबारा निर्वाचन पक्का हुआ.
ओबामा ने लोगों से कहा, 'शुक्रिया'
सीएनएन की ओर से जीत के बारे में बताए जाने के बाद ओबामा ने दूसरा कार्यकाल देने के लिए ऑनलाइन लोगों का आभार व्यक्त किया. ओबामा ने ट्वीट के जरिए कहा, ‘यह आप लोगों के कारण हुआ है. आपका आभार...चार साल और मिले हैं.’
ओबामा के समर्थक मना रहे हैं जश्न
समाचार चैनलों पर जीत का अनुमान व्यक्त किए जाने के बाद ओबामा के समर्थकों ने सड़क पर आकर जश्न मनाने लगे. शिकागो में ओबामा के प्रचार अभियान के मुख्यालय के सामने समर्थकों का बड़ा हुजूम उमड़ पड़ा. शिकागो ओबामा का गृहनगर है. पूरे अमेरिका में ओबामा समर्थक भारी जश्न मना रहे हैं. शिकागो से लेकर न्यूयार्क के टाइम्स स्क्वायर तक लोग खुशी में झूमते नजर आए.
अमेरिकी इतिहास का सबसे महंगा चुनाव
अमेरिकी इतिहास का यह सबसे महंगा चुनाव है. ओबामा की जीत कैलीफोर्निया के परिणाम से पक्की हुई. यहां निर्वाचक मंडल के सबसे अधिक 55 मत हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल के कुल 538 मत हैं और राष्ट्रपति बनने के लिए कुल 270 मत हासिल करना जरूरी होता है.
ओबामा को मिला दूसरा कार्यकाल
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ओबामा दूसरे डेमोक्रेट हैं, जिन्हें दूसरा कार्यकाल हासिल करने में कामयाबी मिली है. चार साल पहले ‘बदलाव’ का नारा देकर राष्ट्रपति चुने गए ओबामा के समक्ष इस बार बेरोजगारी और आर्थिक मंदी से निपटने संबंधी कई चुनौतीपूर्ण मुद्दे थे और इन पर जवाब देने में उन्हें खासी मुश्किल भी पेश आई थी. देश-दुनिया की निगाहें इस वक्त सुपरपावर अमेरिका की ओर टिकी हुई हैं, जहां राष्ट्रपति चुनाव में बराक ओबामा व मिट रोमनी के बीच कांटे की टक्कर के बाद ओबामा ने जीत हासिल की.
इंडियाना में जीत गए मिट रोमनी
अमेरिका में बराक ओबामा और मिट रोमनी के बीच ह्वाइट हाउस की रेस लगी, लेकिन यह रेस आसान नहीं रही. 270 के जादुई आंकड़े के लिए जो जंग छिड़ी, उसमें कई रोमांच दिखे. कभी ओबामा आगे निकले, तो कभी रोमनी ने बढ़त बनाई. ओबामा के लिए बड़ा झटका यह है कि जिस इंडियाना पर ओबामा ने पिछली बार फतेह हासिल की थी, वहां रोमनी जीत गए हैं.
न्यू हैम्पशायर में नतीजा 'ऐतिहासिक' बराबरी पर
राष्ट्रपति चुनाव के लिए न्यू हैम्पशायर राज्य के डिक्सविले नॉच कस्बे में हुए मतदान में नतीजे बराबरी पर आ गए. डेमोक्रेट उम्मीदवार बराक ओबामा और उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी को बराबर वोट मिले हैं. न्यू हैम्पशायर राज्य के पूर्वोत्तर छोर पर स्थित डिक्सविले नॉच कस्बे में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मध्यरात्रि को मतदान हुआ, जिसमें ओबामा और रोमनी दोनों को यहां 5-5 वोट मिले हैं. यहां वर्ष 1960 से ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान के दिन मध्यरात्रि को वोट डलता आ रहा है.
डिक्सविले नॉच में सौ फीसदी मतदान
डिक्सविले नॉच में जबसे पहले मतदान की परम्परा शुरू हुई है, यहां 100 प्रतिशत मतदान होता आ रहा है. न्यू हैम्पशायर के मतदान कानून के अनुसार, यदि सभी पंजीकृत मतदाता आधिकारिक रूप से अपना वोट डाल देते हैं तो मतदान केंद्र बंद किया जा सकता है. यहां 10 पंजीकृत मतदाताओं के वोट डालने के कुछ बाद मध्यरात्रि को ही मतगणना हो गई.
कहीं ओबामा आगे, कहीं रोमनी
न्यू हैम्पशायर के एक अन्य छोटे शहर हैर्ट्स लोकेशन ने भी वर्ष 1940 के बाद मध्यरात्रि में मतदान की प्रक्रिया शुरू की. वहां ओबामा को 23 और रोमनी को नौ मत मिले.
दुनिया के हर देश में उत्सुकता
पूरी दुनिया में इस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव ही सुर्खियों में है. अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के चुनाव के रुझान और नतीजे तेज़ी आए. न्यूयॉर्क से लेकर नई दिल्ली तक, कैलिफोर्निया से लेकर काबुल तक, मिशिगन से लेकर मास्को तक, शायद ही दुनिया का ऐसा कोई मुल्क हो, जहां अमेरिका चुनाव के नतीजों का इंतजार न हुआ.
बेचैन और बेकरार हैं ओबामा
बात जब दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क के, सबसे ताकतवर शख्स के चुनाव की हो, तो इस किस्म का इंतजार और ऐसी बैचेनी लाजिम भी है. लेकिन सबसे ज्यादा बेसब्री ओबामा और मिट रोमनी को रही, जिनकी किस्मत दांव पर लगी. दोबारा राष्ट्रपति बनने की आस लगाए ओबामा की बेचैनी उनके शब्दों में बयां होती है, 'मेरे दिल-ओ-दिमाग़ में तभी से खलबली मची हुई है, जब से मैंने दोबारा राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया. बाक़ी सब कुछ जनता के फ़ैसले पर निर्भर करता है.'
ओबामा की इस बेताबी को समझा जा सकता है. उन्होंने जनता के बीच जाकर खूब पसीना बहाया है और अपने अधूरे कामों को पूरा करने के लिए अमेरिका की जनता से एक और कार्यकाल मांगा है.
रोमनी समझा रहे बदलाव की जरूरत
दूसरी ओर राष्ट्रपति की रेस में पहली बार किस्मत आजमाने उतरे रिपब्लिकन मिट रोमनी ने जनता को ये समझाने में जान लड़ा दी कि चार साल के बाद अब अमेरिका को बदलाव की ज़रूरत है.
ओबामा को दादी का आशीर्वाद
वोटिंग के बाद से एक ही तस्वीर उभरकर सामने आई कि मामला फिफ्टी-फिफ्टी का है और टक्कर कांटे की है. यह और बात है कि ओबामा को चाहने वालों को उन्हीं की जीत नज़र आ रही है. ऐसे लोगों में ओबामा की बूढ़ी दादी भी हैं. बराक ओबामा की दादी सारा ओबामा ने कहा, मेरा दिल कहता है कि वो जीत जाएगा. फिलहाल मैंने सबकुछ भगवान के ऊपर छोड़ दिया है.
कुछ अनुमान में तो यह भी कहा जा रहा था कि ओबामा और रोमनी को बराबर सीटें मिल सकती हैं और टाई हो सकता है, लेकिन नतीजा ओबामा के पक्ष में रहा. दुनिया को पता चल चुका है कि अमेरिका के मुकद्दर का अगला सिंकदर ओबामा ही रहे.