पाकिस्तान के कराची स्थित मलीर जेल से 15 भारतीय मछुआरों को सद्भावना का प्रदर्शन करते हुए रविवार को रिहा कर दिया गया. ये मछुआरे दीपावली से एक दिन पहले सोमवार को वाघा सीमा से भारत पहुंचेंगे. भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने बताया कि मछुआरों को जेल से रविवार सुबह रिहा किया गया.
मछुआरे मलीर जेल से बस में लाहौर के लिए रवाना हुए जहां से वह दीपावली से पहले वाघा सीमा पार कर भारत पहुंचेगे.
मछुआरों को पाकिस्तान की समुद्री सीमा का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ विदेशी कानून और मत्स्याखेट कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था.
इनमें से कुछ मछुआरों की सजा कुछ माह पहले पूरी हो चुकी है.
प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी ने कहा कि मछुआरों को स्वदेश भेजने का खर्च उनका ट्रस्ट वहन करेगा.
इन मछुआरों की पहचान लखा देवा भालिया, मिसरी सोलंकी, प्रकाश सोलंकी, कारो गोविंद वाजा, संजय जीवा सरानिया, जीवा बादिया, भीका बामानिया, अमृत लाल बामानिया, विजय लक्ष्मण सोलंकी, जितेन्द्र कुमार वन्स जेठवा, कालू राम वाला, चुन्नीलाल कृष्ण बामानिया, बाबू भीका बामानिया, मनसुख सोलंकी और प्रेमजी राम जेठवा के रूप में की गई है.
मलीर जेल के अधीक्षक नजीर शाह ने कहा ‘उन्हें (मछुआरों को) भारतीय सुरक्षा बलों के सुपुर्द कर दिया जाएगा. गृह मंत्रालय ने सद्भावना के तौर पर इस सप्ताह ही उनकी रिहाई का आदेश दिया था.’ शाह के अनुसार, उनकी जेल से अब तक 693 भारतीय मछुआरे रिहा किए जा चुके हैं.
अरब सागर में भारत और पाकिस्तान के जल क्षेत्र की स्पष्ट विभाजक रेखा नहीं है जिसकी वजह से कई बार भारतीय मछुआरे भूलवश पाकिस्तानी जल क्षेत्र में चले जाते हैं और पाकिस्तानी सुरक्षा बल उन्हें गिरफ्तार कर लेते हैं. शाह ने कहा ‘इन मछुआरों को अदालत में पेश करने के बाद पुलिस जेल ले कर आई थी.’ उन्होंने कहा कि भारतीय मछुआरों की रिहाई से वह खुश हैं क्योंकि अब ये मछुआरे अपने परिवार के साथ दीपावली मना सकेंगे.
प्रांत के गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि मछुआरों को दीपावली पर्व की वजह से मानवीय आधार पर रिहा किया गया है.
पिछले माह पाकिस्तान की नौवहन सुरक्षा एजेंसी ने 57 भारतीय मछुआरों को गैरकानूनी तरीके से देश के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में प्रवेश के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था.
गिरफ्तार मछुआरे कई बार सजा पूरी होने के बाद भी महीनों तक जेल में कैद रहते हैं.